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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[१३५ ]
दीप
अनुक्रम
[१४१]
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [१३५] / गाथा.||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
सयसाहस्सी अउणट्ठि च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥ १३५ ॥ समणस्स भगवओ० सुलसारेवईपामुक्खाणं समणोवासिआणं तिन्नि सयसाहस्सीओ अट्ठारससहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥ १३६ ॥ | समणस्स णं भगवओ • तिन्नि सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खरसन्निवाईणं जिणो विव अवितहं वागरमाणाणं उक्कोसिआ चउद्दसपुवीणं संपया हुत्था ॥ १३७ ॥ समणस्स० तेरस सया ओहिनाणीणं अइसेसपत्ताणं उक्कोसिया ओहिनाणि - संपया हुत्था ॥ १३८ ॥ समणस्स णं भगवओ० सत्त सया केवलनाणीणं संभिण्णवरनाणदंसणधराणं उक्कोसिया केवलनाणिसंपया हुत्था ॥ १३९ ॥ समणस्स णं भ० सत्त सया |वेउवीणं अदेवाणं देविड्डिपत्ताणं उक्कोसिया वेउधियसंपया हुत्था ॥ १४० ॥ समणस्स १ साहस्सीओ ( क० कि० )
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