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खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची ___ सं० १२८५ ज्येष्ठ सु।द २ को कीर्तिकलश गणि, पूर्णकलश गणि व उदयश्री गणिनी को बीजापुर में ही दीक्षित किया। और, वहीं ज्येष्ठ सुदि ह को न्यायचन्द्र, विद्याचन्द्र एवं अभयचन्द्र गणि को दीक्षा दी।
सं० १२८७ फाल्गुन बदि ५ को पालनपुर में जयसेन, देवसेन, प्रबोधचन्द्र, अशोकचन्द्र गणि और कुलश्री गणिनी, प्रमोदश्री गणिनी को दीक्षा देकर उपकृत किया।
सं० १२८८ पौष सुदि ११ को जालोर में निम्नोक्त दीक्षाएं दीं
१ कल्याणकलश, २ प्रसन्नचन्द्र, ३ लक्ष्मीतिलक, ४ वीरतिलक, ५ रत्नतिलक पाँच मुनि तथा धर्ममति, विनयमति, विद्यामति, चारित्रमति चार साध्वियों को दीक्षित किया।
सं० १२८८ ज्येष्ठ शुक्ला १२ को चित्तौड़ में अजितसेन, गुणसेन, अमृतमूर्ति, धर्ममूर्ति, राजीमति, हेमावलो, रत्नावली गणिनी तथा मुक्तावली गणिनी की दीक्षाएं हुईं।
___ सं० १२९१ में वैसाख सुदि १० को जाबालिपुर में श्री जिनेश्वरसरिजी महाराज ने १ यतिकलश, २ क्षमाचन्द्र, ३ शीलरत्न, ४ धर्मरत्न, ५ चारित्ररत्न, ६ मेघकुमार गणि, ७ अभयतिलक, ८ श्रीकुमार मुनि एवं शीलसुन्दरी तथा चन्दनसुन्दरी साध्वियों को दीक्षा दी। मिती ज्येष्ठ बदि २ के दिन मूल नक्षत्र में श्री विजयदेवसूरि को आचार्य पद से विभूषित किया। सं० १२९४ में श्रीसंघहित मुनि को उपाध्याय पद दिया।
सं० १२६६ में पालनपुर पधार कर फाल्गुन बदी ५ को प्रमोदमत्ति, प्रबोधमूत्ति, देवमूर्ति गणि-तीनों को दीक्षा प्रदान की।
सं० १२९७ मिती चैत्र सुदि १४ के दिन पालनपुर में देवतिलक व धर्मतिलक को दीक्षा दी।
सं० १२६६ के प्रथम आश्विन मास की द्वितीया के दिन प्रगाढ वैराग्य के वशोभूत छाजहड महामंत्री कुलधर को दीक्षा देकर कुलतिलक मुनि नाम रखा।
सं० १३०४ वै० शु० १४ को विजयवर्द्धन गणि को आचार्य पद से
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