SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३] / गाथा.||-|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् कल्प प्रत ॥५०॥ सूत्रांक/ गाथांक [३] अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडितपुत्ते वासिटे गुत्तेणं अडुट्ठाई है। वारसो समणसयाई वाएइ, थेरे मोरिअपुत्ते कासवे गुत्तेणं अडुट्ठाई समणसयाई वाएइ, थेरे है। अकंपिए गोयमे' गुत्तेणं-थेरे अयलभाया हारिआयणे गुत्तेणं-पत्तेयं एते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाएंति, थेरे अजमेइज्जे-थेरे पभासे-एए दुण्णिवि थेरा कोडिन्ना गत्तेणं तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाएंति।से तेणट्रेणं अजो! एवं वुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥३॥ सवेवि णं एते समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा दुवालसंगिणो चउदसपुविणो समत्तगणिपिडगधारगारायगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं कालगया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा॥ थेरे इंदभूई, थेरे अजसुहम्मे य सिद्धिगए महावीरे पच्छा दुण्णिवि थेरा परिनिवुया ॥ जे | १ गोयमसगुत्तेणं (क० कि०, क० सु०) २ इकारस (क० कि०, क० सु०) दीप अनुक्रम [२१५] SAKASAEBACKASANA ~ 105~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy