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२. श्री मोहनलालजी म. के समुदाय की साधु-सूची
श्री मोहनलालजी म०
जन्म-१८८७ वैशाख सुदि ६ चांदपुर, जन्म नाम मोहनकुमार। जिनसुखसूरि की शिष्य परम्परा-कर्मचन्द, ईश्वरदास, वृद्धिचन्द, लालचन्द, यति रूपचन्दजी के पास नागोर में रहे। सं० १६०३ मक्षी में जिनमहेन्द्रसूरि से यति दीक्षा । १६३० अजमेर में संघ समक्ष क्रियोद्धार कर संविग्नपक्षी बने और स्वयं को जिनसुखसूरि के शिष्य के रूप में घोषित किया। स्वर्गवास १६६३ चैत्र वदि १२ सूरत । महाप्रभाविक, बंबई और सूरत पर असीम उपकार, विशाल शिष्य समुदाय । स्वयं ग्यारह शिष्यों, चौबीस प्रशिष्यों तथा ३ साध्वियों को स्वहस्त से दीक्षा दी थी। परम समता भाव के धारक होने के कारण एवं गच्छ-व्यामोह/कदाग्रह न होने के कारण इनकी शिष्य-परम्परा खरतरगच्छ और तपागच्छ में समान रूप से विभाजित हुई।
स्वयं के ग्यारह शिष्य और उनकी शिष्य-परम्परा की सूची निम्न
१. आनन्द मुनि-जन्म नाम आलमचन्द, दीक्षा १६३८ आषाढ़ सुदि १० । इनके दो शिष्य थे--दयाल मुनि, मेघ मुनि।
२. जिन यशः सूरि–जन्म १६१२ जोधपुर, नाम-जेठमल । दीक्षा १६४१ जेठ सुदि ५ जोधपुर । पन्यास पद १६५३, आचार्य पद-१९६६ जेठ सुदि ६, स्वर्गवास १६७० मिगसर सुदि ३ पावापुरी। ५ शिष्य-गंभीर मुनि, गुणमुनि, अमर मुनि, ऋद्धिमुनि, प्रताप मुनि। गंभीर मुनि के शिष्य सौभाग्य मुनि, प्रशिष्य गजमुनि । अमर मुनि के २ शिष्य-केवल मुनि, भक्ति मुनि।
जिनऋद्धिसूरि–जन्म नाम रामकुमार । चूरू के यतिवर्य चिमनीराम के शिष्य थे। साधु दीक्षा १६४१ आषाढ़ सुदि ६, दीक्षा नाम ऋद्धिमुनि । पन्यास पद १६६६ मिगसर सुदि ३। आचार्य पद १६६५ बंबई, स्वर्गवास २००८ ज्येष्ठ सुदि ३, बंबई। इनके ७ शिष्य थे-हीरमुनि, राजेन्द्रमुनि,
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