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कल्प [बारसा] सूत्रम्
नमो नमो निम्मलदंसणस्स75 पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः ।
["दशाश्रुतस्कन्ध छेदसूत्र अन्तर्गत् एक अध्ययन]
“कल्प(बारसा)सूत्रं” मूलं
[आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ।।
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.))
04/05/2015, सोमवार, २०७१ वैशाख सुद १५
jain_e_library's Net Publications
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
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दशाश्रुत. छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्)
.............. मूलं [-] ........... मनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मुलम्
___
प्रत सूत्रांक/ गाथांक
श्रेष्टि-देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारे-प्रन्थाङ्कः १८. श्रीदशाश्रुतस्कन्धे, श्रीपर्युषणाकल्पाख्यं श्रीभद्रबाहुस्वामिविरचितम्
श्रीकल्पसूत्रम्,
दीप
अनक्रम
विख्यातिकारकः-शाह नगीनभाई घेलाभाई-जव्हेरी, अस्यैकः कार्यवाहकः। इदं पुस्तकं मुम्बय्यां शाह नगीनभाई घेलामाई जव्हेरी बाजार इत्यनेन 'निर्णयसागर'मुद्रणास्पदे कोलभाटवीथ्यां
२३ तमे मन्दिरे रामचन्द्र बेस् शेडगेद्वारा मुद्रापितं प्रकाशितं च।। प्रथमसंस्कारे प्रति 1000. [All rights reserved.] मोहमयीपत्तने. बीरसंवत् २४४०. विक्रमसंवत् १९७०. क्राइष्टस्य सम् १९१४.
पण्यं ८ आणकाः। -
कल्पसूत्रस्य मूल "टाईटल-पेज"
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'कल्प (बारसा)' सूत्रस्य विषयानुक्रम
पृष्ठांक:
मूलांक:
पृष्ठांक:
| मूलांक:
विषय
पृष्ठांक:
मूलांक: ००१
विषय भ० महावीर-आदि चरित्रं
विषय स्थवीरावलि
००६
१०४
सामाचारी
१२०
०२१
। |
०२७
।
०६०
००० नमस्कार पठनं ०३३ | १४ स्वप्नफलम् । ११० भ० महावीरस्य दीक्षा १२० भ० महावीरस्य केवलज्ञान
एवं चातुर्मासानां वर्णनं २०५ | भ० आदिनाथ-चरित्रं
००१ भ० महावीरस्य च्यवनं । ००७ ०८८ भ०महावीर-जन्मस्य पूर्व-पश्चात |
स्थिते: वर्णनं १२३ | भ० महावीरस्य निर्वाणं
०७२ १४९ | भ० पार्श्वनाथ-चरित्रं
०७९ २१४ स्थवीरावले: वर्णनं
१०४
०२४ भ० महावीरस्य गर्भ-संक्रमणं । १०३ | भ० महावीरस्य नाम-कथनं । ११५ भ० महावीरस्य केवलज्ञान १३३ भ०महावीरस्य श्रमणादि संपदा १७० भ० नेमिनाथ-चरित्रं
| सामाचारी-वर्णनं
०६७ ०७५
०८६
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
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मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
['कल्प-बारसासूत्र - मूल] इस प्रकाशन की विकास-गाथा पूज्यपाद आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरानंदसूरिजी) के संशोधन एवं संपादन से सन १९१४ (विक्रम संवत १९७०) में इस प्रत का संशोधन एवं संपादन करके प्रकाशन करवाया | "दशाश्रस्कन्ध" नामक छेदसूत्र, जो की ३४ वा आगमसूत्र है, उस सूत्र का आठवाँ अध्ययन, जिसे हम "कल्पसूत्र" याने "बारसासूत्र" के नामसे जानते है, जिस सूत्र का स्वयम् अपना एक स्थान जैन जगतमे रहा है। इसका मुद्रण "देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार" से हुआ|
• हमारा ये प्रयास क्यों? : आगम की सेवा करने के हमें तो बहोत अवसर मिले, ४५-आगम सटीक भी हमने ३० भागोमे १२५०० से ज्यादा पृष्ठोमें प्रकाशित करवाए है किन्तु लोगो की पूज्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी के प्रति श्रद्धा तथा 'प्रत' (पोथी) स्वरुपमे प्रकाशित साहित्य के प्रति लोगो का अधिक आदर देखकर हमने प्रताकारमे मुद्रित ४५ आगम [+ २ वैकल्पिक आगम] के Net Publications के साथ-साथ ये कल्पसूत्र भी पुन:संपादित कर दिया। अलबत हमे एक बात का अवश्य स्वीकार करना पडेगा कि काल्प(बारसा)सूत्र के बहोत प्रकाशन हए है, एक-दो प्रकाशन को छोड़कर बाकी सभी प्रकाशन प्राय: सचित्र प्रकाशित हुए है |
एक स्पेशियल फोरमेट बनवा कर हमने बीचमे पूज्यश्री संपादित पृष्ठो को ज्यों के त्यों रख दिए, ऊपर शीर्षस्थानमे इस स्प्प्तर का नाम और साथमे मूलसूत्र या गाथाजो जहां प्राप्त है उसके क्रमांक लिख दिए, ताँकि पढ़नेवाले को प्रत्येक पेज पर कौनसा सूत्र या गाथा चल रहे है उसका सरलता से ज्ञान हो शके, बायीं तरफ इसी प्रत का सूत्रक्रम दिया है, उसके साथ वहाँ 'दीप अनुक्रम' भी दिया है, जिससे हमारे गुजराती, इंग्लिश आदि प्रकाशनोमें प्रवेश कर शके | हमारे अनुक्रम तो प्रत्येक प्रकाशनोमें एक सामान और क्रमशः आगे बढ़ते हुए ही है, इसीलिए सिर्फ क्रम नंबर दिए है, मगर प्रत में गाथा और सूत्रो के नंबर अलग-अलग होने से हमने जहां सूत्र है वहाँ कौंस दिए है और जहां गाथा है वहाँ ||-|| ऐसी दो लाइन खींची है।
हमने एक अनुक्रमणिका भी बनायी है, जहां पर कल्पसूत्र के मुख्य तीन विभाग देकर प्रथम विभाग अन्तर्गत् विविध विषयो को नाम-निर्देश सह प्रदर्शित कर दिये है। और साथमें इस सम्पादन के पृष्ठांक भी दे दिए है, जिससे अभ्यासक व्यक्ति अपने चहिते अध्ययन या विषय तक आसानी से पहुँच शकता है | अनेक पृष्ठो के नीचे विशिष्ठ फूटनोट भी लिखी है।
अभी तो ये jain_e_library.org का 'इंटरनेट पब्लिकेशन' है, क्योंकि विश्वभरमें अनेक लोगो तक पहुँचने का यहीं सरल, सस्ता और आधुनिक रास्ता है, आगे जाकर ईसि को मुद्रण करवाने की हमारी मनीषा है।
......मुनि दीपरत्नसागर......
~3~
Page #5
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
"PPUHET (CRHRHED) (AGA)
.......... 4 H ..
%*
CASES
प्रत
**
सूत्रांक/
*
गाथांक
There are the following commentaries on this work:Name.
Author. Kalpa Sutra Subodhika Shree Vinayavijaya Mahopadhyaya Kalpa Kiranavali
Dharma Sågaropadhyaya Kalpa Lata
Shree Samaya Sundaropadhyaya Kalpa Manjari
Shree Ratna Sagar Kalpa Druma Kalika
Shree Luxmi Vallabha Kalpa Dipika
Shree Jaya Vijaya Kalpa Laghutika
(not known) Kalpintar Vachya
Shree Kula Mandana Shree Soma Sundar
not known)
Number of Verses.
6000 4814 7700
6000 (4500) 4109
3532 1000 2500 1800 1900 1500
IOOO (not known)
3300 2085
दीप
****
अनुक्रम
Kalpantaráshrita Vritti Kalpa Charcha Pradipika Avachuri Rupa Vritti
SUAASTAS
Shree Sangha Vijaya Shree Udaya Sagar
**
कल्पसूत्र के उपर प्राप्त विविध विवेचनो-(वृत्ति, टीका, अवचूरि, टिप्पणक आदि कि सूचि
~4
Page #6
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दशाश्रुत•
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[-]
दीप
अनुक्रम
[-]
Kalpasutra.
2
Name.
Avachuri Lesha Avachuri
Niryukti Nirukta
“कल्पसूत्रं (बारसासूनं) (मूलम) मूलं [-]
Tippana
Sandeha Vishaushadhi Vritti
Author.
Shree Mahi Meru
(not known)
Shree Bhadra Bahu Swami
Shree Vinaya Chandra
Shree Prithivi Chandra' Shree Jina Prabha
Number of Verses.
700
2200 95
158 640 3041
Out of these we have ere now published Kalpa Subodhika of Shree Vinaya Vijaya Mahopadhyaya, as our seventh Volume
We are thankful to Puniasa Shree Anand Sagar Gani for correcting the proof-sheets of this work, and to Puniasa Shree Siddhi Vijaya Gani, Puniasa Shree Anand Sagar Gani, Puniasa Shree Riddhi Muni, and Sha Maganbhai Dharamchand Javeri, for supplying us with the manuscripts. 325, JAVERI BAJAR,]
NAGINBHAI GHELABHI JAVERI,
BOMBAY,
for the Trustees of
August, 1914
The Sheth Devachand Lalbhai Pustakoddhar Fund.
कल्पसूत्र के उपर प्राप्त विविध विवेचनो-(वृत्ति, टीका, अवचूरि, टिप्पणक आदि कि सूचि
~5~
Preface.
Page #7
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
श्रेष्ठि-देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारे-ग्रन्थाङ्कः-१६ श्रीदशाश्रुतस्कन्धे, श्रीपर्युषणाकल्पाख्यं खामिश्रीभद्रबाहुविरचितम्
श्रीकल्पसूत्रम्..
सूत्रांक/
गाथांक [१]
दीप
अनुक्रम
ॐ श्रीवर्धमानाय नमः॥ॐ॥ अर्ह ॥ नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सबसाहूणं ॥ एसो पंचनमुक्कारो, सवपावप्पणासणो, मंगलाणं च सवेसि, पढ़म हवइ मंगलं॥१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे हुत्था, तंजहा, हत्थुत्तराहिं चुए-चइत्ता गब्भं वक्कंते?, हत्थुत्तराहिं
१ सूत्रद्वयमेतदीयं संख्यातम्
मंगल-अर्थे नमस्कार-पठनं,
~6~
Page #8
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
बारसो
प्रत
कल्प ॥ १॥
सूत्रांक/
गाथांक [२]
54-SCAM
गब्भाओ गब्भं साहरिए २ हत्थुत्तराहिं जाए ३ हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइए ४ हत्थुत्तराहि अणते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ५ साइणा परिनिछुए भयवं ६॥२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्रमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्सणं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं महाविजयपुप्फुत्तरपवरपुंडरीयाओ महाविमाणाओ वीसंसागरोवमट्ठियाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डभरहे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए विइकंताए १ सुसमाए समाए विइक्कंताए २ सुसमदुसमाए समाए विइकंताए ३ दुसमसुसमाए समाए बहुविइकंताए-सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसवा
१-३ साए
दीप
अनुक्रम
| भ० महावीरस्य च्यवनं
Page #9
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत्
प्रत
सूत्रांक/ गाथांक
[3]
दीप
अनुक्रम
[૨]
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र. [३] / गाथा || || मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
ससहस्सेहिं ऊणिआए पंचहत्तरिवासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं - इक्कवीसाए तित्थयरेहिं इक्खागकुलसमुप्पन्नेहिं कासवगुत्तेहिं, दोहि य हरिवंसकुलसमुप्पन्नेहिं गोअमसगुत्तेहिं, तेवीसाए तित्थयरेहिं विइक्कतेहिं, समणे भगवं महावीरे चरमतित्थयरे पुवतित्थयरनिद्दिट्ठे, माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवक्त्रंतीए भववक्त्रंतीए सरीरवक्त्रंतीए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कते ॥ ३ ॥ समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आविद्दुत्था-चइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे न याणइ, चुएमि त्ति जाणइ ॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गन्भत्ताए वक्कंते, तं रयणिं च णं सा देवाण१ चरिमे
~8~
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/ गाथांक
[४]
+
||१||
दीप
अनुक्रम
[३-५]
कल्प०
॥ २ ॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र. [४] / गाथा ||१||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
दामाहणी सयणिज्जंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा, गये - वसहं - सीहअभिसे-दाम-ससि - दिणयरं झयं कुंभं । पउमसेरं - सागरे - विमाणभवणे - रयणुच्चये - सिहिं च ॥ १ ॥ ॥ ४ ॥ तरणं सा देवाणंदा माहणी इमे एयारूवे उराले कल्लाणे सिवे धण्णे मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा समाणी, हट्टतुट्ठचित्तमानंदिआ पीअमणा परमसोमणसिआ हरिसवसविसप्पमाणहियया धाराहयकलंबुगे पिव समुस्ससिअरोमकूवा सुमिणुग्गहं करेइ, सुमिणुग्गहं करित्ता सयणिञ्जाओ अब्भुट्टेइ, अब्भुट्टित्ता अतुरिअमचवलमसंभंताए अविलंबिआए रायहंससरिसीए गईए, जेणेव उसभदत्ते माहणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उसभदत्तं माहणं जएणं विजएणं वडा
१-२ कफपि
देवानंदा दृष्ट १४ स्वप्नानि
~6~
बारसो
॥ २ ॥
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[५] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
**
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
५)
वेइ, वद्धावित्ता सुहासणवरगया आसत्था वीसत्था करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मथए अंजलिं कट्ट एवं वयासी॥५॥ एवं खलु अहं देवाणुप्पिआ! अज्ज सयणिजंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले जाव सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा, गय-जाव-सिहि च॥६॥ एएसिं णं उरोलाणं जाव चउदसण्हं महासुमिणाणं के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? तएणं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए अंतिए एअमटुं सुच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हिअए धाराहय-5 कलंबुअंपिव समुस्ससियरोमकूवे सुमिणुग्गहं करेइ, करित्ता ईहं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुवएणं बुद्धिविन्नाणेणं तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ, करित्ता देवाणंदं माहणिं एवं वयासी॥७॥ ओरालाणं तुमे देवाणुप्पिए! सुमिणा दिट्ठा,
१-२ भद्दासण १-२ मुहासणवरगया क० १-२ देवाणुपिआ! उ.
AAAAAKASA
दीप अनुक्रम
*555
ऋषभदत्तब्राह्मण कथितं १४ स्वप्नफ़लम्
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[८] / गाथा.||१|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
RSS
गाथांक
कल्प कल्लाणा सिवा धन्ना मंगल्ला सस्सिरिआ आरोग्गतुट्ठिदीहाउकल्लाणमंगल्लकारगाणं तुमे नारसो ॥ ३॥ | देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, तंजहा-अत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए !
पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! सुक्खलाभो देवाणुप्पिए ! एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए! नवण्हं| मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाणं राइंदिआणं विइक्वंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेअं माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसवंगसुं
दरंगं ससिसोमाकारं कंतं पिअदंसणं सुरूवं देवकुमारोवमं दारयं पयाहिसि ॥८॥ I सेविअ णं दारए उम्मुक्कबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुव्वणगमणुपत्ते, रिउव्वेअ-ज
उवेअ-सामवेअ-अथव्वणवेअ-इतिहासपंचमाणं निघंटुछद्राणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउण्हं वेआणं सारए पारए धारए, सडंगवी, सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अन्नेसु अ बहुसुबंभण्णएसुपरिवायएसु नएसु
[]
दीप
अनुक्रम
IM॥३
~11~
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[९] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१]
SACREAMSAGARMACOCOCCASH
सुपरिनिदिए आविभविस्सइ ॥९॥तं उराला णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, जाव । आरुग्गतुहिदीहाउयमंगल्लकल्लाणकारगाणं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठत्ति कट्ठ भुजो । भुजो अणुवृहइ ॥ १०॥ तएणं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तस्स अंतिए एअमटुं सुच्चा । निसम्म हद्वतुट्ठ जाव हियया जाव करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ठ उसभदत्तं माहणं एवं वयासी ॥११॥ एवमेयं देवाणुप्पिआ ! तहमेयं देवाणुप्पिआ ! अवितहमेयं देवाणुप्पिआ! असंदिद्धमेयं देवाणुप्पिआ! इच्छियमेअं देवाणुप्पिआ! पडिच्छिअमेअं देवाणुप्पिआ! इच्छियपडिच्छियमेअंदेवाणुप्पिआ! सच्चे णं एसमटे, से जहेयं । तुम्भे वयहत्ति कट्ठ ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता उसभदत्तेणं माहणेणं सद्धिं । उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरइ ॥ १२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं । सक्के देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे सयुक्कऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणड्ड-।
दीप
अनुक्रम
| सौधर्मकल्पस्थित शक्रस्य वर्णनं
~ 12 ~
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१३] / गाथा.||१|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१३]
कल्प लोगाहिवई बत्तीसविमाणसयसहस्साहिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे आल-|| बारसो ॥४॥3|इअमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाणगल्ले महिड्डिए महजुइए ।
महाबले महायसे महाणुभावे महासुक्खे भासुरबुंदी पलंबवणमालधरे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सुहम्माए सभाए सक्कंसि सीहासणंसि, से णं तत्थ बत्तीसाए विमा-15.1 णवाससयसाहस्सीणं, चउरासीए सामाणिअसाहस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अडण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणीआणं, सत्तण्हं अणीआहिवईणं, चउण्डं चउरासीएं आयरक्खदेवसाहस्सीणं, अन्नेसिं है। च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणिआणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनदृगीयवाइअतं
१ वडंसए १-२ णं
दीप
अनुक्रम [१३-१४]
~ 13~
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[१३] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
-SCREENG
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१३]
तीतलतालतुडियघणमुइंगपडुपडहवाइयरवेणं दिवाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ । ॥ १३॥ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ विहरइ, तत्थणं समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डभरहे माहणकुंडगामे , नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्वंतं पासइ, पासित्ता हदुतुट्ठचित्तमाणदिए णदिए परमा- 5 नंदिए पीअमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए धाराहयनीवसुंरभिकुसुमचंचुमालइयऊससियरोमकूवे विकसियवरकमलनयणवयणे.पयलियवरकडगतुडियकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतवच्छे पाळंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरिअं चवलं , सुरिंदे सीहासणाओ अब्भुदेइ, अब्भुट्रित्ता पायपीढाओ पचोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वेरुलिय
१-२ कर्यब
दीप
3
अनुक्रम [१३-१५]
4545453
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१४] / गाथा.||१|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कस्प०
प्रत सूत्रांक/
गाथांक [१४]
वरिदरिद्रंजणनिउणोवि(वचि)अमिसिमिसिंतमणिरयणमंडिआओ पाउयाओ ओमुअइ, ओमुइत्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ, करित्ता अंजलिमउलिअग्गहत्थे तित्थयराभिमुहे। सत्तटु पयाई अणुगच्छइ,सत्तट्ठपयाई अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ,अंचित्ता दाहिणं जाणुंश धरणिअलंसि साहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसेइ, निवेसित्ता ईसिं पच्चुन्नमइ, पचुण्णमित्ता कडगतुडिअर्थभिआओ भुआओ साहरेइ, साहरित्ता करयलपरिग्गहिअं| दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी ॥ १४॥ नमुत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं, आइगराणं तित्थयराणं सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोअगराणं, अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं, धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरतचक्कवट्टीणं, दीवो
दीप
ॐॐॐABBASS
अनुक्रम [१३-१५]
॥
५
॥
-
| शक्रस्तव-स्तोत्रेण सौधर्मेन्द्र कृत् भगवत्-वंदना
~15~
Page #17
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१५]
ताणं सरणं गई पइदा अप्पडिहयवरनाणदंसणधराणं विअट्टछउमाणं, जिणाणं जावयाणं तिन्नाणं तारयाण बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोअगाणं, सवण्णूणं सबदरिसीणं, सिवमयलमरुअमणंतमक्खयमवाबाहमपुणरावत्तिसिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमो जिणाणं जि-2/ यभयाणं ॥ नमुत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स चरमतित्थयरस्स पुषतित्थयरनिहिस्स जाव संपाविउकामस्स ॥ वंदामिणं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासइ मे भगवं तत्थगए इहगयंति कटु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने ॥तएणं तस्स सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अयमेआरूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पन्जित्यो ॥ १५॥ न खलु एवं भूअं, न एयं भवं, न एयं भविस्सं, जंणं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासु
१ असोषिकोज
55*
444
दीप
अनुक्रम [१६]
भ० महावीरस्य नीचगोत्रे च्यवन-संबंधे शक्रस्य मनोगत् संकल्प
~16~
Page #18
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[१६] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत सूत्रांक/
गाथांक [१६]
कल्प० । देवा वा अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु वा तुच्छकुलेसु वा दरिद्दकुलेसु वा किवणकुलेसु वा । बारसो
भिक्खागकुलेसु वा माहणकुलेसुवा, आयाइंसुवा, आयाति वा, आयाइस्संति वा ॥१६॥ एवं खलु अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा, उग्गकुलेसु वा भोगकुलेसुवा
राइण्णकुलेसु वा इक्खागकुलेसुवा खत्तियकुलेसु वा हरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्पदगारेसु विसुद्धजाइकुलवंसेसु आयाइंसु वा आयाइंति वा आयाइस्संति वा ॥ १७॥ अस्थि ।
पुण एसे वि भावे लोगच्छेरयभूए अणंताहिं उस्सपिणीओसप्पिणीहिं विइक्वंताहिं समुप्पजइ, (I. १००) नामगुत्तस्स वा कम्मस्स अक्खीणस्स अवेइअस्स अणिज्जिण्णस्स उदएणं । जंणं अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा, अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु वा तुच्छ०| दरिद० भिक्खाग० किवण०, आयाइंसु वाआयाइंति वा आयाइस्संति वा,कुच्छिसि गब्भ-2 त्ताए वक्कमिंसु वा वक्कमंति वा वक्कमिस्संति वा, नो चेव णं जोणीजम्मणनिक्खमणेणं नि-18
** 55534346454
दीप
CSSACR ECCCCACE+
अनुक्रम [१७]
॥
६
॥
... अत्र बारसा-सूत्रस्य १०० श्लोकाणि समाप्तानि
~17~
Page #19
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[१८] / गाथा.||१|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१८]
क्वमिंसुवा निक्खमंति वा निक्खमिस्संति वा ॥१८॥अयं च णं समणे भगवं महावीरे । जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स , है भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वकंते ॥ १९॥ तं ,
जीअमेअं तीअपच्चुप्पन्नमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवरायाणं, अरहंते भगवंते तहप्पगारेहितो अन्तकुलेहिंतो पंत तुच्छ दरिद्द भिक्खाग० किवणकुलेहितो तहप्पगारेसु, उग्गकुलेसु वा भोगकुलेसु वा रायन्न नायखत्तियहरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्प-। गारेसु विसुद्धजाइकुलवंसेसु वा साहरावित्तए, तं सेयं खलु ममवि समणं भगवं महावीरं । चरमतित्थयरं पुवतित्थयरनिद्दिदं माहणकंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तिय
२ जाव रज्जसिरि कारेमाणेसु पालेमाणेसु
दीप
अनुक्रम
[१७]
~ 18~
Page #20
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[२०] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत सूत्रांक/
गाथांक [२०]
कल्प० कुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए : बारसो
तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरावित्तए । जेवियणं से तिसलाए खत्तियाणीए गब्भे तंपियणं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए
कुञ्छिसि गब्भत्ताए साहरावित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेइ, एवं संपेहित्ता हरिणेगमसिं अंग्गाहैणीयाहिवइं देवं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी॥२०॥ एवं खलु देवाणुप्पिआ! न ए
भूअं, न एअं भवं, न एअं भविस्सं, जणं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा है वा अंत० पंत० किवण दरिद्द० तुच्छ० भिक्खाग०, आयाइंसु वा ३, एवं खलु अरिदहंता वा चक्क० बल. वासुदेवा वा उग्गकुलेसु वा भोग० राइन्न. नाय० खत्तिय०111 इक्खाग० हरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुडजाइकुलवंसेसु आयाइंसु
१-२ पायत्ताणीया.
