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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१४१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत ॥३६॥ सूत्रांक/ गाथांक [१४१] णं भ० पंच सया विउलमईणं अड्डाइजेसु दीवेसु दोसु अ समुद्देसु सन्नीणं पंचिंदियाणं , वार पजत्तगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं उक्कोसिआ विउलमईणं संपया हुत्था ॥ १४१ ॥ समणस्स णं भ० चत्तारि सया वाईणं सदेवमणुआसुराए परिसाए वाए अपराजियाणं है उक्कोसिया वाइसंपया हुत्था॥१४२॥ समणस्स णं भगवओ० सत्त अंतेवासिसयाई है। सिद्धाई जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई, चउद्दस अज्जियासयाई सिद्धाइं॥१४३॥ समणस्स है णं भग० अटू सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभदाणं । उक्कोसिआ अणुत्तरोववाइयाणं संपया हुत्था ॥ १४४॥ समणस्स भ० दुविहा अंतगड-10 भूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी य, परियायंतगडभूमी य, जाव तच्चाओ पुरिसजुगाओ जुगंत०, चउवासपरियाए अंतमकासी ॥ १४५॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता साइरेगाई दुवालस वा-12 दीप अनुक्रम [१४७] ३६॥ ~77~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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