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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१७७] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
॥४२॥
सूत्रांक/
गाथांक [१७७]
कल्प द्वनेमिस्स अजजक्खिणिपामुक्खाऔ चत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अजि- बारसो
यासंपया हत्था॥१७७॥ अरहोणं अरिटुनेमिस्स नंदपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा। सयसाहस्सीओ अउणत्तरिं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥१७८॥ अरहओणं अरि०महासुधयापामुक्खाणं समणोवासिगाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ छत्तीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासिआणं संपया हुत्था ॥१७९॥ अरहओणं अरिट्रनेमिस्स चत्तारि सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खर जाव हुत्था ॥ १८०॥ पन्नरससया ओहिनाणीणं, पन्नरससया केवलनाणीणं, पन्नरससया वेउविआणं, दससया विउलमईणं, अट्ठसया वाईणं, सोलससया अणुत्तरोववाइआणं, पन्नरस समणसया सिद्धा, तीसं अज्जियासयाई सिद्दाई ॥१८१॥ अरहओ णं अरिट्रनेमिस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी परियायंतगडभूमी य-जाव अमाओ
दीप
अनुक्रम [१७७]
॥४२॥
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