दीप
अनुक्रम [२०]
~19~
Page #21
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[२१] / गाथा.||१|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत सूत्रांक/ गाथांक [२१]
वा ३॥२१॥ अत्थि पुण एसे वि भावे लोगच्छेरयभूए अणंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहि । विइकंताहिं समुप्पजति, नामगुत्तस्स वा कम्मस्स अक्खीणस्स अवेइअस्स अणिजिण्णस्स उदएणं, जेणं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु । वा तुच्छ० किवण दरिद्द० भिक्खागकुलेसु वा आयाइंसु वा ३, नो चेवणं जोणीजम्मणनिक्खमणेणं निक्खमिंसु वा ३॥२२॥अयं चणं समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे । वासे माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए: माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्ते॥२३॥तंजीअमेअंतीअपचुप्पण्णम-13] णागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं अरहंते भगवंते तहप्पगारेहिंतो अन्तकुलेहिंतो पंत०1 तुच्छ० किवण दरिद० वणीमगजाव माहणकुलेहिंतो तहप्पगारेसु उग्गकुलेसुवा भोगकुलेसु वा राइण्ण नाय० खत्तिय० इक्खाग हरिवं० अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्ध
दीप
अनुक्रम [२१]
ॐॐॐॐॐ
~ 20~
Page #22
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२४] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत सूत्रांक/
गाथांक [२४]
जाइकुलवंसेसु साहरावित्तए॥२४॥तं गच्छणं तुम देवाणुप्पिआ! समणं भगवं महावीर माहणकुंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंसदाएमाहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्ध-18 त्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिद्धसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, जेविअणं से तिसलाए खत्तियाणीए गब्भे तंपिअणं देवाणंदाए माह-15 णीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, साहरित्ता ममेयमाणत्ति खिप्पामेव | पञ्चप्पिणाहि ॥२५॥ तएणं से हरिणेगमेसी अग्गोणीयाहिवई देवे सक्केणं देविंदेणं देव-8 रना एवं बुत्ते समाणे हदे जाव हयहियए करयल जावत्तिकट्ट एवं जं देवो आणवेइत्ति । आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अ-15
१-२ पायवाणीया.
दीप
अनुक्रम [२४]
हरिनणेगमेसिदेव कृत् भ० महावीरस्य गर्भ-संक्रमणं
~~21~
Page #23
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[२६] / गाथा.||१|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२६]
वक्कमित्ता वेउविअसमुग्घाएणं समोहणइ, वेउविअसमुग्घाएणं समोहणित्ता संखिल्जाई जोअणाहं दंडं निसिरइ, तंजहा-रयणाणं वइराणं वेरुलिआणं लोहिअक्खाणं मसारगल्लाणं | हंसगब्भाणं पुलयाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजणाणं अंजणपुलयाण रयणाणं जायरू-15 वाणं सुभगाणं अंकाणं फलिहाणं रिटाणं अहाबायरे पुग्गले परिसाडेई, परिसाडित्ता, अहासुहमे पुग्गले परिआदियइ ॥२६॥परियाइत्ता दुच्चंपि वेउविअसमुग्घाएणं समो-15 हणइ, समोहणित्ता उत्तरवेउवियरूवं विउव्वइ, विउवित्ता ताए उक्किद्राए तुरियाए चव-3 लाए चंडाए जइणाए उडुआए सिग्घौए दिवाए देवगईए वीईवयमाणे २ तिरिअमसं-18 खिजाणंदीवसमुद्दाणं मज्झंमज्झेणं जेणव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे,जेणेव माहण-18 हाकुंडग्गामे नयरे,जेणेव उसभदत्तस्स माहणस्स गिहे,जेणेव देवाणंदा माहणी, तेणेव उवा
१ परिसाडिअ क० २ छेआए क०
दीप
5545454545
अनुक्रम
[२६]
~~22 ~
Page #24
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________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[२७]
दीप
अनुक्रम
[२७]
कल्प०
॥९॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र. [२७] / गाथा ||१||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
गच्छइ, उवागच्छित्ता आलोए समणस्स भगवओ महावीरस्स पणामं करेइ, करित्ता देवाणंदाए माहणीए सपरिजणाए ओसोवणि दलइ, ओसोवणिं दलित्ता असुभे पुग्गले अवहरइ, अवहरित्ता सुभे पुग्गले पक्खिवइ, पक्खिवित्ता अणुजाणउ मे भयवंतिकछु समणं भगवं महावीरं अवाबाहं अव्वाबाहेणं दिवेणं पहावेणं करयलसंपुडेणं गिह्वइ, समणं भगवं महावीरं० गिण्हित्ता जेणेव खत्तिअकुंडग्गामे नयरे, जेणेव सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स गिहे, जेणेव तिसला खत्तियाणी, तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छित्ता तिसलाए खत्तिआणीए सपरिजणाए ओसोअणिं दलइ, ओसोअणि दलित्ता असुभे पुग्गले अवहरइ, अवहरित्ता सुभे पुग्गले पक्खिवेइ, पक्खिवित्ता समणं भगवं महावीरं अवाबाहं अबाबाहेणं तिसलाए खत्तिआणी कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरई, जेविअणं से तिसलाए खत्तिआणीए गब्भे तंपि -
१६, साहरिचा
~ 23~
बारसो
॥ ९ ॥
Page #25
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२७] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
*
सूत्रांक/
*
गाथांक [२७]
**
अणं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरइ, साहरित्ता जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए ॥२७॥ उक्किट्ठाए तुरिआए चवलाए चंडाए जवणाए उडुआए सिग्घाए दिवाए देवगईए, तिरिअमसखिजाणं दीवसमुद्दाणं मझमझेणं जोअणसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं उप्पयमाणे २ जेणामेव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सकंसि सीहासणंसि सक्के देविंदे देवराया, तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता । सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो एअमाणत्ति खिप्पामेव पच्चप्पिणइ ॥ २८ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आवि हुत्था, तंजहा-साहरिजिस्सामित्ति जाणइ, साहरिजमाणे न जाणइ, साहरिएमित्ति जाणइ ॥२९॥ तेणं कालेणं तेणं समहएणं समणे भगवं महावीरे जेसे वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोअबहुले, तस्सणं
अस्सोअबहुलस्स तेरसीपक्खेणं बासीइराइंदिएहिं विइक्कंतेहिं तेसीइमस्स राइंदिअस्स .
दीप
**
अनुक्रम
[२७]
*
*
4G
~ 24~
Page #26
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३०] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत सूत्रांक/
॥१०॥
गाथांक [३०]
अंतरा वट्टमाणे हिआणुकंपएणं देवेणं हरिणेगमिसिणा सक्कवयणसंदिद्वेणं माहणकुंडग्गा-18] बारसो माओ नयराओ उसमदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए देवाणंदाए माहणीए । जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तिआणं सिद्धत्थस्स खत्ति-18 अस्स कासवगुत्तस्स भारिआए तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्रसगुत्ताए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं अवाबाहं अबाबाहेणं कुच्छिसि गब्भताए साहरिए॥३०॥जं रयणिं चणं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालं-18 धरसगुत्ताए कुच्छीओ तिसलाए खत्तिआणीए वासिद्रसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए, तंरयणि चणं सा देवाणंदा माहणी सयणिज्जंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेयारूवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे तिसलाए खत्तियाणीए
१ वट्टमाणस्स क० ०
दीप अनुक्रम [३०]
~25~
Page #27
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[३१] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३१]
हडेत्ति पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा गय० गाहा ॥३१॥जं रयणि चणं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्रसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए, तं रयणिं च णं सा तिसला खत्तिआणी तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्तकम्मे बाहिरओ दूमिअघट्ठमढे विचित्तउल्लो-13 अचिल्लियतले मणिरयणपणासिअंधयारेबहुसमसुविभत्तभूमिभागेपंचवन्नसरससुरभिमुक्क-15 पुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमघंतगंधुडुयाभिरामे सुगं-15 धवरगंधिए गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिजंसि सालिंगणवट्टिए उभओ बिब्बोअणे उभओ उन्नए मज्झे णयगंभीरे गंगापुलिणवालुअउद्दालसालिसए ओअविअखोमिअदुगुल्लपट्टपडिच्छन्ने सुविरइअरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आईणगरूयबूरनवणीअतूलतुल्लफासे सुगंधवरकुसुमचुन्नसयणोवयारकलिए, पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा
दीप
अनुक्रम [३२]
~~26~
Page #28
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३३] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
Beyo
प्रत सूत्रांक गाथांक [३३]
||१||
ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले जाव चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा- वारसो गये वसह-सीह-अभिसेय-दाम-संसि-दिणयर झयं कुंभ । पउमसर-सागर-विमाणभवणे-रयणुच्चय-सिहिं . ॥१॥ तएणं सा तिसला खत्तिआणी तप्पढमयाए तओअ-IN |चउइंतमूसिअविपुलज़लहरहारनिकरखीरसागरससंककिरणदगरयरययमहासेलपंडुरतरं, | समागयमहुयरसुगंधदाणवासियकपोलमूलं देवरायकुंजरं, (र) वरप्पमाणं पिच्छइ सजलघणविपुलजलहरगजियगंभीरचारुघोसं इभं सुभं सवलक्खणकयंबिअं,वरोरु १॥३३॥तओ। पुणो धवलकमलपत्तपयराइरेगरूवप्पभं पहासमुदओवहारेहिं सबओ चेव दीवयंतं अइ-13 सिरिभरपिल्लणाविसप्पंतकंतसोहंतचारुककुहं तणुसुइसुकुमाललोमनिदच्छविं, थिरसुबद्धमंसलोवचिअलट्ठसुविभत्तसुंदरंग पिच्छइ घणवठ्ठलट्ठउक्किट्ठविसिद्वतुप्पग्गतिक्खसिंगंदंतं ।।११
१ नास्तीदं क० सु०२ सुद्ध कसु०
दीप अनुक्रम [३३-३५]
%95)
| त्रिशलाक्षत्रियाणि दृष्ट १४ स्वप्नानि एवं स्वप्नफ़लम्
~ 27~
Page #29
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[३४] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
A
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३४]
सिवं समाणसोहंतसुद्धदंतं ,वसहं अमिअगुणमंगलमुहं २॥ ३४ ॥ तओ पुणो हारनिकरखीरसागरससंककिरणदगरयरययमहासेलपंडुरंगं, (ग्रं० २०० ) रमणिजपिच्छणिज, थिरलट्ठपउद्यैवट्टपीवरसुसिलिट्ठविसिट्ठतिक्खदाढाविडंबिअमुहं ,परिकम्मिअजच्चकमलकोमलपमाणसोहंतलठ्ठउटुं, रत्तुप्पलपत्तमउसुकुमालतालुनिल्लालियग्गजीहं मूसागयपवर-18 कणगताविअआवत्तायंतवट्टतडियविमलसरिसनयणं, विसालपीवरवरोरु पडिपुन्नविमलखंध, मिउविसयसुहमलक्खणपसत्थविच्छिन्नकेसराडोवसोहिअंऊसिअसुनिम्मिअसुजायअप्फो-12 डिअलंगूलं सोमं सोमाकारं लीलायंतं नहयलाओ ओवयमाणं नियगवयणमइवयंत पिच्छइ । सा. गाढतिक्खग्गनहं सीहं वयणसिरीपल्लवपत्तचारुजीहं ३ ॥३५॥ तओ पुणो पुन्नचंदवयणा,उच्चागयठाणलट्ठसंठिअंपसत्थरूवं सुपइट्ठिअकणर्गकुम्मसरिसोवमाणचलणं,अचुन्न
१ पलंब० क० कि०२ कणगमय क० कि०
दीप
CCCCCCCCCESSESEARCH
अनुक्रम
[३६]
... अत्र बारसा-सूत्रस्य २०० श्लोकाणि समाप्तानि
~28~
Page #30
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[३६] / गाथा.||१|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३६]
कल्प/यपीणरइअमंसलउन्नयतणुतंबनिदनहं,कमलपलाससुकुमालकरचरणकोमलवरंगुलिं, कुरु-14) ॥१२॥ विंदावत्तवट्टाणुपुत्वजंघे,निगूढजाणुं गयवरकरसरिसपीवरोरुं ,चामीकररइअमेहलाजुत्तकंत
विच्छिन्नसोणिचक्कं जच्चजणभमरजलयपयरउज्जुअसमसंहिअतणुअआइजलडहसुकुमाल-|| मउअरमणिज्जरोमराई नाभीमंडलसुंदरविसालपसत्थजघणं करयलमाइअपसत्थतिवलियमज्झं नाणामणिकणगरयणविमलमहातवणिज्जाभरणभूसणविराइयंगोवंगि, हारविरायंतकुं
दमालपरिणबजलजलिंतथणजुअलविमलकलसंआइयपत्तिअविभूसिएणंसुभगजालुजलेपण मुत्ताकलावएणं उरत्थदीणारमालियविरइएण कंठमणिसुत्तएण य कुंडलजुअलल्लसंतों
सोवसत्तसोभंतसप्पभेणं,सोभागुणसमुदएणं आणणकुटुंबिएणं कमलामलविसालरमणिजलोअणं कमलपज्जलंतकरगहिअमुक्कतोयं लीलावायकयपक्खएणं सुविसदकसिणघणसण्ह
१ मतुवंगिं क० कि०
दीप
अनुक्रम [३८]
~ 29~
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[३६] / गाथा.||१|| ..... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३६]
लंबंतकेसहत्थं पउमद्दहकमलवासिणिं सिरिं भगवई पिच्छइ ,हिमवंतसेलसिहरे, दिसागई-16 दोरुपीवरकराभिसिच्चमाणिं ४॥३६॥ तओ पुणो सरसकुसुममंदारदामरमणिजभूअंचंप-15 गासोगपुन्नागनागपिअंगुसिरीसमुग्गरगमल्लिआजाइजूहिअंकोल्लकोजकोरिंटपत्तदमणयनवमालिअबउलतिलयवासतिअपउमुप्पलपाडलकुंदाइमुत्तेसहकारसुरभिगंधिं अणुवममणो-13 हरेणं गंधेणं दस दिसाओ वि वासयंतंसधोउअसुरभिकुसुममल्लधवलविलसंतकंतबहुवन्नभत्तिचित्तं छप्पयमहुअरिभमरगणगुमगुमायंतनिलितगुंजतदेसभागंदामं पिच्छइ नहंगणत-18 लाओ,ओवयंतं,५॥३७॥ ससिं च गोखीरफेणदगरयरययकलसपंडुरं सुभं हिअयनयणकंतं पडिपुन्नं, तिमिरनिकरघणगुहिरवितिमिरकरं पमाणपक्खंतरायलेहं, कुमुअवणविबो । हगं,निसासोहगं सुपरिमट्ठदप्पणतलोवमं हंसपडुवन्नं जोइसमुहमंडगं तमरिपुं मयणसरा
१ मंदारपरिजातियचंपगविउलमचकुंदपाडलजायजूहियसुगंधगंधपुप्फमालासहकार०
दीप
अनुक्रम [३८]
SHESARIES
~30~
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३८] / गाथा.||१|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३८]
पूरगं,समुद्ददगपूरगं दुम्मणं जणं, दइअवजिअं, पायएहिं, सोसयंतं पुणो सोमचारुरूवं बारसो पिच्छइ सा गगणमंडलविलाससोमचंकम्ममाणतिलगं रोहिणिमणहिअयवल्लहं देवी,पुन्नचंदं समुल्लसंतं,६॥३८॥ तओ पुणो तमपडलपरिप्फुडं ,चेव तेअसा पन्जलंतरूवं, रत्तासो-13 गपगासकिंसुअसुअमुहगुंजद्दरागसरिसं कमलवणालंकरणं अंकणं जोइसस्स अंबरतलपई-3 वं हिमपडलगलग्गहं गहगणोरुनायगं, रत्तिविणासं उदयत्थमणेसु मुहुत्तसुहदसणं, दुन्निरिशक्खरूवं रत्तिसुद्धंतदुप्पयारपमद्दणं सीअवेगमहणं,पिच्छइ मेरुगिरिसययपरियडयं विसालं
सूरं रस्सीसहस्सपयलियदित्तसोहं ७॥३९॥ तओ पुणो जच्चकणगलट्ठिपइट्ठिअं समूह-13 नीलरत्तपीयसुकिल्लसुकुमालुल्लसियमोरपिच्छकयमुद्धयं धयं अहियसस्सिरीयं, फालिअसंखंककुंददगरयरययकलसपंडुरेण मत्थयत्थेण सीहेण रायमाणेण रायमाणं भित्तुं ,गगणत-2 लमंडलं चेव ववसिएणं,पिच्छइ सिवमउयमारुयलयाहयुकंपमाणं, अइप्पमाणं जणपिच्छ
SSASSTRIChetest
दीप
:
+
अनुक्रम
[४०]
~~31~
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४०] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[४०]
णिजरूवं ८॥४०॥तओ पुणो जच्चकंचणुजलंतरूवं,निम्मलजलपुण्णमुत्तमं दिप्पमाणसोहं कमलकलावपरिरायमाणं पडिपुण्णसवमंगलभेयसमागमं पवररयणपरायंतकमलट्ठियं नयणभूसणकरं पभासमाणं सवओ चेव दीवयंतं, सोमलच्छीनिभेलणं, सवपावपरिवजिअं सुभं भासुरं सिरिवरं सवोउयसुरभिकुसुमआसत्तमल्लदामं,पिच्छइ सा रययपुण्णकलसं,९ ॥४॥ तओ पुणो पुणरवि रविकिरणतरुणबोहियसहस्सपत्तसुरभितरपिंजरजलं जलचरपहकरपरिहत्थगमच्छपरिभुज्जमाणजलसंचयं महंतं ,जलंतमिव कमलकुवलयउप्पलतामरसपुंडरीयउरुसप्पमाणसिरिसमुदएणं रमणिजरूवसोहं, पमुइयंतभमरगणमत्तमहुयरिंगणुक्करोलि(ल्लिं)जमाणकमलं २५०कायंबगवलाहयचक्ककलहंससारसगविअसउणगणमिहुणसेविजमाणसलिलं पउमिणिपत्तोवलग्गजलबिंदुनिचयचित्तं पिच्छइ सा हिययनयणकंतं पउ
१ नेदम् क ००
दीप
अनुक्रम [४२]
~ 32 ~
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[४२] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
बारसो
प्रत
॥१४॥
सूत्रांक/
गाथांक [४२]
AAAAAABAR
मसरं नाम सरं सररुहाभिरामं १०॥४२॥तओ पुणो चंदकिरणरासिसरिससिरिवच्छसोहं । चउगमणपवड्डमाणजलसंचयं चवलचंचलुच्चायप्पमाणकल्लोललोलंततोयं पडुपवणाहयचलियचवलपागडतरंगरंगंतभंगखोखुब्भमाणसोभंतनिम्मलुक्कडउम्मीसहसंबंधधावमाणोनियत्भासुरतराभिरामं महामगरमच्छतिमितिभिंगिलनिरुद्धतिलितिलियाभिघायकप्पूरफेणपसरं महानईतुरियवेगसमागयभमगंगावत्तगुप्पमाणुच्चलंतपच्चोनियत्तभममाणलोलसलिलं पिच्छइखीरोयसायरं सा रयणिकरसोमवयणा ११॥४३॥तओ पुणो तरुणसूरमंडलसमप्पहं दिप्पमाणसोभं उत्तमकंचणमहामणिसमूहपवरतेयअट्ठसहस्सदिप्पंतनहप्पईवं कणगपयरलंबमाणमुत्तासमुज्जलं जलंतदिवदामं ईहावि(मि)गउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिन्नररुरुसरभचमरसंसत्तकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं गंधवोपवजमाणसंपुण्णघोसं १ चङगुण.
. ..
दीप
अनुक्रम [४४]
॥१४
~~33~
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४४] / गाथा.||१|| ..... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [४४]
JABARHARE
निच्च सजलघणविउलजलहरगजियसहाणुणाइणा देवदुंदुहिमहारवेणं सयलमवि जीवलोयं पूरयंतं, कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूववासंगउत्तममघमघंतगंधुडुयाभिरामं है। निच्चालोयं सेयं सेयप्पभं सुरवराभिरामं पिच्छइ सा साओवभोगं वरविमाणपुंडरीयं १२॥ ॥४४॥ तओ पुणो पुलगवेरिंदनीलसासगकक्केयणलोहियक्खमरगयमसारगल्लपवालफलिहसोगंधियहंसगब्भअंजणचंदप्पहवररयणेहिं महियलपइट्ठिअं, गगणमंडलंतं पभासयंतं, तुंगं मेरुगिरिसंनिकासं पिच्छइ सारयणनिकररासिं १३॥४५॥ सिहिं च-सा विउलुजलपिंगलमहुघयपरिसिच्चमाणनिडूमधगधगाइयजलंतजालुजलाभिरामं तरतमज़ोगजुतेहिं जालपयरेहिं अण्णुण्णमिव अणुप्पइण्णं पिच्छइ जालुज्जलणगअंबरं व कत्थइ पयंतं अइवेगचंचलं सिहिं॥१४॥४६॥ इमे एयारिसे सुभेसोमे पियदंसणेसुरूवे सुविणे दद्रूण सय-13
१ धूवसारसंगयं (क० कि० वृत्तौ पाठान्तरम् )
दीप
अनुक्रम [४६]
~~34 ~
Page #36
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४७] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
%
प्रत
%
सूत्रांक/
गाथांक [४७]
कल्पणमझे पडिबुद्धा अरविंदलोयणा हरिसपुलइअंगी ॥ एए चउदस सुमिणे, सवा पासेइ वारसो
तित्थयरमाया। जं रयणिं वक्कमई, कुच्छिास महायसो अरहा ॥४७॥ तएणं सा तिसला खत्तियाणी इमे एयारूवे उराले चउद्दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा समाणी हट्टतुद्व-जाव-हियया धाराहयकयंबपुप्फगं पिव समूस्ससिअरोमकूवा सुविणुग्गहं करेइ, करित्ता सयणिज्जाओ अब्भुटेइ, अब्भुद्वित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता अतुरिअमच-2 वलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव सयणिज्जे जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिद्धत्थं खत्तिअंताहिं इटाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणोरमाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं। हिययगमणिजाहिं हिययपल्हायणिजाहिं मिउमहुरमंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी २ पडिबोहेइ॥४८॥तएणं सा तिसला खत्तिआणी सिद्धत्थेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी
%A5%AS
दीप
अनुक्रम ४ि९]
॥१५॥
~35~
Page #37
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४९] / गाथा.||१|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
%
%
प्रत
%
सूत्रांक/
गाथांक
[४९]
नाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तंसि भद्दासणंसि निसीयइ, निसीइत्ता आसत्था वीसत्था । सुहासणवरगया सिद्धत्थं खत्तिअंताहिं इटाहिं जाव संलवमाणी २ एवं वयासी ॥४९॥ एवं खलु अहं सामी? अज तंसि तारिसगंसि सयणिजंसि वण्णओ जाव पडिबुद्धा, तंजहा। -गयउसभ० गाहा। तं एएसिं सामी ! उरालाणं चउदसण्हं महासुमिणाणं के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ?॥५०॥ तएणं से सिद्धत्थे राया तिसलाए खत्तिआणीए अंतिए एयमद्रं सुच्चा निसम्म हतुदृचित्ते आणदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए धाराहयनीवसुरभिकुसुमचंचुमालइयरोमकूवे ते सुमिणे ओगि-2 हेइ, ते सुमिणे ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसइ, ईई अणुपविसित्ता अप्पणो साहाविएणं । मइपुव्वएणं बुद्धिविण्णाणेणं तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ, करित्ता तिसलं खत्तिआणिं | ताहिं इट्ठाहिं जाव मंगल्लाहिं मियमहुरसस्सिरीयाहिं वग्गृहिं संलवमाणे २ एवं वयासी ।
%A5%255
दीप
अनुक्रम [५१-५२]
*5*345
~36~
Page #38
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत
॥१६॥
सूत्रांक/
गाथांक [५१]
॥५१॥ उराला णं तुमे देवाणुप्पिए! सुमिणा दिट्ठा, कल्लाणा णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा | दिद्वा, एवं सिवा, धन्ना, मंगल्ला, सस्सिरीया, आरुग्ग-तुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण-(ग्रं.३००) मंगल्ल-कारगाणं तुमे देवाणुप्पिए! सुमिणा दिवा, तंजहा,-अत्थलाभो देवाणुप्पिए! |भोगलाभो०, पुत्तलाभो० सुक्खलाभो० रज्जलाभो०-एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए ! नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्रमाणं राइंदियाणं विइकंताणं अम्हं कुलकेउं, अम्हं कुलदीवं, कुलपव्वयं, कुलवडिंसयं, कुलतिलयं, कुलकित्तिकर, कुलवित्तिकरं, कुलदिणयरं, कुलाधारं, कुलनंदिकर, कुलजसकरं, कुलपायवं, कुलविवरणकरं, सुकुमालपाणिपायं, अहीण-18 संपुण्णपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेयं, माणुम्माणप्पमाणपडिपुण्णसुजायसवंगसुंदरंगं, ससिसोमाकारं, कंतं, पियदसणं, दारयं पयाहिसि ॥५२॥ सेविअ णं दारए ।। उम्मुक्कबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुवणगमणुपत्ते सूरे वीरे विकंते विच्छिन्नविउलब
CACACACACANC
दीप अनुक्रम [५४]]
ला॥१६॥
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ३०० श्लोकाणि समाप्तानि
~37~
Page #39
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[५३] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [५३]
KAHAKAKASARKARE
लवाहणे रजवई राया भविस्सइ ॥५३॥तं उराला णं तुमे देवाणुप्पिया! जाव दुचंपि तच्चंपि अणुव्रहह ॥तएणं सा तिसला खत्तियाणी सिद्धत्थस्स रण्णो अंतिए एयमद्रं सुच्चा निसम्म हद्वतुट्ठाजाव-हियया करयलपरिग्गहिअंदसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिंकद्दु एवं वयासी I॥५४॥ एवमेयं सामी! तहमेयं सामी! अवितहमेयं सामी! असंदिद्धमेयं सामी!इच्छिअमे
सामी!पडिच्छिअमेयं सामी! इच्छिअपडिच्छिअमेयं सामी! सच्चेणं एसमटे से जहेयं तुब्भे सवयह त्तिकट्ट ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सिद्धत्थेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी
नाणामणिरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणाओ अब्भुटेइ, अब्भुद्वेत्ता अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंबिआए रायहंससरिसीए गईए, जेणेव सए सयणिज्जे, तेणेव उवागच्छइ, . उवागच्छित्ता एवं वयासी॥ ५५॥-मा मे ते उत्तमा पहाणा मंगल्ला सुमिणा दिदा अन्नेहिं पावसुमिणेहिं पडिहम्मिस्संति त्तिकट्ट देवयगुरुजणसंबद्घाहिं पसत्थाहिं मंगल्लाहिं
दीप
अनुक्रम
[१६]
~~38~
Page #40
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१६] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
॥१७॥
प्रत सूत्रांक/
गाथांक [१६]
धम्मियाहिं लदाहिं कहाहिं सुमिणजागरि जागरमाणी पडिजागरमाणी विहरइ ॥५६॥ तएणं सिद्धत्थे खत्तिए पञ्चूसकालसमयंसि कोडुंबिअपुरिसे सद्दावेइ, सहावित्ता एवं वयासी॥५७॥-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ! अज्ज सविसेसं बाहिरिअं उवदाणसालं गंधोदयसित्तं सुइअसंमजिओवलित्तंसुगंधवरपंचवण्णपुप्फोवयारकलिअंकालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमघंतगंधुदुयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूअं करेह कारवेह, करित्ता कारवित्ता य सीहासणं रयावेह, रयावित्ता ममेयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह ॥५८॥तएणं ते कोडंबिअपुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठा जाव हियया करयल जाव कट्ट एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता : सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवागच्छित्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं ।
दीप
अनुक्रम
[१९]
॥919
--
~39~
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[१९] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[५९]
उवद्वाणसालं गंधोदगसित्तं जाव-सीहासणं रयाविति, रयावित्ता जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स तमाणत्ति पञ्चप्पिणंति ॥ ५९॥तएणं सिद्धत्थे खत्तिए कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मीलियंमि अहापंडुरे पभाए, रत्तासोगप्पगासकिंसुअसुअमुहगुंजद्धरागबंधुजीवगपारावयचलणनयणपरहुअसुरत्तलोअणजासुअणकुसुमरासिहिंगुलनिअरातिरेअरेहंतसरिसे कमलायरसंडबोहए उट्ठिअंमि सूरे हैं। सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेअसा जलंते, तस्स य करपहरापरबंमि अंधयारे बालायवकुंकुमणं खचिअ व जीवलोए, सयणिज्जाओ अब्भुटेइ ॥६० ॥ अब्भुट्ठित्ता पायपीढाओ, पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अट्टणसालं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अणेगवायामजोगवग्गणवामद्दणमल्लजुद्दकरणेहिं संते परि
ॐॐॐॐॐॐक
दीप अनुक्रम [६१]
~ 40~
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[६१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
A
प्रत
॥१८॥
सूत्रांक/
गाथांक [६१]
कल्प० |स्संते सयपागसहस्सपागेहिं सुगंधवरतिल्लमाइएहिं पीणणिज्जेहिं दीवणिजेहिं मयणिज्जेहिं ||
विहणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं सबिंदियगायपल्हायणिज्जेहिं अब्भंगिए समाणे तिल्लचम्मंसि | निउणेहिं पडिपुण्णपाणिपायसुकुमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं अब्भंगणपरिमद्दणुवलणकरणगुणनिम्माएहिं छेएहिं दक्खेहिं पटेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं जिअपरिस्समेहिं अट्ठिसुहाए । मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउबिहाए सुहपरिकम्मणाए संवाहिए समाणे अवगयपरिस्समे अट्टणसालाओ पडिनिक्खमइ ॥६१ ॥ पडिनिक्खमित्ता जेणेव मजणघरे है। तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मजणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि नाणामणिरयणभत्तिचितंसि हाणपीढंसि मुहनिसण्णे पुप्फोदएहि अगंधोदएहि अ उण्होदएहि अ सुहोदएहि
१ खेयपरिस्समे .
दीप
SIASANAXASSASALSA
अनुक्रम [६३]]
D
॥१८॥
~ 41~
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[६२] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [६२]
18अ सुद्धोदएहि अ, कल्लाणकरणपवरमजणविहीए मजिए, तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहि ||
कल्लाणगपवरमजणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइअलूहिअंगे अहयसुमहग्यदूसरयणसुसंवडे सरससुरभिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियहारहहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोभे पिणडगेविज्जे अंगालज्जगललियकयाभरणे वरकडगतुडिअथंभिअभुए अहिअरूवसस्सिरीए कुंडलउज्जोइआणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइअवच्छे मुद्दिआपिंगलंगुलीए पालंबपलंबमाणसुकयप- है। डउत्तरिजे नाणामणिकणगरयणविमलमहरिहनिउणोचिअमिसिमिसिंतविरइअसुसि विसिटूलटुआविद्धवीरवलए, किंबहुणा ?कप्परुक्खए चेव अलंकिअविभूसिए नरिंदे,सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणे सेअवरचामराहिं उडुव्वमाणीहिं मंगलजयसद्दकया
१ नासानीसासवायवज्झचक्खुहरवण्णफरिसजुत्तहयलालापेलवाइरेगधवलकणगखचिअंतकम्मदूसरयणमुसंवुए (क० कि०) २ एगावलिपिणद्धे इत्यादि क० कि०
CCCASSECSAXACACAL
दीप
%E
अनुक्रम
[६४]
कर
~ 42 ~
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[६२] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
सूत्रांक/
लोए अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडंबिअकोडंबिअमंतिमहामंतिगणगदोवापरियअमच्चचेडपीढमद्दनगरनिगमसिट्ठिसेणावइसत्थवाहदूअसंधिवाल सदिं संपरिवुडे धव
लमहामेहनिग्गए इव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मझे ससिव पिअदंसणे नरवई ३ 8/नरिंदेनरवसहे नरसीहे अब्भहिअरायतेअलच्छीए दिप्पमाणे मजणघराओ पडिनिक्खमइ ॥६२॥ मज्जणघराओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिआ उवाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहे निसीअइ, निसीइत्ता अप्पणो उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए अट्र भद्दासणाई सेअवत्थपच्चुत्थयाइं सिद्धत्थयकयमंगलोवयाराइं रयावेइ, रयावित्ता अप्पणो अदूरसामंते नाणामणिरयणमंडिअं अहिअपिच्छणिजं महग्यवरपट्टणुग्गयं सहपट्टभत्तिसयचित्तताणं ईहामिअउसमतुरगनरमगरविहगवालगकिन्नररु
१ पुरथिमे (क० कि०)
SESSIONSSSS
गाथांक [६२]
ESC-
SSAMAR
दीप अनुक्रम [६४]
॥१९॥
~ 43~
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[६३] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [६३]
CASSES
रुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं अभितरिअं जवणिअं अंछावेइ. अंछावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्तं अत्थरयमिउमसूरगुत्थयं सेअवत्थपञ्चुत्थअं सुमउअं अंगसुहफरिसं विसिट्रं तिसलाए खत्तिआणीए भद्दासणं रयावेइ ॥६३॥रयावित्ता कोडंबिअपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी॥६४॥-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ! अटुंगमहानि-1* मित्तसुत्तत्थधारए विविहसत्थकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दावेह ॥ तएणं ते कोडंबिअ-* पुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुटू जाव-हियया, करयल जाव-पडिसुणंति
१५॥पडिसुणित्ता सिद्धत्थरस खत्तियस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता कुंडपुरं नगरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सुविणलक्खणपाढगाणं गेहाई, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सुविणलक्खणपाढए सद्दाविंति ॥६६॥तएणं ते सुविणलक्षण
१कुंडग्गामं (क० कि० क० सु०)
35343545
दीप
अनुक्रम [६५]
~ 44 ~
Page #46
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________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[ ६७ ]
दीप अनुक्रम
[ ६९ ]
कल्प०
॥ २० ॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [६७] / गाथा ||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
पाढया सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कोडुंबिअपुरिसेहिं सदाविआ समाणा हट्टतुट्ठ जावहियया व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउअमंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई | पवराई परिहिआ अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा सिद्धत्थयहरिआलिआकयमंगलमुद्धाणा सएहिं २ गेहेहिंतो निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झमज्झेणं जेणेव सिद्धत्थस्स रण्णो भवणवरवडिंसगपडिदुवारे, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भवणवरवडिंसगपडिदुवारे एगओ मिलंति, मिलित्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्टाणसाला, जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिअं जाव कट्टु, सिद्धत्थं खत्तिअं जणं विजएणं वद्धाविंति ॥ ६७ ॥ तरणं ते सुविणलक्खणपाढगा सिद्धत्थेणं रण्णा वंदियपूई असक्कारि असम्माणिआ समाणा पत्तेअं २ पुवन्नत्थेसु भद्दासणेसु
१ अचि अवदिअमाणिअपूरआ (क० कि० )
~ 45~
वारसो
॥ २० ॥
Page #47
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[६८] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [६८]
45525
निसीयंति॥६८॥ तएणं सिद्धत्थे खत्तिए तिसलं खत्तियाणि जवणिअंतरियं ठावेइ, ठावित्ता पुप्फफलपडिपुण्णहत्थे परेणं विणएणं ते सुविणलक्खणपाढए एवं वयासी ॥६९॥ -एवं खलु देवाणुप्पिया! अज्ज तिसला खत्तियाणी तंसि तारिसगंसि जाव सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमे एयारूवे उराले चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा ॥७॥ तंजहा, गयगाहा-तं एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं देवाणुप्पिया ! उरालाणं के मन्ने है। कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? ॥ ७१ ॥ तएणं ते सुमिणलक्खणपाढगा सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव-हयहियया, ते सुमिणे ?
ओगिण्हंति, ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता अन्नमन्नणं सद्धिं संचालेंति, संचालित्ता तेसिं सुमिणाणं लद्दा गहिअट्टा पुच्छिअद्रा विणिच्छियदा अभिगया
१ संलावंति (क्र० कि०)
CONGRECEISASAKAS
दीप अनुक्रम [७०]
~46~
Page #48
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७२] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत सूत्रांक/
॥२१॥
गाथांक [७२]
सिद्धत्थस्स रण्णो पुरओ सुमिणसत्थाई उच्चारेमाणा २ सिद्धत्थं खत्तियं एवं वयासी॥७२॥ वारसो --एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं सुमिणसत्थे बायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा बावत्तरि सवसुमिणा दिद्वा, तत्थ णं देवाणुप्पिया ! अरहंतमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा अरहंतंसि (ग्रं०४००) वा चक्कहरंसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुमिणाणं, इमे चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झंति ॥७३॥ तंजहा, गयगाहा-॥७४॥ वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गम्भं वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्न-2 यरे सत्त महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुझंति ॥७५॥ बलदेवमायरो वा बलदेवंसि गम्भं । वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुझंति ॥७६ ॥ मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गभं वक्कममाणंसि एएसिं चउहसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरं एगं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुझंति ॥७७॥ इमे यणं ।
दीप अनुक्रम [७२]
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ४०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 47~
Page #49
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[७८] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [७८]
देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तिआणीए चोद्दस महासुमिणा दिवा,तं उराला णं देवाणुप्पिया!तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा, जाव मंगल्लकारगाणं देवाणुप्पिआ! तिसलाए खत्तिआणीए सुमिणा दिट्ठा, तंजहा- अत्थलाभो देवाणुप्पिया ! भोगलाभो० पुत्तलाभो० सुक्खलाभो देवाणुप्पिया! रजलाभो देवाणु० एवं खलु देवाणुप्पिया ! तिसला खत्तियाणी , नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदिआणं वइक्वंताणं, तुम्हं कुलकेउं कुलदीवं , कुलपवयं कुलवडिंसगं कुलतिलयं कुलकित्तिकरं कुलवित्तिकरं कुलदिणयरं कुलाहारं ।। कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलपायवं कुलतन्तुसंताणविवरणकरं सुकुमालपाणिपायं अहीण-18 दीपडिपुण्णपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेअं माणुम्माणपमाणपडिपुण्णसुजायसवंगसुंदरंगं ससिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवंदारयं पयाहिसि॥७॥सेविय णं दारए उम्मुकबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुषणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कंतेविच्छिन्नविपुलबलवाहणे
SANCTADANAROKAR
दीप
अनुक्रम [७७]
~ 48~
Page #50
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________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[९]
दीप
अनुक्रम
[ ७८ ]
कल्प०
॥ २२ ॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [७९] / गाथा ||||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
चाउरंतचक्कवट्टी रजवई राया भविस्सइ, जिणे वा तिलोगनायगे धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी ॥ ७९ ॥ तं उराला णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा, जाव आरुग्गतुट्टिदीहाऊकल्लाणमंगल्लकारगा णं देवाणुप्पिआ ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा | दिट्ठा ॥८०॥ तरणं सिद्धत्थे राया तेसिं सुमिणलक्खणपाढगाणं अंतिए एयमट्टं सोच्चा निससम्म हट्टे तुट्ठे चित्तमाणंदिते पीयमणे परमसोमणसिए हरिसवसविसप्पमाणहि अए करयलजाव ते सुमिणलक्खणपाढगे एवं वयासी ॥ ८१ ॥ - एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं देवाणुप्पिया ! अवितहमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियमेयं ० पडिच्छियमेयं ० इच्छियपडिच्छियमेयं | देवाणुप्पिया ! सच्चे णं एसमट्ठे से जहेयं तुब्भे वयह तिकट्टु ते सुमिणे सम्मं पडिच्छइ, पडि| च्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए विउलेणं असणेणं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलइ, दलइत्ता पडिविसखेड
6
~ 49~
बारसो
॥ २२ ॥
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[८२] / गाथा.||-|| ...... ___ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
ROCCASCALE
गाथांक [८२]]
तएणं से सिद्धत्थे खत्तिए सीहासणाओ अब्भुटेइ, अब्भुट्टित्ता जेणेव तिसला खत्तियाणी जवणिअंतरिया तेणेव उवागच्छइ, उवाच्छित्ता तिसलं खत्तियाणी एवं वयासी॥८३॥ -एवं खलु देवाणुप्पिया! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा तीसं महासमिणा जाव एगं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुज्झंति॥८४॥ इमे अणं तुमे देवाणुप्पिए! चउद्दस महासुमिणा दिवा, तं उराला णं तुमे जाव-जिणे वा तेलुक्कनायगे धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी ॥८५॥ तएणं सा तिसला खत्तिआणी एअमद्रं सुच्चा निसम्म हतुट जाव-हयहिअया, करयलजाव ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ ॥८६॥ पडिच्छित्ता सिद्धत्थेणं रण्णा अब्भणुन्नाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता अतुरिअं अचवलं असं-. लाभताए अविलंबिआए रायहंससरिसीए गईए जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छइ, उवागइच्छित्ता सयं भवणं अणुपविद्रा।।८७ाजप्पभिई चणं समणे भगवं महावीरे तंसिनायकुलंसि
दीप
अनुक्रम [८१]
55
~50~
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/ गाथांक
[८]
दीप
अनुक्रम
[८६]
कल्प०
॥ २३ ॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र.[८८] / गाथा ||||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
साहरिए, तप्पभिई च णं बहवे वेसमणकुंडधारिणो तिरियजंभगा देवा सक्कवयणेणं से जाई इमाई पुरापोराणाई महानिहाणाई भवंति, तंजहा पहीणसामिआई पहीणसेउआई पहीणगुत्तागाराई, उच्छिन्नसामिआई उच्छिन्नसेउआई उच्छिन्नगुत्तागाराई, गामागरनगरखे| डकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसन्निवेसेसु सिंघाडएसु वा तिएसु वा चउक्केसु वा चच्चरेसु वा चउम्मुहेसु वा महापहेसु वा गामट्ठाणेसु वा नगरट्ठाणेसु वा गामणिद्धमणेसु वा नगरनिद्धमणेसु वा आवणेसु वा देवकुलेसु वा सभासु वा पवासु वा आरामेसु वा उज्जाणेसु वा वणेसु वा वणसंडेसु वा सुसाणसुन्नागारगिरिकंदरसंतिसेलोवद्वाणभवणगिहेसु वा सन्निक्खित्ताइं चिट्ठति, ताइं सिद्धत्थरायभवणंसि साहरंति ॥ ८८ ॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे नायकुलंसि साहरिए, तं स्यणिं च णं नायकुलं हिरण्णेणं वड्ढित्था सुवणेणं वड्डित्था धणेणं धन्नेणं रज्जेणं रट्टेणं बलेणं वाहणेणं कोसेणं
~ 51~
बारसो
॥ २३ ॥
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत्
प्रत
सूत्रांक/ गाथांक
[८]
दीप
अनुक्रम [८७]
* * * * *%*%
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र.[८९] / गाथा ||||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
कोट्टागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं जणवरणं जसवाएणं वड्डित्था, विपुलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमाइएणं संतसारसावइज्जेणं पीइसक्कारसमुदएणं अईव २ अभिवड्ढित्था, तरणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापिऊणं अयमेयारूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ॥ ८९ ॥ जप्पभिरं च णं अम्हं एस दारए कुच्छिसि गन्भत्ताए वक्कंते, तप्पभिडं च णं अम्हे हिरण्णेणं वड्ढामो सुवण्णेणं धणेणं धन्नेणं रज्जेणं रट्टेणं बलेणं वाहणेणं कोसेणं कुट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं जणवएणं जसवाणं वड्डामो, विपुलधणकणगरयणमणिमुत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमाइएणं संतसारसावइजेणं पीइसक्कारेणं अईव २ अभिवड्डामो, तं जया णं अम्हं एस दारए जाए भविस्सइ, तया णं अम्हे एयस्स दारगस्स एयाणुरूवं गुण्णं गुणनिष्पन्नं नामधिजं करिस्सामो वद्धमाणुत्ति ॥ ९० ॥ तरणं समणे भगवं महावीरे माउअणुकंपणट्टाए निच्चले
~ 52~
Page #54
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[९१] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११]
कल्प० निप्फंदे निरयणे अल्लीणपल्लीणगुत्ते आवि होत्था ॥९१॥ तएणं तीसे तिसलाए खत्ति- बारसो
याणीए अयमेयारूवे जाव संकप्पेसमुप्पन्जित्था-हडे मे से गब्भे, मडे मे से गब्भे, चए मे से गब्भे, गलिए मे से गन्भे, एस मे गब्भे पुत्विं एयइ, इयाणिं नो एयइ त्तिक? ओहयमण-है। संकप्पा चिंतासोगसागरसंपविट्ठा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमीगयदिट्ठिया है झियायइ, तंपि य सिद्धत्थरायवरभवणं उवरयमुइंगतंतीतलतालनाडइजजणमणुजं दीण|विमणं विहरइ ॥९२॥ तएणं से समणे भगवं महावीरे माऊए अयमेयारूवं अब्भत्थिअंदा पत्थिअंमणोगयं संकप्पं समुप्पन्नं वियाणित्ता एगदेसेणं एयइ, तएणं सा तिसला खत्तियाणी हद्वतुद्वा जाव हयहिअया एवं वयासी ॥९३॥-नो खलु मे गब्भे हडे जाव नो गलिए, मेगब्भे पुविंनो एयइ,इयाणिं एयइ त्तिकठ्ठ हट जाव एवं विहरइ, तएणं समणे भगवंमहावीरे गब्भत्थे चेव इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ- नो खलु मे कप्पइ अम्मापिउहि ।
दीप
अनुक्रम
[८९]
॥२४॥
SCRECAS
~ 53~
Page #55
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[९४] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
HASTMARE
सूत्रांक/
गाथांक [९४]
जीवंतेहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइत्तए ॥९४॥ तएणं सा तिसला खत्तियाणी व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्तो सवालंकारविभूसिया तं गभं नाइसीएहिं नाइउण्हेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहिं नाइकसाइएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं नाइनिबेहिं नाइलुक्खेहिं नाइउल्लेहिं नाइसुक्केहिं सबत्तुगभयमाणसुहेहिं भोयणच्छा-16) यणगंधमल्लेहिं ववगयरोगसोगमोहभयपरिस्समा जं तस्स गन्भस्स हिअं मियं पत्थं है। गब्भपोसणं तं देसे अ काले अ आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिकसुहाएमणोऽणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुण्णदोहला संमाणियदोहला अविमाणिअदोहला वुच्छिन्नदोहला ववणीअदोहला सुहंसुहेणं आसइ सयइ चिट्ठइ निसीअइ तुयट्टइ विहरइ सुहंसुहेणं तं गब्भं परिवहइ॥९५॥तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं
१ जाव (क० कि०)
दीप अनुक्रम [९३]
भ०महावीरस्य जन्म एवं तत् पूर्व-पश्चात स्थिते: वर्णनं
~ 54~
Page #56
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[९६] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [९६]
REGISTRIKESESAKA**
महावीरे जे से गिम्हाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स तेरसी-31 दिवसेणं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राईदियाणं विइक्वंताणं उच्चट्ठाणगए। गहेसु पढमे चंदजोए सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु जइएसु सबसउणेसु पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पिसि मारुयंसि पवायंसि निप्फनमेइणीयंसि कालंसि पम्इयपक्कीलिएसु जणवएसु पुत्वरत्तावरत्तकालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरुग्गा आरुग्गं दारयं पयाया॥जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाए, साणं । रयणी बहूहिं देवेहिं देवीहि य ओवयंतेहिं उप्पयंतेहि य उप्पिजलमाणभूआ कहकहगभूआ आवि हुत्था॥९६॥रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाए तं रयणिं च णं बहवे वेसमणकुंडधारी तिरियजंभगा देवा सिद्धत्थरायभवणंसि हिरण्णवासंच सुवण्णवासं च वय
१० लमाला (क० कि० ) देवुजोए एगालोए देवसन्निवाए उप्पिंजल० (क० कि०),
दीप
अनुक्रम
मना
॥२५॥
~55~
Page #57
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[९७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[९७]
हार वासंच वत्थवासंचआभरणवासंच पत्तवासंच पुप्फवासंच फलवासंच बीअवासं चमलवासंचगंधवासंच चुण्णवासंचवण्णवासंच वसुहारवासंचे वासिंस॥९७ातएणं से सि
त्थे खत्तिए भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं तित्थयरजम्मणाभिसेयमहिमाए कयाए समाणीए पच्चूसकालसमयंसि नगरगुत्तिए सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी ॥९८॥ -खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कुंडपुरे नगरे चारगसोहणं करेह, करित्ता माणुम्माणवणं । करेह, माणुम्माणवणं करित्ता कुंडपुरं नगरं सब्भितरबाहिरियं आसियसम्मजिओवमालित्तं संघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु सित्तसइसमदूरत्थंरावणवीहियं मंचाइमंचकलिअंनाणाविहरागभूसिअज्झयपडागमंडिअं लाउल्लोइयमहिअं गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिन्नपंचंगुलितलं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं । १धण्णवासं च (क० कि०)२ पिअद्वयाए पिअंनिवेएमो, पिअंभे भवउ मउडवजं जहामालिअं ओमयं मत्थएधोअइ (क०कि०)
दीप
अनुक्रम
~56~
Page #58
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[९९] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
बारसो
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [९९]
आसत्तोसत्तविपुलवट्टवग्धारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिअं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमघंतगंधुडुआभिरामं सुगंधवरगंधिअं| गंधवट्टिभु नडनट्टगजल्लमल्लमुट्ठियवेलंबगकहगपाढगेलासगआरक्खगलंखमंखतूणइल्लतुंबवीणियअणेगतालायराणुचरिअं करेह कारवेह, करित्ता कारवेत्ता य जूअसहस्सं मुसलसहस्सं च उस्सवेह, उस्सवित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणेह ॥९९॥ तएणं ते| कोडुंबियपुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवंवुत्ता समाणा हट्ठा जाव हिअया करयल-जाव-पडि-2 सुणित्ता खिप्पामेव कुंडपुरे नगरे चारगसोहणंजाव उस्सवित्ता जेणेव सिद्धत्थे राया (खत्ति
ए) तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव कट्ट सिद्धत्थस्स रण्णो एयमाणत्तियं । कापञ्चप्पिणंति ॥१०॥तएणं से सिद्धत्थे राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवा
१० पवम० (क० कि०) २ आइकखग (क० कि०)
दीप अनुक्रम [१००]
कटनAASARAN
॥२६॥
~ 57~
Page #59
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१०१]
गच्छित्ता जाव सधोरोहेणं सवपुप्फगंधवत्थमल्लालंकारविभूसाए सवतुडिअसद्दनिनाएणं है। महया इड्डीए महया जुइए महया बलेणं महया वाहणेणं महया समुदएणं महया वरतुडिअजमगसमगपवाइएणं संखपणवभेरिझल्लरिखरमुहिहुडुक्कमुरजमुइंगदुंदुहिनिग्घोसना-141 इयरवेणं उस्सुक्कं उक्करं उक्किट्ठ अदिजं अमिजं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं ।। गणिआवरनाडइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरिअं अणुद्धअमुइंगं,(पं.५००) अमिलायमल्लदामं पमुइअपक्कीलियसपुरजणेजाणवयंदसदिवसं ठिईवडियं करेइ॥तएणं से सिद्धत्थे राया दसाहियाए ठिईवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए अदलमाणे अ दवावेमाणे अ, सइए अ साहस्सिए अ सयसाहस्सिए य लंभे पडिच्छमाणे य पडिच्छावेमाणे य एवं विहरइ.॥१०१॥तएणं समणस्स भग
१ अहरिमं (क० कि०)२ अगणिअवरनाडङ्जकलि (क० कि०) ३ जणाभिरामं (क० कि०)
दीप अनुक्रम [१०२]
KA4
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ५०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 58~
Page #60
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०२] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
बारसो
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१०२]
वओ महावीरस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करिंति, तइए दिवसे चंदसूरदं॥ २७॥ सणिअंकरिंति, छठे दिवसे धम्मजागरियं करिति, इक्कारसमे दिवसे विइक्कंते निवत्तिए ।
असुइजम्मकम्मकरणे, संपत्ते बारसाहे दिवसे, विउलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडार्विति, उवक्खडावित्ता मित्तनाइनिययसयणसंबंधिपरिजणं नाए य खत्तिए अ आमंतित्ता : तओ पच्छा व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई पवराई वत्थाइं परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा भोअणवेलाए भोअणमंडवंसि । सुहासणवरगया तेणं मित्तनाइनिययसंबंधिपरिजणेणं नायएहिं खत्तिएहिं सद्धिं तं . विउलं असणपाणखाइमसाइमं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभाएमाणा परिभुंजेमाणा एवं वा विहरंति॥१०२॥ जिमिअभुत्तुत्तरा गयाविअ णं समाणा आयंता चुक्खा परम.. १ जागरिंति (क० कि० क• सु०)
दीप
अनुक्रम [१०४]
का॥२७॥
~ 59~
Page #61
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०३] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१०३]
SACARSACARSACSCRIKACANCY
सुइभूआ तं मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरिजणं नायए खत्तिए य विउलेणं पुप्फगंध-२ वत्थमल्लालंकारेणं सक्कारिंति संमाणिति सक्कारित्ता संमाणित्ता तस्सेव मित्तनाइनिययसयणसंबंधिपरियणस्स नायाणं खत्तिआण य पुरओ एवं वयासी ॥ १०३॥-पुधिपि णं देवाणुप्पिया! अम्हं एयंसि दारगंसि गम्भं वकंतंसि समाणंसि इमेयारूवे अब्भथिए |चिंतिए जाव समुप्पज्जित्था-जप्पभिई च णं अम्हं एस दारए कुच्छिसि गब्भत्ताए ६ वक्ते, तप्पमिदं च णं अम्हे हिरण्णणं वड्डामो सुवण्णणं धणेणं जाव सावइज्जेणं पीइसक्कारेणं अईव २ अभिवड्डामो, सामंतरायाणो वसमागया य, तं जया णं अम्हं एस दारए जाए भविस्सइ, तया णं अम्हे एयस्स दारगस्स इमं एयाणुरूवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं नामधिजं करिस्सामो वडमाणुत्ति ॥१०४॥ता अन्ज अम्ह मणोरहसंपत्ती जाया, तं होउणं अम्हं कुमारे वडमाणे नामेणं ॥१०५॥समणे भगवं महावीरे कासवगुत्तेणं,
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
दीप अनुक्रम [१०५]
| भ० महावीरस्य नाम-कथनं एवं तत् कारणानि
~ 60 ~
Page #62
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०६] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत
॥२८॥
सूत्रांक/
गाथांक [१०६]
तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-अम्मापिउसंतिए वद्धमाणे, सहसमुइ-I आए समणे, अयले भयभेरवाणं परीसहोवसग्गाणं खंतिखमे पडिमाण पालगे धीमं अरइरइसहे दविए वीरिअसंपन्ने देवेहिं से नाम कयं 'समणे भगवं महावीरे' ॥ १०६॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पिआ कासवगुत्तेणं, तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-सिद्धत्थे इ वा, सिजंसे इवा, जसंसे इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स माया वासिट्ठी गुत्तेणं, तीसे तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-तिसला इवा, विदेहदिन्ना इवा, पिअकारिणी इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पितिजे सुपासे, जिढे भाया नंदिवरणे, भगिणी सुदंसणा, भारिया । जसोआ कोडिन्ना गुत्तेणं॥समणस्स णं भगवओ महावीरस्स धूआ कासवी गुत्तेणं, तीसे 5 दो नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-अणोजाइ वा, पियदसणा इवा ॥ समणस्स णं |
दीप
अनुक्रम [१०६]
॥२८॥
~61~
Page #63
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
0-00-CANO
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१०७]
+
भगवओमहावीरस्स नत्तुई कोसिअ(कासव)गुत्तेणं, तीसे णंदुवे नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-सेसवई इवा, जसवई इ वा ॥ १०७॥ समणे भगवं महावीरे दक्खे दक्खपइन्ने । पडिरूवे आलीणे भद्दए विणीए नाए नायपुत्ते नायकुलचंदे विदेहे विदेहदिन्ने विदेहजच्चे ३ विदेहसूमाले तीसं वासाई विदेहंसि कडु अम्मापिउहिं देवत्तगएहिं गुरुमहत्तरएहिं अब्भणुनाए समत्तपइन्ने पुणरवि लोगंतिएहिं जीअकप्पिएहिं देवेहिं ताहिं इटाहिं कंताहिं पिआहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मिअमहुरस-5 स्सिरीआहिं हिययगमणिजाहिं हिययपल्हायणिज्जाहिं गंभीराहिं अपुणरुत्ताहिं वग्गूहिं| अणवरयं अभिनंदमाणा य अभियुवमाणा य एवं वयासी॥१०८॥-"जय २ नंदा!, जय २ भद्दा!, भदं ते, जय २ खत्तिअवरवसहा!, बुज्झाहि भगवं लोगनाहा!, सयलजगजीवहियं पवत्तेहि धम्मतित्थं, हियसुहनिस्सेयसकरं सवलोए सवजीवाणं भविस्सइत्तिकद्दु जय-है।
+
दीप
अनुक्रम [११२]
~62 ~
Page #64
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०९] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
ॐ
बारसो
कल्प०
%
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१०९]
जयसहं पउंजंति॥१०९॥ पुछिपि णं समणस्स भगवओ महावीरस्स माणुस्सगाओ ॥२९॥
गिहत्थधम्माओ अणुत्तरे आभोइए अप्पडिवाई नाणदंसणे हुत्था, तएणं समणे भगवं महावीरे तेणं अणुत्तरेणं आभोइएणं नाणदंसणेणं अप्पणो निक्खमणकालं आभोएइ,
आभोइत्ता चिच्चा हिरण्णं, चिच्चा सुवण्णं, चिच्चा धणं, चिच्चा रजं, चिच्चा रदूं, एवं बलं| ६वाहणं कोसं कुटागारं, चिच्चा पुरं, चिच्चा अंतेउरं,चिच्चा जणवयं,चिच्चा विपुलधणकणगर
यणमणिमुत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमाइयं संतसारसावइज्जं, विच्छड्डइत्ता, विगोवइ-13 त्ता,दाणं दायारेहिं परिभाइत्ता दाणंदाइयाणं परिभाइत्ता॥११०॥तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जेसे हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे मग्गसिरबहुले,तस्स णं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्खेणं पाईणगामिणीए छायाए पोरसीए अभिनिवट्टाए पमाणपत्ताए सुवएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेणं चंदप्पभाए सीआए सदेवमणुआसुराए परिसाए सम-13
A6%
दीप
अनुक्रम [११३]
॥२९॥
भ० महावीरस्य दीक्षाया: वर्णनं
~634
Page #65
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१११] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१११]
RECORR
णुगम्ममाणमग्गे संखियचक्कियनंगलिअमुहमंगलियवद्धमाणप्रसमाणघंटियगणेहिं, ताहिं इटाहिं कताहिं पियाहिं मणुन्नाहिंमणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मिअमहुरसस्सिरीआहिं वग्गूहिं अभिनंदमाणा अभियुवमाणा य एवं वयासी ॥१११॥"जय २ नंदा!, जय २ भद्दा!, भदं ते खत्तियवरवसहा! अभग्गेहिं नाणदंसणचरित्तेहिं,
अजियाई जिणाहि इंदियाई, जिअंच पालेहि समणधम्मं, जियविग्घोवि य वसाहितं हादेव ! सिद्धिमज्झे, निहणाहि रागहोसमल्ले तवेणं धिइधणिअबद्दकच्छे, महाहि अट्रकम्म-21
सत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं, अप्पमत्तो हराहि आराहणपडागं च वीर! तेलुक्करंगमज्झे, पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलवरनाणं, गच्छ य मुक्खं परं पयं जिणवरोवइट्रेणं मग्गेणं अकुडिलेणं हंता परीसहचर्मू, जय २ खत्तिअवरवसहा ! बहुई दिवसाइं बहूई पक्खाई बहूई मासाई बहूई उऊई बहूइं अयणाई बहूई संवच्छराई, अभीए परीसहोवसग्गाणं,
दीप
25-25
अनुक्रम [११४]
ECEREST
~64~
Page #66
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११२] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
कल्प० ३०॥
सूत्रांक/
गाथांक [११२]
खंतिखमे भयभेरवाणं, धम्मे ते अविग्धं भवउ "त्तिकद्दु जयजयसदं पउंजंति ॥ ११२॥ बारसो तएणं समणे भगवं महावीरे नयणमालासहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे २, वयणमालासहस्सेहिं अभिथुवमाणे २, हिययमालासहस्सेहिं उन्नंदिज्जमाणे २, मणोरहमालासहस्सेहि विच्छिप्पमाणे २, कंतिरूवगुणेहिं पत्थिन्जमाणे २, अंगुलिमालासहस्सेहिं दाइजमाणे २, दाहिणहत्थेणं बहूणं नरनारीसहस्साणं अंजलिमालासहस्साई पडिच्छमाणे २, भवणपंतिसहस्साई समइच्छमाणे २, तंतीतलतालतुडियगीयवाइअरवेणं महुरेण य मणहरेणं जयजयसद्दघोसमीसिएणं मंजुमंजुणाघोसेणय पडिबुज्झमाणे २,सविड्डीए सबजुईए सव-2 बलेणं सववाहणेणं सबसमुदएणं सवायरेणं सवविभूईए सवविभूसाए सवसंभमेणं सवसं-IPI गमेणं सवपगई हिं सबनाडएहिं सवतालायरेहिं सबोरोहेणं सवपुप्फगंधमल्लालंकारविभ-२
१ अभिभविअ गामकंटए (क० कि०) २ आपुच्छिजमाणे (क० कि० ) ३ वत्थमल्ला.
ॐॐॐ
दीप
अनुक्रम [११५]
~65M
Page #67
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११३] / गाथा.||-|| ...... मनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११३]
साए सवतुडियसहसन्निनाएणं महया इड्डीए महया जुइए महया बलेणं महया वाहणेणं । महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगप्पवाइएणसंखपणवपडहभेरिझल्लरिखरमुहिहडकवंदहिनिग्घोसनाइयरवेणं कुंडपुरं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव । नायसंडवणे उजाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ ॥.११३॥ उवागच्छित्ता | असोगवरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेवर आभरणमल्लालंकारं ओमुअइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोअं करेइ, करित्ता । छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय एगे है। अबीए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइए ॥ ११४ ॥ समणे भगवं महावीरे है। संवच्छरं साहियं मासं जाव चीवरधारी होत्या, तेण परं अचेलए पाणिपडिग्गहिए ॥ समणे भगवं महावीरे साइरेगाई दुवालस वासाइं निच्चं वोसटकाए चियत्तदेहे जे केइ
दीप
अनुक्रम [११६]
~66~
Page #68
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११५] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११५]
उवसग्गा उप्पज्जंति, तंजहा-दिवा वा माणुसा वा तिरिक्खजाणिआ वा, अणुलोमा वारसो वा पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ॥ ११५॥ तएणं समणे भगवं महावीरे अणगारे जाए, इरियासमिए भासासमिए एसणासमिए आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चारपासवणखेलसंघाणजल्लपारिट्रावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी अकोहे अमाणे अमाए अलोहे संते पसंते उवसंते परिनिबुडे अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नगंथे निरुवलेवे, कंसपाई इव मुक्कतोए, संखे इव निरंजणे, जीवे इव अप्पडिहयगई, गगणमिव निरालंबणे, वाऊ इव अप्पडिबद्दे, सारयसलिलं व सुरहियए, पुक्खरपत्तं व निरुवलेवे, कुम्मे इव गुत्तिदिए, खग्गिविसाणं व एगजाए, विहग
१ छिण्णसोए (क० कि०)
दीप
अनुक्रम [११७-११९]]
३१॥
| भ० महावीरस्य केवलज्ञान पूर्वस्थिति
~67~
Page #69
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[११६] / गाथा.||१-२|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११६]
इव विप्पमुक्के, भारंडपक्खी इव अप्पमत्ते, कुंजरे इव सोंडीरे, वसहे इव जायथाम, सीहे इव दुइरिसे, मंदरे इवनिक्कंपे, सागरे इव गंभीरे, चंदे इव सोमलेसे, सूरे इव दित्ततेए, जच्चकणगं व जायरूवे, वसुंधरा इव सवफासविसहे, सुहुयहुयासणे इव तेयसा जलंते॥११६॥ इमेसि पयाणं दुन्नि संगहणिगाहाओ-"कंसे संखे जीवे, गगणे वाऊ य सरयसलिले अ। पुक्खरपत्ते कुम्मे, विहगे खग्गे य भारंडे ॥ १॥ कुंजर वसहे : सीहे, नगराया चेव सागर-मखोहे । चंदे सूरे कणगे, वसुंधरा चेव हूयवहे ॥२॥" नत्थि णं तस्स भगवंतस्स कत्थइ पडिबंधे-से अपडिबंधे चउविहे पन्नत्ते, तंजहादवओ, खित्तओ, कालओ, भावओ। दवओ णं सचित्ताचित्तमीसेसु दवेसु, खित्तओणं गामे वा नगरे वा अरण्णे वा खित्ते वा खले वा घरे वा अंगणे वा नहे वा, काल
१-२ अप्पकंपे १ नेमे तत्र गाथे
दीप
अनुक्रम [१२०]
~68~
Page #70
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
॥३२॥
सूत्रांक/
गाथांक [११७]
ओणं समए वा आचलिआए वा आणापाणुए वा थोवे वा खणे वा लवे वा मुहत्तेरा वा अहोरत्ते वा पक्खे वा मासे वा उउऐ वा अयणे वा संवच्छरे वा अन्नयरे वा दीहकालसंजोए, भावओ णं कोहे वा माणे वा मायाए वा लोभे वा भए वा पिज्जे वा दादोसे वा कलहे वा अब्भक्खाणे वा पेसुन्ने वा परपरिवाए वा अरइरई वा मायामोसे
वा मिच्छादसणसल्ले वा (ग्रं० ६००) तस्स णं भगवंतस्स नो एवं भवइ ॥ ११७॥ से णं भगवं वासावासवजं अट्ठ गिम्हहेमंतिए मासे गामे एगराइए नगरे पंचराइए वासीचंदणसमाणकप्पे समतिणमणिलेटुकंचणे समदुक्खसुहे इहलोगपरलोगअप्पडि-TE बड़े जीवियमरणे अनिरवकंखे संसारपारगामी कम्मसत्तुनिग्घायणदाए अब्भुट्ठिए। एवं च णं विहरइ॥ ११८॥ तस्स णं भगवंतस्स अणुत्तरेणं नाणेणं अणुत्तरेणं दंसणेणं १ उऊ वा (क० कि०, क• सु०) २ समसुहदुक्खे (क० कि०, क० ० ) ३० मरणा नि० (क० कि०, क० सु०)
दीप
अनुक्रम [१२४]
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ६०० श्लोकाणि समाप्तानि
~69~
Page #71
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११९] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११९]
अणुत्तरेणं चरित्तेणं अणुत्तरेणं आलएणं अणुत्तरेणं विहारेणं अणुत्तरेणं वीरिएणं| अणुत्तरेणं अजवेणं अणुत्तरेणं मद्दवेणं अणुत्तरेणं लाघवेणं अणुत्तराए खंतीए । अणुत्तराए मुत्तीए अणुत्तराए गुत्तीए अणुत्तराए तुट्ठीए अणुत्तरेणं सच्चसंजमतवसु&चरिअसोवचिअफलनिवाणमग्गेणं, अप्पाणं भावेमाणस्स दुवालस संवच्छराई विइकंताई तेरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुच्चे मासे चउत्थे पक्खे वइसाहसुद्धे तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं पाईणगामिणीए छायाए पोरिसीए अभिनिविट्टाए पमाणपत्ताए सुब्वएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेणं जंभियगामस्स नगरस्स बहिआ उज्जुवालियाए नईए तीरे वेयावत्तस्स चेइअस्स अदूरसामंते सामागस्स गाहावईस्स कट्ठकरणंसि सालपायवस्स अहे गोदोहिआए उक्कडुअनिसिज्जाए। आयावणाए आयावेमाणस्स छटेणं भत्तेणं अपाणएणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोग
दीप
अनुक्रम [१२६]
~~70~
Page #72
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११९] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
बारसो
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११९]
मुवागएणं झाणंतरिआए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ॥ ११९॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे अरहा जाए, जिणे केवली सवन्नू सबदरिसी सदेवमणुआसुरस्स लोगस्स परिआयं जाणइ पासइ सबलोए सबजीवाणं आगई गई ठिइं चवणं उववायं तकं मणो माणसिअं भुत्तं कडं पडिसेवियं आवीकम्मं रहोकम्मं, अरहा अरहस्स भागी, तं तं कालं है मणवयकायजोगे वट्टमाणाणं सबलोए सवजीवाणं सवभावे जाणमाणे पासमाणे । विहरइ ॥ १२० ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे अट्ठियगामं नीसाए । पढमं अंतरावासं वासावासं उवागए, चंपं च पिटूचंपं च नीसाए तओ अंतरावासे वासावासं उवागए, वेसालिं नगरिं वाणियगामं च नीसाए दुवालस अंतरावासे वासावासं :
१ तएणं समणे भगवं महावीरे (क० कि०, क. सु.)
दीप
अनुक्रम [१२६]
भ० महावीरस्य केवलज्ञानप्राप्ति:
~71~
Page #73
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१२१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
%
प्रत
%
सूत्रांक/
%
गाथांक [१२१]
उवागए, रायगिहं नगरं नालंदं च बाहिरियं नीसाए चउद्दस अंतरावासे वासावासं उवागए, छ मिहिलोए दो भद्दिआए एगं आलंभियाए एगं सावत्थीए पणिअभूमीए
एगं पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुगसभाए अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं 18/उवागए॥१२१॥ तत्थ णं जे से पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुगसभाए ४ अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए ॥ १२२ ॥ तस्स णं अंतरावासस्स जे से दवासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तिअबहुले, तस्स णं कत्तियबहुलस्स पन्नरसीप
क्खेणं जा सा चरमा रयणी, तं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए विइक्वंते : समुज्जाए छिन्नजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिबुडे सव्वदुक्खप्पहीणे, चंदे नाम से दुच्चे संवच्छरे पीइवणे मासे नंदिवद्धणे पक्खे अग्गिवेसे नाम से
१-२ मिहिलियाए.
%
दीप अनुक्रम [१२७]
POSTALS4
%
भ० महावीरस्य निर्वाणं
~ 72~
Page #74
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________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१२३]
दीप
अनुक्रम
[१२९]
कल्प०
॥ ३४ ॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [१२३] / गाथा.||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
दिवसे उवसमित्ति पच्चर, देवाणंदा नामं सा रयणी निरतित्ति पश्च्चइ, अच्चे लवे मुहुत्ते पाणू थोवे सिद्धे नागे करणे सबट्टसिद्धे मुहुत्ते साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागए णं कालगए विइकंते जाव सबदुक्खप्पहीणे ॥ १२३ ॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सबदुक्खप्पहीणे सा णं रयणी बहुहिं देवेहिं देवीहि य ओवयमाणेहि य उप्पयमाणेहि य उज्जोविया आवि हुत्था ॥ १२४ ॥ जं स्यणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सबदुक्खप्पहीणे, सा रयणी बहुहिं देवेहि य देवीहि य ओवयमाणेहिं उप्पयमाणेहि य उप्पिजलगभूआ कहकहगभूआ आवि हुत्था ॥ १२५ ॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सबदुक्खप्पहीणे, तं रयणिं च णं जिट्ठस्स गोअमस्स इंदभूइस्स अणगारस्स अंतेवासिस्स नायए पिज्जबंधणे वुच्छिन्ने, अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ॥ १२६ ॥ जं स्यणिं च णं समणे
~73~
बारसो
॥ ३४ ॥
Page #75
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[१२७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१२७]
भगवं महावीरे कालगए जाव सवदुक्खप्पहीणे, तं रयणिं च णं नवमलई नवलेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो अमावासाए पाराभोयं पोसहोववासं पविंसु, गए से | भावुजोए, दवुजोअं करिस्सामो ॥१२७॥ जं रयणिं च णं समणे जाव सबदुक्खप्पहीणे, शतं रयणिं च णं खुद्दाए भासरासी नाम महग्गहे दोवाससहस्सठिई समणस्स भगवओ। महावीरस्स जम्मनक्खत्तं संकंते॥१२८॥ जप्पभिई च णं से खुदाए भासरासी मह-5 ग्गहे दोवाससहस्सठिई समणस्स भगवओ महावीरस्स जम्मनक्खत्तं संकंते, तप्पभिई ।
चणं समणाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य नो उदिए २ पूआसक्कारे पवत्तइ ॥ १२९॥ हजया णं से खुद्दाए जाव जम्मनक्खत्ताओ विइक्कंते भविस्सइ, तया णं समणाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य उदिए २ पूआसक्कारे भविस्सइ ॥१३०॥ जं रयणिं च णं समणे
१ बाराभोए (क० कि०)
दीप
अनुक्रम [१३३]
~74~
Page #76
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१३१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१३१]
कस्पभगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, तं रयणिं च णं कुंथू अणुधरी नाम समु
प्पन्ना, जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य नो चक्खुफासं| हवमागच्छति, जा अठिआ चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निगंथीण य चक्खुफासं हधमागच्छइ ॥ १३१॥ जं पासित्ता बहुहिं निग्गंथेहिं निग्गंथीहि य भत्ताई पच्चक्खायाई, से किमाहु भंते? अज्जप्पभिई संजमे दुराराहे भविस्सइ ॥ १३२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स इंदभूइपामुक्खाओ चउद्दस समणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था ॥ १३३॥ समणस्स भगवओ महा-12 वीरस्स अज्जचंदणापामुक्खाओ छत्तीसं अजियासाहस्सीओ उक्कोसिया अजियासंपया है हुत्था ॥१३४॥-समणस्स भगवओ० संखसयगपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा|
१ दुराराहए (क० सु०, क० कि०),
दीप
अनुक्रम [१३७]
॥३५॥
भ० महावीरस्य श्रमण आदि संपदा
~75~
Page #77
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________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१३५ ]
दीप
अनुक्रम
[१४१]
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [१३५] / गाथा.||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
सयसाहस्सी अउणट्ठि च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥ १३५ ॥ समणस्स भगवओ० सुलसारेवईपामुक्खाणं समणोवासिआणं तिन्नि सयसाहस्सीओ अट्ठारससहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥ १३६ ॥ | समणस्स णं भगवओ • तिन्नि सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खरसन्निवाईणं जिणो विव अवितहं वागरमाणाणं उक्कोसिआ चउद्दसपुवीणं संपया हुत्था ॥ १३७ ॥ समणस्स० तेरस सया ओहिनाणीणं अइसेसपत्ताणं उक्कोसिया ओहिनाणि - संपया हुत्था ॥ १३८ ॥ समणस्स णं भगवओ० सत्त सया केवलनाणीणं संभिण्णवरनाणदंसणधराणं उक्कोसिया केवलनाणिसंपया हुत्था ॥ १३९ ॥ समणस्स णं भ० सत्त सया |वेउवीणं अदेवाणं देविड्डिपत्ताणं उक्कोसिया वेउधियसंपया हुत्था ॥ १४० ॥ समणस्स १ साहस्सीओ ( क० कि० )
~76~
Page #78
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१४१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
॥३६॥
सूत्रांक/
गाथांक [१४१]
णं भ० पंच सया विउलमईणं अड्डाइजेसु दीवेसु दोसु अ समुद्देसु सन्नीणं पंचिंदियाणं , वार पजत्तगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं उक्कोसिआ विउलमईणं संपया हुत्था ॥ १४१ ॥ समणस्स णं भ० चत्तारि सया वाईणं सदेवमणुआसुराए परिसाए वाए अपराजियाणं है उक्कोसिया वाइसंपया हुत्था॥१४२॥ समणस्स णं भगवओ० सत्त अंतेवासिसयाई है। सिद्धाई जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई, चउद्दस अज्जियासयाई सिद्धाइं॥१४३॥ समणस्स है णं भग० अटू सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभदाणं । उक्कोसिआ अणुत्तरोववाइयाणं संपया हुत्था ॥ १४४॥ समणस्स भ० दुविहा अंतगड-10 भूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी य, परियायंतगडभूमी य, जाव तच्चाओ पुरिसजुगाओ जुगंत०, चउवासपरियाए अंतमकासी ॥ १४५॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता साइरेगाई दुवालस वा-12
दीप
अनुक्रम [१४७]
३६॥
~77~
Page #79
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१४६] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१४६]
साइं छउमत्थपरियागं पाउणित्ता देसूणाई तीसं वासाई केवलिपरियागं पाउणित्ता. बायालीसं वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता बावत्तरि वासाइं सवाउयं पालइत्ता खीणे| वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइकंताए तिहिं वासेहिं अदनवमेहिय मासेहिं सेसेहिं पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुयसभाए
एगे अबीए छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पञ्चूसकालसमदयंसि संपलिअंकनिसण्णे पणपन्नं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपन्नं अज्झयणाई
पावफलविवागाई छत्तीसं च अपवागरणाइं वागरित्ता पहाणं नाम अज्झयणं विभा-1 वेमाणे २ कालगए विइकंते समुज्जाए छिन्नजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगड़े परिनिछुडे सवदुक्खप्पहीणे ॥ १४६ ॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव : सवदुक्खप्पहीणस्स नव वाससयाई विइक्वंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असी
84%-50
दीप
अनुक्रम [१५२]
1%%
~ 78~
Page #80
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१४७] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
इमे संवच्छरे काले गच्छइ, वायणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे काले गच्छइ । बारसो इइ दीसइ ॥ १४७॥ (क० कि०, क०सु०१४८) ।
प्रत
क
सूत्रांक/
गाथांक [१४७]
दीप
॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरा पुरिसादाणीए पंचविसाहे हुत्था, तंजहाविसाहाहिं चुए चइत्ता गब्भं वकंते, विसाहाहिं जाए, विसाहाहिं मुंडे भवित्ता अगा राओ अणगारि पदइए, विसाहाहिं अणंते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणेश
पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, विसाहाहिं परिनिव्वुए॥१४९॥ तेणं कालेणं तेणं 18/समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले,
तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं पाणयाओ कप्पाओ वीसंसागरोयमद्विइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे बाणारसीए नयरीए आससेणस्स
%
अनुक्रम [१५३]
॥३७॥
%
अत्र "भगवन् महावीर" चरित्रं पूर्णम्, अथ भ० "पार्श्व" चरित्रं आरभ्यते
~ 79~
Page #81
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५०] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
***
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१५०]
रण्णो वामाए देवीए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं ॥ आहारवक्कंतीए (ग्रं.७००) भववकंतीए सरीरवकंतीए कुच्छिसिगब्भत्ताएवढ़ते ॥१५०॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तिन्नाणोवगए आवि हुत्था, तंजहा-चइस्सामित्ति जाणइ,* चयमाणेन जाणइ, चुएमित्ति जाणइ, तेणं चेव अभिलावेणं सुविणदंसणविहाणेणं सवं-11 जाव-निअगं गिहं अणुपविट्ठा, जाव सुहंसुहेणं तं गम्भं परिवहह ॥१५१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से हेमंताणं दुचे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले, तस्स णं पोसबहुलस्स दसमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राईदिआणं विइकंताणं पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया॥१५२॥ जं रयणिं च णं पासे० जाए, सा रयणी बहुहिं देवेहिं|
१ तं स्यणि च में (क० कि०, क. सु०)
*5*53
दीप
अनुक्रम [१५५]
कन्द्र
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ७०० श्लोकाणि समाप्तानि
~80 ~
Page #82
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५३] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
॥३८॥
सूत्रांक/
गाथांक [१५३]
देवीहि य जाव उप्पिजलगभूया कहकहगभूया यावि हुत्था॥ १५३॥ सेसं तहेव, नवरं जम्मणं पासाभिलावणं भाणिअवं, जाव तं होउ णं कुमारे पासे नामणं ॥१५४॥ पासे अरहा पुरिसादाणीए दक्खे दक्खपइन्ने पडिरूवे अल्लीणे भद्दए विणीए, तीसं ३ वासाइं अगारवासमझे वसित्ता पुणरवि लोगंतिएहिं जिअकप्पेहिं देवेहिं ताहिं इटाहि । जाव एवं वयासी ॥ १५५॥-" जय जय नंदा, जय जय भद्दा, भदं ते" जाव जय-2 जयसदं पउंजंति ॥ १५६॥ पुर्विपि णं पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स माणुस्सगाओ गिहत्थधम्माओ अणुत्तरे आभोइए तं चेव सवं-जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता| जे से हेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले, तस्स णं पोसबहुलस्स इक्कारसीदिवसे णं पुवण्हकालसमयंसि विसालाए सिबिआए सदेवमणुआसुराए परिसाए, तं चेव
नवरं वाणारसिं नगरिं मझमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव आसमपए
दीप
अनुक्रम [१५७]
~81~
Page #83
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५७] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१५७]
उजाणे, जेणेव असोगवरपायवे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स है अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुअइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्टियं लोअं करेइ, करित्ता अट्रमेणं भत्तेणं अप्पाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय तिहिं पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पवइए ॥१५७॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तेसीइं राइंदियाइं निच्चं वोसट्रकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पजंति, तंजहा-दिवा वा माणुस्सा वा तिरिक्खजोणिआ वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ॥१५८॥ तएणं से पासे भगवं अणगारे । जाए इरियासमिए भासासमिए-जाव अप्पाणं भावेमाणस्स तेसीइं राइंदियाई विइक-II ताई, चउरासीइमे राइदिए अंतरा वट्टमाणे जे से गिम्हाणं पढम मासे पढमे पक्खे
१चउरासीइमस्स राईदिअस्स अंतरा वट्टमाणस्स ( क० कि०, क. सु०)
दीप
अनुक्रम [१५९]
~82~
Page #84
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५९] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
॥३९॥
सूत्रांक/
गाथांक [१५९]
चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं पुष्वण्हकालसमयंसि धायइपायवस्स बारसो अहे छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरिआए वट्ट-: माणस्स अणते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, जाव है, जाणमाणे पासमाणे विहरइ॥ १५९॥पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अटू गणा अट्ठ गणहरा हुत्था, तंजहा-सुभे य १ अजघोसे य २, वसिढे ३ बंभयारि य४। सोमे । ५सिरिहरे ६ चेव, वीरभद्दे ७ जसेऽविय ८॥९॥१६०॥पासस्स णं अरहओ पुरिस्सादाणीयस्स अजदिण्णपामुक्खाओ सोलससमणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था ॥ १६१॥ पासस्स णं अ० पुप्फचूलापामुक्खाओ अट्टत्तीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिआ अज्जियासंपया हुत्था॥१६२॥ पासस्स० सुव्वयपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सीओ चउसद्रिं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासगाणं संपया हुत्था
दीप
RECRACKS
CPN444
अनुक्रम [१६१]
~83~
Page #85
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१६३] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
न
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१६३]
%A5%-555
॥१६३॥ पासस्स० सुनंदापामुक्खाणं समणोवासियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥ १६४॥पासस्स० अदृसया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खर-जाव-चउद्दसपुवीणं संपया हुत्था ॥१६५॥ पासस्स णं० चउद्दससया ओहिनाणीणं, दससया केवलनाणीणं, इक्कारससया वेउवियाणं, छस्सया रिउमईणं, दससमणसया सिद्धा, वीसं अज्जियासया सिद्धा, अट्ठमसया विउलमईणं, छसया वाईणं, बारससया अणुत्तरोववाइयाणं ॥ १६६॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगड-3 भूमी, परियायंतगडभूमी य, जाव चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, तिवासपरिआए अंतमकासी ॥ १६७॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता, तेसीइं राइंदिआई छउमत्थपरिआयं *
दीप
अनुक्रम [१६५]
~84~
Page #86
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१६८] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
बारसो
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१६८]
पाउणित्ता. देसूणाई सत्तरि वासाई केवलिपरिआयं पाउणित्ता, पडिपुण्णाई सत्तर वासाइं सामण्णपरिआयं पाउणित्ता, एक्कं वाससयं सवाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्वंताए जे से वासाणं | पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्दे, तस्स णं सावणसुद्धस्स अट्टमीपक्खे णं उप्पि संमे-18 असेलसिहरंसि अप्पचउत्तीसइमे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं । जोगमुवागएणं पुवण्हेकालसमयंसि वग्घारियपाणी कालगए विइकंते जाव सबदुक्खप्पहीणे ॥ १६८॥ पासस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दुवालस वासस-हा याई विइकंताई, तेरसमस्स य अयं तीसइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १६९॥
+
दीप
+
+
अनुक्रम [१६७]
॥४०॥
+5
..१ पुब्बरतावरत्त० (क० कि०, क० सु०)
अत्र "भगवन् “पार्श्व" चरित्रं पूर्णम्
~854
Page #87
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........ मूलं- सूत्र.[१७०] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१७०]
15555555
- तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिदुनेमी पंचचित्ते हुत्था, तंजहा-चित्ताहिं चुए चइत्ता गम्भं वकंते, तहेव उक्खेवो-जाव चित्ताहिं परिनिछुए ॥ १७० ॥ तेणं । कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिदुनेमी जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे । कत्तिअबहुले, तस्स णं कत्तियबहुलस्स बारसीपक्खे णं अपराजिआओ महाविमाणाओ बत्तीससागरोवमठिइआओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सोरियपुरे नयरे समुद्दविजयस्स रण्णो भारिआए सिवाए देवीए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव चित्ताहिं गब्भत्ताए वकंते, सवं तहे सुमिणदसणदविणसंहरणाइअं इत्थ : भाणियत्वं ॥ १७१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिद्रनेमी जे से वासाणं पढमे| मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुद्धस्स पंचमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं
१ सिवादेवीए (क० कि०, क० मु०) २ तमेव
AAAAAAAACAKACC
दीप
अनुक्रम [१७०]
अथ भ० "अरिष्ठनेमि" चरित्रं आरभ्यते
~86~
Page #88
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१७२] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१७२]
