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खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची ___सं० १३२२ माघ सुदि १४ को विक्रमपुर में त्रिदशानंद, शान्तमूत्ति, त्रिभुवनानंद, कीर्तिमंडल, सुबद्धिराज, सर्वराज, वीरप्रिय, जयवल्लभ, लक्ष्मीराज और हेमसेन मुनियों को तथा मुक्तिवल्लभा, नेमिभक्ति, मंगलनिधि, प्रियदर्शना को तथा विक्रमपुर में ही वैशाख सुदि ६ को वोरसुन्दरी को दीक्षित किया।
___ सं० १३२३ मार्गशीर्ष बदि ५ को नेमिध्वज व विनयसिद्धि, आगमसिद्धि को दीक्षा दी।
सं० १३२३ वैशाख सुदि १३ के दिन देवमूत्ति गणि को वाचनाचार्य पद दिया गया । ज्येष्ठ सुदि १० को जेसलमेर में विवेकसमुद्र गणि को वाचनाचार्य पद दिया । आषाढ़ बदि १ को हीराकरको दोक्षित किया।
___ सं० १३२४ मिति मार्गशीर्ष कृष्णा २ शनि को कुलभूषण, हेमभूषण दो मुनि तथा अनन्तलक्ष्मी, व्रतलक्ष्मी, एकलक्ष्मी, प्रधानलक्ष्मी साध्वी चार का महोत्सव के साथ जालोर में दोक्षा महोत्सव हुआ।
सं० १३२५ वैशाख सु० १० को जावालिपुर में राजेन्द्रबल साधु तथा पद्मावती साध्वी को दीक्षा दी। वैशाख सुदि १४ को धर्मतिलक गणि को वाचनाचार्य पद दिया।
सं० १३२७ मिति ज्येष्ठ बदि में श्री गिरनार तीर्थ पर श्री नेमिनाथ भगवान के समक्ष १ प्रबोधसमुद्र और २ विनयसमुद्र को दीक्षा दी।
सं० १३२८ जेठ बदि ४ हेमप्रभा साध्वी को जालोर में दीक्षा दी।।
सं० १३३० मिति वैशाख बदि६ को प्रबोधमूर्ति गणि को वाचनाचार्य पद एवं कल्याणऋद्धि गणिनी को प्रवत्तिनी पद दिया।
सं० १३३१ आश्विन बदी ५ को वाचनाचार्य प्रबोधमूर्ति गणि को अपने पद पर स्थापित किया। ये श्रीचन्द्र बोथरा के पुत्र (बच्छावतों के पूर्वज) थे। आश्विन बदि ६ को रात्रि में श्रीजिनेश्वरसूरि जी स्वर्गवासी हुए। जिनप्रबोधसूरि
इनका जन्म बच्छावतों के पूर्वज सेठ श्रीचंद-श्रीयादेवी के यहां सं० १२८५ में हुआ। जन्म नाम मोहन था। दीक्षा सं०१२१६ पालनपुर में हुई, प्रबोधमूर्ति नाम रखा गया। सं०१३३१ फाल्गुन बदि ८ को जिनरत्नसूरिजी
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