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४९. मण्डण ५०. मन्दिर ५१. युक्ति ५२. रथ ५३. रत्न ५४. रक्षित ५५. राज ५६. रुचि ५७. रंग ५८. लब्धि ५९. लाभ
६०. वर्द्धन ६१. वल्लभ ६२. विजय ६३. विनय ६४. वमल ६५. विलास ६६. विशाल ६७. शील ६८. शेखर ६९. समुद्र ७०. सत्य ७१. सागर ७२. सार ७३. सिन्धुर ७४. सिंह ७५. सुख
७६. सुन्दर ७७. सेन ७८. सोम ७९. सौभाग्य ८०. सयम ८१. हर्ष ८२. हित ८३. हेम ८४. हंस
निम्नोक्त नामान्त पदों का भी उल्लेख मात्र मिलता है, पर व्यवहृत होते नहीं देखे गये
. कनक, पर्वत, चरित्र, ललित, प्राज्ञ, मुक्ति, दास, गिरि, नंद, मान, प्रीति, छत्र, फण, प्रभद्र, तिय, हिंस, गज, लक्ष्य, वर, धर, सूर, सुकाल, मोह, क्षेम, वीर (खरतरगच्छ में नहीं), तुंग (अंचलगच्छ) । इनमें से कोई पद नाम के पूर्व पद रूप में अवश्य व्यवहृत हैं।
इसी प्रकार साध्वियों की नदियां (नामान्त पद) भी ८४ ही कही जाती है, पर उनकी सूची अद्यावधि कहीं भी हमारे अवलोकन में नहीं आई। हमने प्राचीन ग्रन्थों, पत्रों, टिप्पणकों आदि से जो कुछ नामान्त पद प्राप्त किये वे ये हैं
१. श्री ५. मती ९. सिद्धि १३. वृष्टि १७. देवी २१. ऋद्धि २५. शीला
२. माला ६. प्रभा १०. निधि १४. दर्शना १८. श्रिया २२. सेना २६. विजया
३. चूला ७. लक्ष्मी ११. वृद्धि १५. धर्मा १९. शोभा २३. शिक्षा २७. महिमा
४. वती ८. सुन्दरी १२. समृद्धि १६. मंजरी २०. वल्लो २४. रुचि २८. चन्द्रिका
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