जाव चित्ताहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जाव आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया ॥जम्मणं वारसो समुद्दविजयाभिलावेणं नेयवं, जाव तं होउ णं कुमारे अरिदुनेमी नामेणं ॥ अरहा |अरिद्रनेमी दक्खे जाव तिणि वाससयाई कुमारे अगारवासमझे वसित्ता णं पुणरवि । लोगंतिएहिं जिअकप्पिएहिं देवेहिं तं चेव सवं भाणियचं, जाव दाणं दाइयाणं परिभा-18 इत्ता ॥ १७२॥जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसु-131 दस्स छट्ठीपक्खे णं पुवण्हकालसमयंसि उत्तरकुराए सीयाए सदेवमणुआसुराए परिसाए । अणुगम्ममाणमग्गे जाव बारवईए नयरीए मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव रेवयए उजाणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ, सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करित्ता छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं
दीप
अनुक्रम [१७३]
~ 87~
Page #89
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१७३] / गाथा.||-|| ....... मनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१७३]
नाएगं देवदूसमादाय एगेणं पुरिससहस्सेणं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पवइए ॥ १७३ ॥ अरहा णं अरिट्ठनेमी चउपन्नं राइंदियाई निच्चं वोसट्ठकाए चियत्तदेहे,तं चेव सवंजाव पणपन्नगस्स राइंदियस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे सेवासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले, तस्सणं आसोयबहुलस्स पन्नरसीपक्खे णं दिवसस्स पच्छिमे भाए उजिंतसेलसिहरे वेडसपायवस्स अहे छद्रेणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स जाव अणंते अणुत्तरे-जाव सबलोए सबजीवाणं भावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥ १७४॥ अरहओ णं अरिटुनेमिस्स अट्रारस गणा अट्ठारस गणहरा हुत्था ॥१७५॥ अरहओ णं अरिट्टनेमिस्स वरदत्तपामुक्खाओ अट्ठारस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था ॥ १७६॥ अरहओ णं अरि| १ अहमेणं (क० कि०, क. सु०) २ चिचाहिं नक्सचेणं (क० कि०, क० सु०)
AAKAA%*****
दीप
अनुक्रम [१७४]
~88~
Page #90
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१७७] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
॥४२॥
सूत्रांक/
गाथांक [१७७]
कल्प द्वनेमिस्स अजजक्खिणिपामुक्खाऔ चत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अजि- बारसो
यासंपया हत्था॥१७७॥ अरहोणं अरिटुनेमिस्स नंदपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा। सयसाहस्सीओ अउणत्तरिं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥१७८॥ अरहओणं अरि०महासुधयापामुक्खाणं समणोवासिगाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ छत्तीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासिआणं संपया हुत्था ॥१७९॥ अरहओणं अरिट्रनेमिस्स चत्तारि सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खर जाव हुत्था ॥ १८०॥ पन्नरससया ओहिनाणीणं, पन्नरससया केवलनाणीणं, पन्नरससया वेउविआणं, दससया विउलमईणं, अट्ठसया वाईणं, सोलससया अणुत्तरोववाइआणं, पन्नरस समणसया सिद्धा, तीसं अज्जियासयाई सिद्दाई ॥१८१॥ अरहओ णं अरिट्रनेमिस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी परियायंतगडभूमी य-जाव अमाओ
दीप
अनुक्रम [१७७]
॥४२॥
~89~
Page #91
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१८२] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१८२]
पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, दुवासपरिआए अंतमकासी ॥ १८२॥ तेणं कालेणं तेणं हैं समएणं अरहा अरिदुनेमी तिण्णि वाससयाई कुमारवासमझे वसित्ता चउपन्नं राइंदियाई छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता देसूणाई सत्त वाससयाई केवलिपरिआयं पाउणित्ता । परिपुग्णाई सत्तवाससयाइं सामण्णपरिआयं पाउणित्ता एगं वाससहस्सं सवाउअंपालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्णिीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्वंताए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्रमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स अदमीपक्खे णं उप्पिं उजिंतसेलसिहरंसि पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं । मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं चिंत्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुत्वरत्तावरत्तकालसमयंसि नेसज्जिए कालगए (ग्रं.८००)जाव सवदुक्खप्पहीणे ॥ १८३॥ अरहओ णं अरि
१ दुवालस० (क० कि०, क० सु०) १-२ पडिपुण्णाई ३ चित्ताहिं नक्खचेणं (क० सु०)
दीप
अनुक्रम [१७७]
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ८०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 90~
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१८४] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१८४]
कल्प० द्विनेमिस्स कालगयस्स जाव सधदुक्खप्पहीणस्स चउरासीइं वाससहस्साई विइक्वंताई,
पंचासीइमस्स वाससहस्सस्स नव वाससयाई विइक्वंताई, दसमस्स वाससयस्स अयं । असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १८४॥२२॥
नमिस्स णं अरहओ कालगयस्स जाव सवदुक्खप्पहीणस्स पंच वाससयसहस्साई, चउरासीइं च वाससहस्साई नव य वाससयाई विइक्ताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं ६ असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १८५॥२१॥
मुणिसुव्वयस्स णं अरहओ कालगयस्स इक्कारस वाससयसहस्साइं चउरासीइंच वाससहस्साई नव वाससयाइं विइक्वंताई, दसमस्सय वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे । काले गच्छइ॥१८६॥२०॥
मल्लिस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स पर यसहस्साई चउरासीई
दीप
अनुक्रम [१८०]
T- SERIES
॥४३॥
-
-
-
अत्र "भ० अरिष्ठनेमि" चरित्रं समाप्तं, अथ "नेमि भागवतात् आरभ्य भ० "अजित" पर्यन्त काल-अन्तर कथयते
~91~
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत सूत्रांक/
गाथांक
[१८७]
दीप
अनुक्रम
[१८३]
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र. [१८७] / गाथा.||–||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ......"कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
च वाससहस्साई नव वाससयाइं विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १८७ ॥ १९ ॥
अरस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे वासकोडिसहस्से विइक्कंते, सेसं जहा मल्लिस्स- तं च एयं पंचसट्टिं लक्खा चउरासीइं सहस्सा विइक्कता, तंमि समए महावीरो निबुओ, तओ परं नव वाससया विइक्कंता दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ । एवं अग्गओ जाव सेयंसो ताव दट्ठवं ॥ १८८ ॥ १८ ॥ कुंथुस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवमे विइक्कते, पंचसट्ठि वाससयसहस्सा, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १८९ ॥ १७ ॥
संतिस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलिओवमे विइकंते पन्नाट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९० ॥ १६ ॥
~92~
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१९१]
दीप
अनुक्रम
[१८७]
कल्प०
॥ ४४ ॥
*****
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र.[१९१] / गाथा.||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
धम्मस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि सागरोवमाई विइक्कताई, पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९१ ॥ १५ ॥
अनंतस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विइकंताई पन्नाट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९२॥ १४ ॥
विमलस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरोवमाइं विइक्कताई, पन्नठिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९३ ॥ १३ ॥
वासुपुज्जरसणं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाई विइकंताई पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९४ ॥ १२ ॥
सिजंसस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवमसए विइक्कते पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९५॥ ११ ॥
~93~
बारसो
॥ ४४ ॥
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१९६] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१९६]
सीअलस्स णं अरहओ जाव सम्बदुक्खप्पहीणस्स एगा सागरोवमकोडी तिवासअइनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ विइक्कंता, एयंमि समए वीरे निवओ. तओऽविय णं परं नव वाससयाई विइक्ताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥१९६॥१०॥
सुविहिस्स णं अरहओ पुप्फदंतस्स जाव सवदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमको-/ डीओ विइक्कंताओ, सेसं जहा सीअलस्स, तंच इम-तिवासअनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिओ विइकंता इच्चाइ॥ १९७॥९॥ चंदप्पहस्स णं अरहओ जाव-प्पहीणस्स एगं सागरोवमकोडिसयं विइक्वंतं, सेसं १ ऊणिआई विइकताई इच्चाइ (क० सु०)
दीप
अनुक्रम [१९२]
~94~
Page #96
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१९८] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
S
प्रत
॥४५॥
सूत्रांक/
गाथांक [१९८]
जहा सीअलस्स, तंच इम-तिवासअद्धनवमासाहियबायालीससहस्सेहिं ऊणगमिचाइ ॥ १९८॥८॥
सुपासस्स णं अरहओ जाव-प्पहीणस्स एगे सागरोवमकोडिसहस्से विइंक्वते, सेसं जहा सीअलस्स, तंच इम-तिवासअधनवमासाहिअबायालीससहस्सेहिं ऊणिआ | इच्चाइ ॥ १९९॥७॥
पउमप्पहस्सणं अरहओ जावप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसहस्सा विइकंता, तिवासअघनवमासाहियबायालीससहस्सेहिं इच्चाइयं, सेसं जहा सीअलस्स ॥२०॥६॥
सुमइस्स णं अरहओ जाव०प्पहीणस्स एगे सागरोवमकोडिसयसहस्से विइकंते, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहियबायालीससहस्सेहिं इच्चाइयं ॥२०१॥५॥ 8. अभिनंदणस्स णं अरहओ जाव०प्पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसयसहस्सा विवंता,
FAXX***XXXX
दीप
ASASSASSOSIANS
अनुक्रम [१९४]
४५.
~ 95~
Page #97
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२०२] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
सेसं जहा सीअलस्स तिवासअनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइय॥२०२॥४॥ 5 संभवस्स गं अरहओ जाव०प्पहीणस्स वीसं सागरोवमकोडिसयसहस्सा विइक्कंता, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिं
इचाइयं ॥२०३ ॥३॥ THI अजियस्स णं अरहओ जावप्पहीणस्स पन्नासं सागरोवमकोडिसयसहस्सा विइकंता,
सेसंजहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिंइच्चाइयं॥२०४॥२॥
गाथांक [२०२]
दीप
अनुक्रम [१९८]
तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे णं अरहा कोसलिए चउउत्तरासाढे अभीइपंचमे हुत्था, तंजहा-उत्तरासाढाहिं चुए-चइत्ता गब्भं वकंते जाव अभीइणा परिनिव्वुए २०५॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे अरहा कोसलिए जेसे गिम्हाणं चउत्थे मासे
अथ "भ० ऋषभ चरित्रं आरभ्यते
~ 96~
Page #98
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२०६] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
बारसो
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२०६]]
कल्प० सत्तमे पक्खे आसाढबहुले तस्स णं आसाढबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं सवठ्ठसिद्धाओ ! ॥४६॥ महाविमाणाओ तित्तीसंसागरोवमट्टिइआओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे |
भारहेवासे इक्खागभूमीए नाभिस्स कुलगरस्स मरुदेवीए भारिआए पुत्वरत्तावरत्तकालसमयंसि आहारवकंतीए जाव गब्भत्ताए वकंते ॥२०६॥ उसमेणं अरहा कोसलिए तिन्नाणोवगए आविहुत्था, तंचहा-चइस्सामित्ति जाणइ-जाव-सुमिणे पासइ, तंजहा-गयगाहा। सवं तहेव-नवरं पढमं उसभं मुहेणं अइंतं पासइ-सेसाओ गयं । नाभिकुलगरस्स साहई, सुविणपाढगा नत्थि, नाभिकुलगरो सयमेव वागरेइ ॥ २०७ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले है तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राई-| __ १ मरुदेवाए (क० कि०, क० सु०) २ साहेइ ( क० कि०, क० सु०)
SCARRANGAX
दीप
अनुक्रम [२०२]
॥४६॥
~ 97~
Page #99
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२०८] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२०८]
दियाणं जाव आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जाव आरोग्गा आरोग्गं दारयं ।। पयाया॥२०८॥तं चेव सवं-जाव देवा देवीओ य वसुहारवासं वासिंसु, सेसं त चारगसोहणं माणुम्माणवणं-उस्सुक्कमाइयट्रिइवडियजूयवजं सर्व भाणिअवं ॥२०९ उसमे णं अरहा कोसलिए कासवगुत्ते णं, तस्स णं पंच नामधिजा एवमाहिजंति तंजहा-उसमे इवा, पढमराया इ वा, पढमभिक्खायरे इ वा, पढमजिणे इ वा, पढमतित्थयरे इवा ॥२१०॥ उसमे णं अरहा कोसलिए दफ्खे दक्खपइण्णे पडिरूवे अल्लीण भद्दए विणीए वीसं पुत्वसयसहस्साई कुमारवासमझे वसइ, वसित्ता तेवद्रिं पुष सहस्साइं रजवासमझे वसइ, तेवदि च पुत्वसयसहस्साई रजवासमझे वसमाणे * लेहाइआओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ, चउसटुिं । महिलागुणे, सिप्पसयं च कम्माणं, तिन्निवि पयाहिआए उवदिसइ, उवदिसित्ता
55453
दीप
अनुक्रम [२०४]
~ 98~
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२११] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
॥४७॥
सूत्रांक/
गाथांक [२११]
पुत्तसयं रजसए अभिसिंचइ, अभिसिंचित्ता पुणरवि लोअंतिएहिं जिअकप्पिएहिं।
देवेहिं ताहिं इद्राहिं जाव वग्गूहि, सेसं तं चेव सवं भाणिअवं, जाव दाणं दाइआणे ४परिभाइत्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स
अट्ठमीपक्खे णं दिवसस्स पच्छिमे भागे सुदंसणाए सीयाए सदेवमणुआसुराए परिसाए समणुगम्ममाणमग्गे जाव विणीयं रायहाणिं मझमज्झेणं णिग्गच्छइ, |णिग्गच्छित्ता जेणेव सिद्धत्थवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स जाव सयमेव चउमुद्रिअं लोअं करेइ, करित्ता छटेणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं खत्तियाणं च चउहिं पुरिससहस्सेहिं सद्धिं एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पवइए॥२११॥ उसमेणं अरहा कोसलिए एगं वाससहस्सं निच्चं वोसट्ट
दीप
R
अनुक्रम [२०६]
॥४७॥
~99~
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .... मूलं- सूत्र.[२१२] / गाथा.||-|| ..
SAX**5*
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२१२]
काए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा जाव. अप्पाणं भावेमाणस्स इकं वाससहस्सं विइक्वंतं.तओणं जे से हेमंताणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे फग्गुणबहुले,तस्सणं फग्गुणबहुलस्स इक्कारसीपक्खेणं पुषण्हकालसमयंसि पुरिमतालस्स नयरस्स बहिआ सगडमुहंसि उज्जाणंसि नग्गोहवरपायवस्स अहे अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झागंतरिआए वट्टमाणस्स अणंते जाव० जाणमाणे पासेमाणे विहरइ ॥२१२॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चउरासीई गणा, चउरासीई गणहरा हुत्था॥ २१३ ॥ उसभस्स णं. उसभसेणपामुक्खाणं चउरासीइओ समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था॥२१४॥ उसभस्स णं. बंभिसुंदरिपामुक्खाणं अज्जियाणं तिणि सयसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था॥२१५॥ उसभस्स ण सिजंसपामुक्खाणं समणोवासगाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ पंचसहस्सा उक्कोसिया
दीप
अनुक्रम [२०७]
35*345433
~ 100~
Page #102
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२१६] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
बारसो
प्रत
॥४८॥
सूत्रांक/
गाथांक [२१६]
55ॐॐ
समणोवासगसंपया हुत्था ॥ २१६॥ उसभस्स णं० सुभद्दापामुक्खाणं समणोवासियाणं है पंचसयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥२१७॥ उसभस्स णं. चत्तारि सहस्सा सत्तसया पण्णासा चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं जाव उक्कोसिया चउद्दसपुविसंपया हुत्था ॥ २१८॥ उसभस्स णं नव सहस्सा ओहिनाणीणं उक्कोसिया० ॥२१९॥ उसभस्स णं वीससहस्सा केवलनाणीणं ?
उक्कोसिया०॥२२०॥ उसभस्स णं० वीससहस्सा छच्च सया वेउव्वियाणं० उक्कोसिया० Tj॥२२१॥ उसभस्स णं० बारस सहस्सा छच्च सया पण्णासा विउलमईणं अड्डाइजेसु दीवसमुद्देसु सन्नीणं पंचिंदियाणं पज्जतगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं पासमाणाणं उक्कोसिआ विउलमइसंपया हुत्था ॥२२२॥ उसमस्स णं. बारस सहस्सा छच्च सया
१ दीवेसु दोसु अ समुद्देसु (क० कि०, क० सु०)
दीप
अनुक्रम [२०९]
SANSAR
~ 101~
Page #103
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२२३] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२२३]
पण्णासा वाईणं० ॥ २२३ ॥ उसभस्स णं० वीसं अंतेवासिसहस्सा सिद्धा, चत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ सिद्धाओ ॥ २२४ ॥ उसभस्स णं. अरहओ बावीससहस्सा नवसया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं जाव भदाणं उक्कोसिआ० ॥ २२५ ॥ उसभस्स णं० अरहओ दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी य परियायं-15 तगडभूमी य, जाव असंखिज्जाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, अंतोमुहुत्तपरि आए अंतमकासी ॥ २२६ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे अरहा कोसलिए है वीसं पुवसयसहस्साई कुमारवासमज्झे वसित्ता णं तेवढेि पुत्वसयसहस्साइं रज्जवासमझे वसित्ता णं तेसीइं पुवसयसहस्साइं अगारवासमज्झे वसित्ता णं एगं वाससहस्सं छउमस्थपरिआयं पाउणित्ता एगं पुवसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरिआयं पाउणित्ता पडि
१ सहस्साओ (क० सु०, क० कि०)
दीप
अनुक्रम [२१०]
~ 102 ~
Page #104
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२२७] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत
॥४९॥
सूत्रांक/
गाथांक [२२७]
पण पवसयसहस्सं सामण्णपरियागं पाउणित्ता चउरासीई पुव्वसयसहस्साई सवाउयं बारसो
पालबत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए सुसमदुसमाए समाए बहु13|विइकंताए तिहिं वासेहिं अनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे
पक्खे माहबहुले, तस्स णं माहबहुलस्स (ग्रं० ९००) तेरसीपक्खे णं उम्पि अदावयसेलसिहरंसि दसहिं अणगारसहस्सेहिं सद्धिं चोदसमेणं भत्तेणं अपाणएणं अभीइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुवण्हकालसमयंसि संपलियंकनिसण्णे कालगए विइक्कंते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे॥२२७॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स कालगयस्स जाव सबदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि वासा अद्धनवमा य मासा विइक्वंता, तओवि परं एगा सागरोवमकोडाकोडी तिवासअद्दनवमासाहियवायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया विइ
१ संपुण्णं (क० कि०)
दीप
अनुक्रम [२१२]
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ९०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 103~
Page #105
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[२२८] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
कंता, एयंमि समए समणे भगवं महावीरे परिनिवुडे, तओवि परं नववाससया विइक्वंता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥२२८॥
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२२८]
दीप
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥१॥से केणट्रेणं भंते! एवं वुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव |गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ? ॥२॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स जिढे इंदभूई । अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाइं वाएइ, मज्झिमए अग्गिभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंचसमणसयाई वाएइ, कणीअसे अणगारे वाउभूई गोयमगुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अज्जवियत्ते भारदाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अजसुहम्मे
१ गोयमसगोत्तेणं (क० कि०, क० मु०) २ नामेण (क० कि०)
अनुक्रम [२१३]
krtROIN
अत्र तीर्थकर-चरित्राणि परिसमाप्तानि
अथ द्वितिय वाचना-रूप स्थवीरावली आरभ्यते
~ 104 ~
Page #106
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
॥५०॥
सूत्रांक/
गाथांक [३]
अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडितपुत्ते वासिटे गुत्तेणं अडुट्ठाई है। वारसो समणसयाई वाएइ, थेरे मोरिअपुत्ते कासवे गुत्तेणं अडुट्ठाई समणसयाई वाएइ, थेरे है। अकंपिए गोयमे' गुत्तेणं-थेरे अयलभाया हारिआयणे गुत्तेणं-पत्तेयं एते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाएंति, थेरे अजमेइज्जे-थेरे पभासे-एए दुण्णिवि थेरा कोडिन्ना गत्तेणं तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाएंति।से तेणट्रेणं अजो! एवं वुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥३॥ सवेवि णं एते समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा दुवालसंगिणो चउदसपुविणो समत्तगणिपिडगधारगारायगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं कालगया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा॥ थेरे इंदभूई, थेरे अजसुहम्मे य सिद्धिगए महावीरे पच्छा दुण्णिवि थेरा परिनिवुया ॥ जे |
१ गोयमसगुत्तेणं (क० कि०, क० सु०) २ इकारस (क० कि०, क० सु०)
दीप अनुक्रम [२१५]
SAKASAEBACKASANA
~ 105~
Page #107
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४] / गाथा.||-|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
3
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[४]
इमे अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, एए णं सवे अजसुहम्मस्स अणगारस्स आवचिज्जा, अवसेसा गणहरा निरवच्चा वुच्छिन्ना॥४॥समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं.। समणस्सणं भगवओ महावीरस्स कासवगुत्तस्स अजसुहम्मे थेरे अंतेवासी अग्गिवेसायणगुत्ते १, थेरस्स णं अज्जसुहम्मस्स अग्गिवेसायणगुत्तस्स अजजंबुनामे थेरे अंतेवासी है। कासवगुत्तेणं २,थेरस्सणं अज्जजंबुणामस्स कासवगुत्तस्स अज्जप्पभवेथेरे अंतेवासी कच्चा-2 यणसगुत्ते ३, थेरस्स णं अज्जप्पभवस्स कच्चायणसगुत्तस्स अजसिजंभवे थेरे अंतेवासी मणगपिया वच्छसगुत्ते४, थेरस्स णं अजसिजंभवस्स मणगपिउणो वच्छसगुत्तस्स अज्ज-12 जसभद्दे थेरे अंतेवासी तुंगियायणसगुत्ते ॥५॥ संखित्तवायणाए अज्जजसभद्दाओ अग्गओ एवं थेरावली भणिया, तंजहा-थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अजसंभूअविजए माढरसगुत्ते, थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते, थेरस्सणं
दीप अनुक्रम [२१७]]
54ARADAS
सुधर्मास्वामिन: आरभ्य स्थवीरावली प्रकाश्यते
~ 106~
Page #108
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[६] | गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत
॥५१॥
सूत्रांक/
गाथांक [६]
अजसंभूअविजयस्स माढरसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अजथूलभद्दे गोयमसगुत्ते, थेरस्स णं बारसो अजथूलभहस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अजमहागिरी एलावच्चसगुत्ते, थेरे अजसुहत्थी वासिटुसगुत्ते, थेरस्स णं अजसुहत्थिस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा सुट्ठियसुप्पडिबुद्धा कोडियकाकंदगा वग्यावच्चसगुत्ता, थेराणं सुट्ठियसुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदगाणं वग्यावच्चसगुत्ताणं अंतेवासी थेरे अजइंददिन्ने कोसियगुत्ते, थेरस्स णं अजइंददिन्नस्स कोसियगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अजदिन्ने गोयमसगुत्ते, थेरस्स, णं अज्जदिन्नस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अन्जसीहगिरी जाइस्सरे कोसियगुत्ते, थेरस्स णं अजसीहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अजवइरे । गोयमसगुत्ते, थेरस्स णं अजवइरस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जवइरसेणे उक्कोसियगुत्ते, थेरस्स णं अजवइरसेणस्स उक्कोसिअगुत्तस्स अंतेवासी चत्तारि थेरा
READCLOADCCCCCCC
दीप
अनुक्रम [२२२]
॥५१॥
~ 107~
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[६] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
**
प्रत
सूत्रांक/
***
गाथांक [६]
-थेरे अजनाइले १ थेरे अजपोमिले २ थेरे अजजयंते ३ थेरे अन्जतावसे ४, थेराओ । अजनाइलाओ अज्जनाइला साहा निग्गया, थेराओ अज्जपोमिलाओ अज्जपोमिला साहा निग्गया, थेराओ अज्जजयंताओ अज्जजयंती साहा निग्गया, थेराओ अज्जतावसाओ अन्जतावसी साहा निग्गया ४ इति ॥६॥ वित्थरवायणाए पुण अज्जजसभहाओ पुरओ : थेरावली एवं पलोइज्जइ, तंजहा-थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते, थेरे अजसंभूअविजए माढरसगुत्ते, थेरस्स णं अजभद्दबाहुस्स पाईणसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे गोदासे १, थेरे अग्गिदत्ते २,* थेरे जण्णदत्ते ३, थेरे सोमदत्ते ४ कासवगुत्तेणं, थेरेहिंतो गोदासेहिंतो कासवगुत्तेहिंतो है
