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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[२२८] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम कंता, एयंमि समए समणे भगवं महावीरे परिनिवुडे, तओवि परं नववाससया विइक्वंता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥२२८॥ प्रत सूत्रांक/ गाथांक [२२८] दीप तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥१॥से केणट्रेणं भंते! एवं वुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव |गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ? ॥२॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स जिढे इंदभूई । अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाइं वाएइ, मज्झिमए अग्गिभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंचसमणसयाई वाएइ, कणीअसे अणगारे वाउभूई गोयमगुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अज्जवियत्ते भारदाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अजसुहम्मे १ गोयमसगोत्तेणं (क० कि०, क० मु०) २ नामेण (क० कि०) अनुक्रम [२१३] krtROIN अत्र तीर्थकर-चरित्राणि परिसमाप्तानि अथ द्वितिय वाचना-रूप स्थवीरावली आरभ्यते ~ 104 ~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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