________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१३१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१३१]
कस्पभगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, तं रयणिं च णं कुंथू अणुधरी नाम समु
प्पन्ना, जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य नो चक्खुफासं| हवमागच्छति, जा अठिआ चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निगंथीण य चक्खुफासं हधमागच्छइ ॥ १३१॥ जं पासित्ता बहुहिं निग्गंथेहिं निग्गंथीहि य भत्ताई पच्चक्खायाई, से किमाहु भंते? अज्जप्पभिई संजमे दुराराहे भविस्सइ ॥ १३२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स इंदभूइपामुक्खाओ चउद्दस समणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था ॥ १३३॥ समणस्स भगवओ महा-12 वीरस्स अज्जचंदणापामुक्खाओ छत्तीसं अजियासाहस्सीओ उक्कोसिया अजियासंपया है हुत्था ॥१३४॥-समणस्स भगवओ० संखसयगपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा|
१ दुराराहए (क० सु०, क० कि०),
दीप
अनुक्रम [१३७]
॥३५॥
भ० महावीरस्य श्रमण आदि संपदा
~75~