१ विलोइजह (क० कि०)
*
दीप अनुक्रम [२२२
अथ स्थावीरावले: विस्तृत-वाचना कथयते
~ 108~
Page #110
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[७]]
कम्प इत्थणं गोदासगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिजंति, बारसो ॥५२॥ तंजहा-तामलित्तिया १, कोडीवरिसिया २, पंडुवद्धणिया ३, दासीखब्बडिया ४, थेरस्सणं
अजसंभूयविजयस्स माढरसगुत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया ।। हुत्था, तंजहा-नंदणभदुश्वनंदण-भद्दे२ तह तीसभद्द ३ जसभद्दे ४ । थेरे य सुमणभद्दे ५,३ मणिभद्दे ६ पुण्णभद्दे ७ य॥१॥ थेरे अथूलभद्दे ८, उज्जुमई ९ जंबुनामधिज्जे १० य। थेरे अ दीहभद्दे ११,थेरे तह पंडुभद्दे १२ य॥२॥थेरस्स णं अजसंभूअविजयस्स माढर-15 सगुत्तस्स इमाओ सत्त अंतेवासिणीओ अहावच्चाओअभिण्णायाओ हुत्था,तंजहा-जक्खा य जक्खदिण्णा २, भूया ३ तह चेव भूयदिण्णा यथासेणा ५वेणा ६ रेणा७, भगिणीओ थूलभद्दस्स ॥१॥थेरस्स णं अजथूलभद्दस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहा८.१ पोंडवद्धणिआ (क० कि०) २ सुमिणभद्दे (क० कि०, क० सु०) ३ गणिभद्दे (क० कि० क० सु०)
दीप अनुक्रम [२२७]
॥५२॥
~ 109~
Page #111
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
S
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
HARE
[७]
वच्चा अभिण्णाया हुत्था,तंजहा-थेरे अजमहागिरी एलावच्चसगुत्ते १, थेरे अजसुहत्थी वासिद्रसगुत्ते२,थेरस्सणं अज्जमहागिरिस्स एलावच्चसगुत्तस्स इमे अथेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे उत्तरे १,थेरे बलिस्सहे २,थेरे धणड्डे ३,थेरे सिरिड्डे४, थेरे कोडिन्ने ५, थेरे नागे६,थेरे नागमित्ते७,थेरे छलूए रोहगुत्ते कोसियगुत्तेणं ८,थेरेहितो | णं छलूएहितो रोहगुत्तेहिंतो कोसियगुत्तेहिंतो तत्थ णं तेरासिया निग्गया। थेरेहितो णं । उत्तरबलिस्सहेहिंतो तत्थ णं उत्तरबलिस्सहे नामं गणे निग्गए-तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-कोसंबिया १,सोईत्तिया २, कोडंबाणी ३, चंदनागरी ४, थेरस्स णं अजसुहत्थिस्स वासिद्धसगुत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अ अज्जरोहण १, जसभद्दे २ मेहगणी ३ य कामिड्डी ४॥
१ सुत्तिवत्तिा (क० कि०, क० सु०)
SARKARISEX
दीप
अनुक्रम [२२७]]
*
| विविध गण एवं शाखाया: वर्णनं क्रियते
~110~
Page #112
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
||२||
कल्प० । सुद्विय ५ सुप्पडिबुद्धे ६, रक्खिय ७ तह रोहगुत्ते ८ अ॥१॥ इसिगुत्ते ९ सिरिगुत्ते - वारसो ॥५३॥ १०, गणी अ बंभे ११ गणी य तह सोमे १२। दस दो अ गणहरा खलु, एए सीसा |
सुहत्थिस्स ॥२॥थेरेहितो णं अजरोहणेहिंतो णं कासवगुत्तेहिंतो णं तत्थ णं उद्देहगणे । नामंगणे निग्गए, तस्सिमाओ चत्तारि साहाओ निग्गयाओ, छच्च कुलाई एवमाहिजंति । से किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-उदुंबरिज्जिया १, मासपूरिआ २, मइपत्तिया ३, पुणपत्तिया ४, से तं साहाओ, से किं तं कुलाइं ? कुलाई ४/ एवमाहिजंति, तंजहा-पढमं च नागभूयं, बिइयं पुण सोमभूइयं होइ । अह उल्लगच्छ । तइअं ३, चउत्थयं हत्यलिजं तु॥१॥ पंचमगं नंदिजं ५, छटुं पुण पारिहासयं ६ होइ। उद्देहगणस्सेए, छच्च कुला हुंति नायवा ॥२॥थेरेहिंतो णं सिरिगुत्तेहिंतो हारियसगुत्ते
१ पणपत्तिा (क० कि०, क० सु . )
दीप
अनुक्रम [२३३]
॥५३॥
~ 111~
Page #113
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
SESASRASARStest
[७]
हिंतो इत्थ णं चारणगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ, सत्त । य कुलाइं एवमाहिजंति, से किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिज्जंति, तंजहा-हारियमालागारी १, संकासीआ २, गवेधुया ३, वजनागरी ४। से तं साहाओ, से किं तं सकुलाइं ? कुलाइं एवमाहिज्जंति, तंजहा,-पढमित्थ वत्थलिज्जं १, बीयं पुण पीइधम्मिों २ होइ । तइ पुण हालिज्जं ३, चउत्थयं पूसमित्तिजं ॥ १॥ पंचमगं मालिजं ५, छटुं, पुण अजवेडयं ६ होइ। सत्तमयं कण्हसहं ७, सत्त कुला चारणगणस्स ॥२॥ थेरेहितो भद्दजसेहिंतो भारद्दायसगुत्तेहिंतो इत्थ णं उडुवाडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ तिण्णि कुलाई एवमाहिजंति, से किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-चंपिजिया १ भद्दिजिया २ काकंदिया ३ मेहलिज्जिया ४। सेतं । साहाओ, से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिजंति, तंजहा,-भद्दजसियं १ तह भद्द
दीप अनुक्रम [२४१]
~ 112~
Page #114
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
S
बारसो
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[७]]
कल्प० गुत्तियं २ तइयं च होइ जसमदं ३। एयाई उड्डुवाडिय-गणस्स तिण्णेव य कुलाई | ॥५४॥ ॥१॥थेरेहिंतो णं कामिड्डीहिंतो कोडालसगुत्तेहिंतो इत्थ णं वेसवाडियगणे नामं गणे ।
निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ चत्तारि कुलाई एवमाहिजंति । से किं तर साहाओ? सा तंजहा,-सावत्थिया १ रजपालिआ२, अंतरिजिया३, खेमलिज्जिया ४ से तं साहाओ, से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिजंति, तंजहा,-गणियं १ मेहिय २
कामड्डिअं३ च तह होइ इंदपुरगं ४ च । एयाइं वेसवाडिय-गणस्स चत्तारि उ कुलाई &॥१॥थेरेहिंतो णं इसिगुत्तेहिंतो काकंदएहिंतो वासिट्ठसगुत्तेहिंतो इत्थ णं माणवगणे ।
नामंगणे निग्गए, तस्स णं इमाओचत्तारि साहाओ, तिणि य कुलाई एवमाहिजंति,से कि तं साहाओ? साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा, कासवजिया १,गोयमजिया २,वासिट्रिया , ३, सोरट्ठिया ४ से तं साहाओ, से किं तं कुलाई ? कुलाइं एवमाहिजंति, तंजहा,-इसिगु
दीप अनुक्रम [२४३]
EASEE*
॥ ५४॥
~ 113~
Page #115
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
त्ति इत्थ पढमं १, बीयं इसिदत्तिअं मुणेयत्वं २। तइयं च अभिजयंतं ३, तिण्णि कुला माणवगणस्स ॥१॥ थेरेहिंतो सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धेहिंतो कोडिय-काकंदएहिंतो वग्घा-// वच्चसगुत्तेहिंतो इत्थ णं कोडियगणे नामंगणे निग्गए, तस्सणं इमाओ चत्तारि साहाओ, चत्तारि कुलाई एवमाहिज्जंति । से किं तं साहाओ? साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-उच्चानागरि १ विजाहरी य २ वइरी य ३ मज्झिमिल्ला ४ य। कोडियगणस्स एया, हवंति। चत्तारि साहाओ॥१॥से तं साहाओ॥से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिजंति, तंजहा-12 पढमित्थ बंभलिजं १, बिइयं नामेण वत्थलिजंतु २। तइयं पुण वाणिजं ३, चउत्थयं । पहवाहणयं ४॥१॥थेराणं सुट्ठियसुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदयाणं वग्घावच्चसगुत्ताणं | इमे पंच थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अजइंददिन्ने १ थेरे।
CALCALCOCCASIA
||१||
दीप
अनुक्रम [२४५]
~ 114~
Page #116
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[७]
पियगंथे २ थेरे विजाहरगोवाले कासवगुत्ते णं३ थेरे इसिदिन्ने थेरे अरिहत्तेदाराबारसो ॥५५॥ 8थेरेहितोणं पियगंथेहिंतो एत्थ णं मज्झिमा साहा निग्गया, थेरेहितोणं विजाहरगोवाले
हिंतो कासवगुत्तेहिंतो एत्थ णं विजाहरी साहा निग्गया॥थेरस्स णं अजइंददिन्नस्स कासदावगुत्तस्स अज्जदिने थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते। थेरस्सणं अजदिन्नस्स गोयमसगुत्तस्स
इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं०-थेरे अजसंतिसेणिए माढरसगुत्ते १, थेरे अजसीहगिरी जाइस्सरे कोसियगुत्ते २। थेरेहिंतो णं अजसंतिसेणिएहितो । माढरसगुत्तेहिंतो एत्थ णं उच्चानागरी साहा निग्गया । थेरस्स णं अज्जसंतिसेणियस्स माढरसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा(ग्रं० १००० ) थेरे अजसेणिए, थेरे अज्जतावसे, थेरे अन्जकुबेरे, थेरे अज्जइसिपा
१ इसिदत्ते (क० सु०, क० कि०)
दीप
अनुक्रम [२४७]
CSCIENCERS
५५॥
CARRCCES
... अत्र बारसा-सूत्रस्य १००० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 115~
Page #117
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[७]
दीप
अनुक्रम
[२५० ]
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं सूत्र. [७] / गाथा || || मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
लिए । थेरेहिंतो णं अजसेणिएहिंतो एत्थ णं अज्जसेणिया साहा निग्गया, थेरेहिंतो णं अज्जतावसेहिंतो एत्थ णं अजतावसी साहा निग्गया, थेरेहिंतो णं अजकुबेरेहिंतो एत्थ णं अजकुबेरी साहा निग्गया, थेरेहिंतो णं अज्जइसिपालिएहिंतो एत्थ णं अज्जइसिपालिया साहा निग्गया । थेरस्स णं अजसीहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे धणगिरी, थेरे अज्जवइरे, थेरे अज्जसमिए, धेरे अरिहदिने । थेरेहिंतो णं अज्जसमिएहिंतो गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं बंभदीविया साहा निग्गया, थेरेहिंतो णं अजवइरेहिंतो गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं अजवइरी साहा निग्गया । थेरस्स णं अजवइरस्स गोयमसगुत्तस्स इमे तिष्णि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जवइरसेणे, थेरे अजपउमे, थेरे अजरहे । थेरेहिंतो १ अअकुबेरि (क० कि० )
~ 116 ~
Page #118
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
॥५६॥
सूत्रांक/
गाथांक
णं अजवइरसेणेहिंतो इत्थ णं अजनाइली साहा निग्गया, थेरेहितोणं अजपउमेहिंतो इत्थ बारसो णं अजपउमा साहा निग्गया,थेरेहिंतोणं अजरहेहिंतो इत्थ णं अजजयंतीसाहा निग्गया। थेरस्सणं अजरहस्सवच्छसगुत्तस्सअजपूसगिरी थेरे अंतेवासी कोसियगुत्ते।थेरस्सणं अजपूसगिरिस्स कोसियगुत्तस्स अजफग्गुमित्ते थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते। थेरस्सणं अजफग्गुमित्तस्स गोयमसगुत्तस्स अजधणगिरी थेरे अंतेवासी वासिद्धसगुत्ते ।थेरस्स णं अज
धणगिरिस्स वासिद्धसगुत्तस्स अन्जसिवभूई थेरे अंतेवासी कुच्छसगुत्ते।थेरस्सणं अजसिविभूइस्स कुच्छसगुत्तस्स अन्जभद्दे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते।थेरस्सणं अज्जभद्दस्स कासवगुत्तस्स अज्जनक्खत्ते थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते।थेरस्सणं अज्जनक्खत्तस्स कासवगुत्तस्स अ-IPI जरक्खे थेरे अंतेवासीकासवगुत्ते।थेरस्सणं अजरक्खस्स कासवगुत्तस्स अजनागेथेरे अंतेवासी गोअमसगुत्ते । थेरस्स णं अन्जनागस्स गोअमसगुत्तस्स अजजेहिले थेरे अंतेवासी
दीप अनुक्रम [२५३]
54504675452-
53-57
॥५६॥
~117~
Page #119
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[७]
*****
वासिटुसगुत्ते। थेरस्स णं अजजेहिलस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अजविण्हू थेरे अंतेवासी माढर-18 सगुत्ते । थेरस्स णं अजविण्हुस्स माढरसगुत्तस्स अजकालए थेरे अंतेवासी गोयमस-k गुत्ते। थेरस्स णं अजकालयस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी गोयमस-1 गुत्ता-थेरे अजसंपलिए १, थेरे अज्जभद्दे २। एएसि णं दुण्हवि थेराणं गोयमसगुत्ताणं है अजवुड्ढे थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते । थेरस्सणं अजवुड्डस्स गोयमसगुत्तस्स अजसंघपालिए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते । थेरस्स णं अजसंघपालिअस्स गोयमसगुत्तस्स अजहत्थी थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते । थेरस्स णं अजहत्थिस्स कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे अंतेवासी सावयगुत्ते । थेरस्सणं अजधम्मस्स सावयगुत्तस्स अन्जसिंहे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते। थेरस्सणं अजसिंहस्स कासवगुत्तस्स अजधम्मे घेरे अंतेवासी
१ दुवे (क० कि०, क० सु०)
दीप
अनुक्रम [२५८]
KARIST.
~ 118~
Page #120
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
वारसो
प्रत
॥५७॥
सूत्रांक/
गाथांक
||२||
कासवगुत्ते । थेरस्स णं अजधम्मस कासवगुत्तस्स अजसंडिल्ले थेरे अंतेवासी॥ वंदामि फग्गुमित्तं, च गोयमं धणगिरिं च वासिटुं । कुच्छं सिवभूइंपिय, कोसिय दुजंतकण्हे अ॥१॥ ते वंदिऊण सिरसा, भदं वंदामि कासवसगुत्तं । नक्खं कासवगुत्तं, रक्खंपिय कासवं वंदे ॥२॥ वंदामि अन्जनागं, च गोयमं जेहिलं च वासिटुं। विण्डं माढरगुत्तं, कालगमवि गोयमं वंदे॥३॥गोयमगुत्तकुमारं, संपलियं तय भयं वंदे। थेरं च अज्जबुडूं, गोयमगुत्तं नमसामि॥४॥तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्तचरित्तनाणसंपन्नं । थेरं च संघवालिय, गोयमगुत्तं पणिवयामि ॥५॥वंदामि अजहत्थि, च कासवं खंतिसागरं धीरं । गिम्हाण पढममासे, कालगयं चेव सुद्धस्स ॥६॥वंदामि अजधम्म, च सुव्वयं सीललद्धिसंपन्नं । जस्स निक्खमणे देवो, छत्तं वरमुत्तमं वहइ ॥७॥ हत्थि
१ कासवं गोत्तं २ कासव० (क० कि०)
दीप
SSASSACROCRACC
ACCORRECle+
अनुक्रम [२५५]
ININ५७॥
अथ विविध आर्याणां (साधुनाम्) वंदना क्रियते
~ 119~
Page #121
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[-] / गाथा.||८|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
मुनि दीपरत. मूल
*
प्रत
सूत्रांक/
845464%25442
******
गाथांक
||८||
कासवगुत्तं, धम्म सिवसाहगं पणिवयामि।सीहं कासवगुत्तं, धम्मंपिय कासवं वंदे॥८॥ तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्तचरित्तनाणसंपन्नं । थेरं च अज्जजंबु, गोयमगुत्तं नमसामि ॥९॥ मिउमद्दवसंपन्नं, उवउत्तं नाणदंसणचरित्ते। थेरं च नंदियंपिय. कासवगत्तं पणिवयामि ॥१०॥ तत्तो य थिरचरितं, उत्तमसम्मत्तसत्तसंजुतं । देसिगणिखमासमणं, माढरगुत्तं नमसामि ॥११॥ तत्तो अणुओगधरं, धीरं मइसागरं महासत्तं। थिरगुत्तखमासमणं, वच्छसगुत्तं पणिवयामि॥ १२॥ तत्तो य नाणदंसण-चरित्ततवसुट्रियं गुणमहंतं। थेरं कुमारधम्म, वंदामि गणिं गुणोवेयं ॥ १३ ॥सुत्तत्थरयणभरिए, खमदममद्दवगुणेहिं संपन्ने । देविड्डिखमासमणे, कासवगुत्ते पणिवयामि ॥ १४॥
(स्थविरावली संपूर्णा) ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे ।
दीप
**
अनुक्रम [२६२]
455
**
अत्र स्थवीरावली-वाचना परिसमाप्ता:
अथ "सामाचारी" नामक तृतीय वाचना आरभ्यते
~ 120~
Page #122
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१]
कल्प० । विइकते वासावासं पजोसवेइ ॥१॥से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ ‘समणे भगवं महावीरे , बारसो ॥ ५८॥ वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावासं पजोसवेइ ? जओ णं पाएणं अगारीणं ६
अगाराइं कडियाइं उक्कंपियाई छन्नाई लित्ताइंगुत्ताई घटाई मट्ठाई संपधूमियाइं खाओदगाई। खायनिद्धमणाई अप्पणो अट्टाए कडाइं परिभुत्ताइं परिणामियाई भवंति, से तेणटेणं, एवं वुच्चइ 'समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्वते वासावासं पज्जोसवेइ ॥२॥ जहा णं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्वते वासा-5 वासं पजोसवेइ, तहा णं गणहरावि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पजो-3 सविंति ॥३॥ जहा णं गणहरा वासाणं सवीसइराए जाव पजोसविंति, तहा णं गणहरसीसाचि वासाणं जाव पजोसविंति॥४॥ जहा णं गणहरसीसा वासाणं जाव पञ्जोसविंसि, तहा णं थेरावि वासावासं पजोसविंति ॥५॥ जहा णं थेरा वासाणं जाव पजो
दीप अनुक्रम [२६४]
॥५८॥
सामाचारी- वर्षावास (चातुर्मास)-दिवसानाम् मर्यादा-कथनं
~ 121~
Page #123
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[६] / गाथा.||-|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [६]
जोसविंति, तहा णं जे इमे अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, तेविअ णं वासाणं | जाव पजोसविंति ॥६॥ जहा णं जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावासं पजोसविंति, तहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविंति ॥७॥ जहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव। पजोसविंति, तहा णं अम्हेवि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पजोसवेमो, अंतरावि य से कप्पइ, नो से कप्पइ तं रयणि उवाइणावित्तए॥८॥वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सवओ समंता सक्कोसं जोयणं उग्गह
ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं अहालंदमवि उग्गहे ॥९॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सम्बओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए॥ १०॥ जत्थ नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पइ सबओ समंता सकोसं
दीप
अनुक्रम [२६९]
साधु-साध्वीनाम् कल्प्याकल्प्य-वर्णनं
~ 122 ~
Page #124
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________________
दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[११]
दीप
अनुक्रम
[२३३]
कल्प०
॥ ५९ ॥
5645%
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [११] / गाथा ||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥ ११ ॥ एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सबओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पड़िनियत्त ॥ १२ ॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ सबओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पड़िनियत्त ॥ १३ ॥ वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुत्रं भवइ - दावे भंते! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ | पड़िगाहित्त ॥ १४ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुत्रं भवइ - पड़िगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ पड़िगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्त ॥ १५ ॥ वासावासं० दावे भंते! पडिगाहे भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तएवि पडिगाहित्तएवि ॥ १६ ॥ वासावासं पञ्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरोगाणं बलिय सरीराणं इमाओ नव रसविगइओ अभिक्खणं २ आहारितए, तंजहा - खीरं
~123~
बारसो
।। ५९ ।।
Page #125
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[१७] / गाथा.||-|| ..... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१७]
१, दहिं २, नवणीयं ३, सप्पि४, तिल्लं ५, गुडं ६, महुं ७, मजं ८, मंसं ९॥ १७॥ वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगइआणं एवं वृत्तपुत्वं भवइ, अट्ठो भंते ! गिलाणस्स, से य । पुच्छियवे-केवइएणं अट्ठो ? से वएज्जा-एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, जं से पमाणं वयह से य पमाणओ चित्तवे, से य विन्नविजा, से य विन्नवेमाणे लभिजा, से य पमाणपत्ते होउ अलाहि-इय वत्तवं सिआ? से किमाहु भंते!?, एवइएणं अट्रो गिलाणस्स, सियाणं एवं |वयंतं परो वइजा-पडिगाहेह अजो! पच्छा तुमं भोक्खसि वा पाहिसि वा, एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए ॥ १८॥ वासावासं| |पजो० अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराइं कुलाई कडाइं पत्तिआई थिजाई वेसासियाई। समयाइं बहुमयाइं अणुमयाइं भवंति, जत्थ से नो कप्पइ अदक्खु वइत्तए “ अस्थि ते आउसो! इमं वा २” से किमाहु भंते !?, सड्डी गिही गिण्हइ वा, तेणियंपि कुजा ॥१९॥
35*3455445CE
दीप
CAREECECCHECK
अनुक्रम [२७७]
~ 124 ~
Page #126
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________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[२०] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२०]
वासावासं पजोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोअरकालं गाहावइ-16 बारसो कुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थायरियवेयावच्चेण वाद एवं उवज्झायवे तवस्सिवे० गिलाणवे. खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अवंजणजायएण वा है। ॥२०॥वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-जं से । पाओ निक्खम्म पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय से य है। संथरिजा, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तट्टेणं पज्जोसवित्तए-से य नो संथरिजा, एवं से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२१॥ वासावासं पजोसवियस्स छटुभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख० पविसि ॥२२॥ वासावासं पज्जोसवियरस अट्टमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओगोअरकालागाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वानिक्खमि०पविस०
दीप अनुक्रम [२८०
1646400445649
**
~ 125~
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[२३] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२३]
॥२३॥ वासावासं पजोसवियस्स विगिभत्तिअस्स भिक्खुस्स कप्पंति सवेवि गोअरकाला गाहा० भ० पा० निक्खमि० पविसि ॥२४॥ वासावासं पजोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सवाइं पाणगाइं पडिगाहित्तए। वासावासं पजोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा-ओसेइम, संसेइम, चाउलोदगं वासावासं पज्जोसवियस्स छद्रभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-तिलोदगंवा,तुसोदगंवा, जवोदगं वा। वासावासं पजोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-आयामेवा, सोवीरे वा,
सुद्धबियडे वा । वासावासं पज्जोयवियस्स विगिभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणटवियडे पडिगाहित्तए, सेविय णं असित्थे नोविय णं ससित्थे । वासावासं पजोसवियस्स
भत्तपडियाइक्खियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, सेविय णं
दीप
अनुक्रम [२८३]
~ 126~
Page #128
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२५] / गाथा.||-|| ...... मनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२५]
कल्प० । असित्थे नो चेव णं ससित्थे, सेविय णं परिपूए नो चेव णं अपरिपूए, सेविय णं बारसो ॥ ६१॥
परिमिए नो चेव णं अपरिमिए, सेविअ णं बहुसंपन्ने नो चेव णं अबहसंपन्ने वासावासं पन्जोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोअणस्स पडि-41 गाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोअणस्स पंच पाणगस्स. अहवा पंच भोअणस्स चत्तारि पाणगस्स । तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायणमित्तमवि पडिगाहिआ सिया, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पजोसवित्तए, नो से कप्पइ दुचंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२६॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एगे एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचा-12] रिस्स इत्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नोकप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संनियट्ट
दीप
अनुक्रम [२९०]
॥६१
॥
~ 127~
Page #129
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
चारिस्स इत्तए ॥२७॥ वासावासं पजोसवियस्स नो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणगफुसियमित्तमवि बुटिकायंसि निवयमाणंसि जाव गाहावइकुलं भ. पा. निक्खा पविसित्तए वा ॥२८॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कप्पइ अगिहंसि पिंडवायं पडिगाहित्ता पन्जोसवित्तए, पजोसवेमाणस्स सहसा वुट्टिकाए निवइज्जा देसं भुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणिं परिपिहित्ता उरंसि वा णं निलिजिज कक्खंसि वा णं समाहडिजा, अहाछन्नाणि वा लेणाणि वा उवागच्छिज्जा. रुक्खमलाणि
वा उवागच्छिज्जा, जहा से पाणिंसि दए वा दगरए वा दगफुसिआ वा नो परिआवज्जइ 18/॥२९॥वासावासं पज्जोसवियरस पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसि
यमित्तंपि निवडति, नो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥३०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पडिग्गहधारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ
गाथांक [२७]
5-5%25A5
दीप
अनुक्रम [२९५]
-5-153
~ 128~
Page #130
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प० ॥१२॥
प्रत सूत्रांक/
%
गाथांक
[३१]
वग्धारियबुट्ठिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए हैं। वा, कप्पइ से अप्पवुट्टिकायंसि संतरुत्तरंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख-* है मित्तए वा पविसित्तए वा ॥३१॥ (ग्रं० ११००) वासावासं पज्जोसविअस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए । निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा, अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे । रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए ॥३२॥ तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे पच्छा-2 उत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से चाउलोदणे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडि-३ गाहित्तए ॥३३॥ तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसवे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए ॥३४॥ तत्थ से पुवागमणेणं दोवि पुवाउत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगाहित्तए । तत्थ से पुवागमणेणं ।।.
दीप
अनुक्रम [२९८]
॥६२॥
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ११०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 129~
Page #131
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३५] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३५]
दोवि पच्छाउत्ताई,एवं नो से कप्पंति दोवि पडिगाहित्तए,जे से तत्थ पुवागमणेणं पुवाउत्ते, है। से कप्पइ पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥३५॥ वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २बुट्टिकाए निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ । पुवगहिएणं भत्तपाणेणं वेलं उवायणावित्तए, कप्पइ से पुवामेव वियडगं भुच्चा पडिग्गहगं ? संलिहिय २ संपमन्जिय २ एगाययं भंडगं कट्ट सावसेसे सूरे जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवायणावित्तए ॥३६॥ वासावासं पजोसवियस्स। निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविद्स्स निगिज्झिय २| बुट्टिकाए निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा उवागच्छित्तए ।
दीप अनुक्रम
[३००
~ 130 ~
Page #132
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
1६३॥
सूत्रांक/
गाथांक [३७]
कल्प० |॥३७॥ तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्ठित्तए १, बारसो
तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स दुण्हं निग्गंथीणं एगयओ चिट्रित्तए २, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिद्रित्तए ३, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं दुण्हं निग्गंथीण य एगयओ चिट्रित्तए ४ । अत्थि य इत्थ केइ । पंचमे खुड्डए वा खुड्डिया इ वा अन्नेसिं वा संलोए सपडिदुवारे एव ण्हं कप्पइ एगयओ चिद्वित्तए॥३८॥ वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए ?
अणुपविद्धस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे। 18/उवस्सयंसि वा उवागच्छित्तए, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य अगारीए ६ एगयओ चिद्वित्तए, एवं चउभंगी। अत्थि णं इत्थ केइ पंचमए थेरे वा थेरिया वा
अन्नेसिं वा संलोए सपडिदुवारे, एवं कप्पइ एगयओ चिट्ठित्तए । एवं चेव निग्गंथीए ।
दीप अनुक्रम [३००]
|॥६३
।
~ 131~
Page #133
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३९] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम् मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [३९]
अगारस्स य भाणियत्वं ॥ ३९ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अपरिण्णएणं अपरिणयरस अट्ठाए असणं वा १ पाणं वा २ खाइमं वा ३/ साइमंवा ४ जाव पडिगाहित्तए॥४०॥से किमाहु भंते ? इच्छा परो अपरिण्णए भुंजिजा, इच्छा परो न भुंजिजा ॥४१॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गं-18 थीण वा उदउल्लेण वा ससिणिद्देण वा काएणं असणं वा १ पा०२खा० ३सा०४ आहारित्तए॥४२॥से किमाहु भंते? सत्त सिणेहाययणा पण्णत्ता, तंजहा-पाणी 1, पाणिलेहा २, नहा ३, नहसिहा ४, भमुहा ५, अहरोट्टा ६, उत्तरोटा ७। अह पुण एवं जाणिज्जा-विगओदगे मे काए छिन्नसिणेहे, एवं से कप्पइ असणं वा १ पा०२खा०३सा०४ आहारित्तए ॥४३॥ वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाई अट्ट सुहुमाइं, जाइं छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियवाइं पासि
दीप
अनुक्रम [३०२]
प्राण, पनग आदि अष्ट सूक्ष्माणां वर्णनं
~ 132~
Page #134
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४४] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
SROSCA
सूत्रांक/
गाथांक [४४]
कल्प० । अवाई पडिलेहियवाई भवंति, तंजहा-पाणसुहुमं १, पणगसुहुमं २, बीअसुहुमं ३, बारसो ॥ १४ ॥ हरियसुहुमं ४, पुप्फसुहुमं ५, अंडसुहुमं ६, लेणसुहुमं ७, सिणेहसुहुमं ८॥४४॥
से किं तं पाणसुहुमे ? पाणसुहुमे पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-किण्हे १, नीले २, लोहिए ३, ४ हालिद्दे ४, सुकिल्ले ५। अत्थि कुंथु अणुधरी नाम, जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा नो चक्खुफासं हवमागच्छइ, जा अट्रिया चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चक्खुफासं हवमागच्छइ, जा छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियवा पासियवा पडिलेहियवा हवइ, से तं पाणसुहुमे १॥से किं तं पणगसुहुमे ? पणगसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा,-किण्हे, ।। नीले, लोहिए, हालिद्दे, सुकिल्ले । अत्थि पणगसुहुमे तद्दवसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे । छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहिअबे भवइ । से तं पणगसुहमे २॥
दीप
अनुक्रम [३०५]
॥
४॥
NCY ASAX
~ 133~
Page #135
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४५] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [४५]
ॐॐॐ5555555
से किं तं बीअसुहुमे ? बीयसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले । अत्थि : बीअसुहुमे कण्णियासमाणवण्णए नामं पन्नत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियत्वे भवइ।से तं बीअसुहुमे ३॥ से किं तं हरियसुहुमे ? हरियसुडुमे पंचविहे | पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले। अस्थि हरिअसुहमे पुढवीसमाणवण्णए नामं पण्णत्ते, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २जाणियवे पासियत्वे पडिलेहियत्वे भवइ ।से तं हरियसुहुमे ४॥ से किंतं पुप्फसुहुमे ? पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले। अत्थि पुप्फसुहुमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियत्वे जाव पडिलेहियत्वे भवइ । से तं पुप्फसुहमे ५॥ से किं तं ।
अंडसुहुमे ? अंडसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उइंसंडे, उक्कलियंडे, पिपीलिअंडे, * हलिअंडे, हल्लोहलिअंडे, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियवे भवइ । से तं
SACAMACHARCORNO
दीप अनुक्रम [३०८]
~ 134 ~
Page #136
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४५] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत सूत्रांक/
॥६५॥
गाथांक [४५]
कल्प० ||अंडसुहुमे ६॥ से किं तं लेणसुहुमे ? लेणसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उत्तिंगलेणे, | बारसो
भिंगुलेणे,उजुए, तालमूलए, संबुक्कावट्टे नामं पंचमे, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियवे जाव पडिलेहियत्वे भवइ । से तं लेणसुहमे ७॥से किं तं सिणेहसुहमे ? सि-21 णेहसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उस्सा, हिमए, महिया, करए, हरतणुए। जे छउ-13 मत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं२ जाव पडिलेहियत्वे भवइ । से तं सिणेहसुहुमे ८॥ ४५ ॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेअयं जंवा पुरओ काउंविहरइ, कप्पइ से आपुच्छिउं आयरियं वा जाव जं वा पुरओ काउं विहरइ-इच्छामि णं भंते तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमि० पविसि०
दीप
अनुक्रम [३११]
~ 135~
Page #137
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४६] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
6252625
सूत्रांक/
गाथांक [४६]
ते य से वियरिज्जा, एवं से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा जाव पविसित्तए, ते य से नो वियरिजा, एवं से नो कप्पइ भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमि० पविसि ।से। किमाहु भंते!? आयरिया पच्चवायं जाणंति॥४६॥ एवं विहारभूमि वा वियारभूमि वा अन्नं वा जंकिंचि पओअणं, एवं गामाणुगामं दूइजित्तए॥४७॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरिं विगइं आहारित्तए, नो से कप्पइ से अणापुच्छित्ता आयरियं । वा जाव गणावच्छेययं वा जंवा पुरओ कडे विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं । जाव आहारित्तए-'इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अन्नयरिं विगई आहारित्तए एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिजा, एवं से कप्पइ अण्णयरिं विगई आहारित्तए, ते य से नो वियरिज्जा, एवं से नो कप्पइ अण्णयरिं विगई आहारित्तए, से किमाहु भंते!? आयरिया पच्चवायं जाणंति॥४८॥वासावासं पजोसविए भिक्खू इच्छिज्जा
दीप
अनुक्रम [३१४]
******
| 'विगईग्रहण संबंधी मर्यादाया; वर्णनं
~ 136~
Page #138
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४९] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
5
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[४९]
कल्प० । अण्णयरिं तेइच्छियं आउट्टित्तए,तं चेवसवं भाणियवं॥४९॥वासावासं पजोसविए भिक्ख । बारसो
इच्छिज्जा अण्णयरं कल्लाणं सिवं धण्णं मंगलं सस्सिरीयं महाणुभावंतवोकम्मं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, तं चेव सवं भाणियवं ॥५०॥ वासावासं पन्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा है। अपच्छिममारणंतियसंलेहणाजूसणाजुसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरित्तए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं वा १पा०२खा० ३ सा० वा ४ आहारित्तए वा, उच्चारं वा पासवणं वा परिद्वावित्तए, सज्झायं वा करित्तए, धम्मजागरियं वा जागरित्तए। नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता, तं चेव सत्वं ॥५१॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा अण्णयरिं वा । उवहिं आयावित्तए वा पयावित्तए वा। नो से कप्पइ एगं वा अणेगं वा अपडिण्णवित्ता । गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमि० पविसि० असणं १ पा० २ खा० ३ सा० ।
दीप अनुक्रम [३१७]
625******
~ 137~
Page #139
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१२] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१२]
४ आहारित्तए, बहिया विहारभूमि वा वियारभूमिं वा सज्झायं वा करित्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए। अत्थि य इत्थ केइ अभिसमण्णागए अहासण्णिहिए एगेवा अणेगे वा, कप्पइ से एवं वइत्तए-'इमं ता अजो! तुम मुहुत्तगं जाणेहि जाव ताव अहं गाहावइकुलं जाव काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए' से य से पडिसुणिज्जा; एवं से कप्पइ गाहा-2
वइ० तं चेव । से य से नो पडिसुणिज्जा, एवं से नो कप्पइ गाहावइकुलं जाव काउस्सग्गं ४वा ठाणं वा ठाइत्तए॥५२॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण
वा अणभिग्गहियसिजासणियाणं हुत्तए, आयाणमेयं, अणभिग्गहियसिज्जासणियस्स। अणुच्चाकूइयस्स अणटाबंधियस्स अमियासणियस्स अणातावियस्स असमियस्स अभि-६ क्खणं २ अपडिलेहणासीलस्स अपमजणासीलस्स तहा तहा संजमे दुराराहए भवइ॥५३॥ अणादाणमेयं, अभिग्गहियसिज्जासणियस्स उच्चाकूइयस्स अट्ठाबंधिस्स मियासणियस्स
दीप अनुक्रम [३२०
ACCESCALCUSSI
~ 138~
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/ गाथांक
[५५]
दीप
अनुक्रम [३२१]
कल्प०
॥ ६७ ॥
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“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र.[५५] / गाथा ||||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
| आयावियस्स समियरस अभिक्खणं २ पडिलेहणासीलस्स पमजणासीलस्स तहा २ संजमे सुआराहए भवइ ॥ ५४ ॥ वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ | उच्चार पासवणभूमीओ पडिलेहित्तए, न तहा हेमंतगिम्हासु जहा णं वासासु, से किमाहु | भंते! ? वासासु णं उस्सण्णं पाणा य तणा य बीया य पणंगा य हरियाणि य भवंति ॥५५॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ मत्तगाई गिण्हित्तए, तंजहा - उच्चारमत्तए, पासवणमत्तए, खेलमत्तए ॥ ५६ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं पजोसवणाओ गोलोमप्पमाणमित्तेवि केसे तं रयणि उवायणावित्तए । अजेणं खुरमुंडेण वा लुक्कसिरएण वा होइयां सिया । पक्खिया आरोवणा, मासिए खुरमुंडे, अद्धमासिए कत्तरिमुंडे, छम्मासिए लोए, संवच्छरिए वा थेरकप्पे ॥ ५७ ॥ वासावासं पज्जोसविआणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं
केश-लुञ्चन संबंधी मर्यादाया: वर्णनं
~ 139~
वारसो
॥ ६७ ॥
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[५८] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
पज्जोसवणाओ अहिगरणं वइत्तए, जे णं निग्गंथो वा निग्गंथी वा परं पजोसवणाओ अ-18 || हिगरणं वयइ. से णं 'अकप्पेणं अज्जो! वयसीति' वत्तवे सिया, जेणं निग्गंथो वा निग्गं-II ६ थी वा परं पज्जोसवणाओ अहिगरणं वयइ, से णं निजहियावे सिया॥५०॥ वासावासं
पजोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अज्जेव कक्खडे कडुए वुग्गहे समुप्पजिज्जा, सेहेराइणियं खामिज्जा,राइणिएवि सेहं खामिजा, (ग्रं० १२००) खमियत्वं खमावियत्वं उवसमियत्वं उवसमावियवं संमुइसंपुच्छणाबहुलेणं होयचं। जो उवसमइ तस्स अत्थि| आराहणा, जो न उक्समइ तस्स नत्थि आराहणा, तम्हा अप्पणा चेव उवसमियवं, से किमाहु भंते!? उवसमसारं खु सामण्णं ॥५९॥ वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ उवस्सया गिण्हित्तए, तं०-वेउविया पडिलेहा साइजिया पमजणा॥६॥वासावासं पजोसवियाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वाकप्पइअण्णयरिं दिसिंवा
SAC%ECRECE
गाथांक [५८]
दीप
अनुक्रम [३२५]
NT
... अत्र बारसा-सूत्रस्य १२०० श्लोकाणि समाप्तानि
~140~
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक /
गाथांक
[६१]
दीप
अनुक्रम
[३२८]
करूप०
।। ६८ ।।
*
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र.[६१] / गाथा ||||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
अणुदिसिं वा अव गिज्झिय भत्तपाणं गवेसित्तए । से किमाहु भंते! ? उस्सण्णं समणा भगवंतो वासासु तवसंपउत्ता भवंति, तवस्सी दुब्बले किलंते मुच्छिज्ज वा पवडिज्ज वा, तमेव दिसं वा अणुदिसं वा समणा भगवंतो पडिजागरंति॥६१॥वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा गिलाणहेउं जाव चत्तारि पंच जोयणाई गंतुं पडिनियत्तए, अंतरावि | से कप्पइ वत्थए, नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवायणावित्तए ॥ ६२ ॥ इच्चेयं संवच्छरिअं थेरकप्पं अहासुतं अहाकप्पं अहामग्गं अहातचं सम्मं कारण फासित्ता पालित्ता सोभित्ता तीरित्ता किट्टित्ता आराहित्ता आणाए अणुपालित्ता अत्थेगइआ तेणेव भवग्ग - हणेणं सिज्झति बुज्झति मुच्चंति परिनिवाइंति सवदुक्खाणमंतं करिंति, अत्थेगइआ दुच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्यंति जाव सवदुक्खाणमंतं करिंति, अत्थेगइया तच्चेणं भवग्ग- ६॥ ६८ ॥ म्हणणं जाव अंतं करिंति, सत्तट्टभवग्गहणाई नाइक्कमंति ॥६३॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं
संवत्सरिकं स्थावीरकल्पस्य महत्तायाः वर्णनं
~ 141 ~
बारसो
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[६४] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
समणे भगवं महावीरे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणी-18 डणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मज्झगए चेव एवमा-६ हाइक्खइ, एवं भासइ, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइ, पजोसवणाकप्पो नाम अज्झयणं सअटुं|
सहेउअंसकारणं ससुत्तं सअटुं सड़भयं सवागरणं भुजो भुजो उवदंसेइ त्ति बेमि ॥६४॥ |॥ पज्जोसवणाकप्पो नाम दसासुअक्खंधस्स अट्रममज्झयणं संमत्तं ॥ (ग्रं० १२१५)
गाथांक [६४]
CARRINAKARANG
दीप अनुक्रम [३११]
इति श्रेष्ठि देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारे-ग्रन्थाङ्कः १८
अत्र मूल कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) परिसमाप्तं
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ...... मूलं- सूत्र.-1 / गाथा.||-||
SEASEGOOGCOAGRASONGS BalasRERICARRINRSkyाकार SED
Song
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
SAGIRAGIPAGAPAGRAGIRAS
॥ इति श्रीकल्पसूत्रम् ॥ इति श्रेष्ठि देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारे-ग्रन्थाङ्कः १८..
दीप
अनुक्रम
।
NOVAVVevoVolVolvoro BaaVGVe
मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादित:
(“दशाश्रुतस्कन्ध" छेदसूत्र अन्तर्गत् एक अध्ययनं) "कल्प(बारसा) सूत्रम्” परिसमाप्तम्
~143~
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________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः / "दशाश्रुतस्कन्ध"छेदसूत्र अन्तर्गत् एक अध्ययन पूज्य आगमोध्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरेण संशोधित: संपादितश्च “कल्पसूत्रम्" (किंचित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलितः “कल्प(बारसा)सूत्रम्” मूलं नामेण परिसमाप्त: - Remember it's a Net Publications of jain_e_library's' ~ 144 ~