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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [१५] ताणं सरणं गई पइदा अप्पडिहयवरनाणदंसणधराणं विअट्टछउमाणं, जिणाणं जावयाणं तिन्नाणं तारयाण बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोअगाणं, सवण्णूणं सबदरिसीणं, सिवमयलमरुअमणंतमक्खयमवाबाहमपुणरावत्तिसिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमो जिणाणं जि-2/ यभयाणं ॥ नमुत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स चरमतित्थयरस्स पुषतित्थयरनिहिस्स जाव संपाविउकामस्स ॥ वंदामिणं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासइ मे भगवं तत्थगए इहगयंति कटु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने ॥तएणं तस्स सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अयमेआरूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पन्जित्यो ॥ १५॥ न खलु एवं भूअं, न एयं भवं, न एयं भविस्सं, जंणं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासु १ असोषिकोज 55* 444 दीप अनुक्रम [१६] भ० महावीरस्य नीचगोत्रे च्यवन-संबंधे शक्रस्य मनोगत् संकल्प ~16~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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