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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४] / गाथा.||-|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
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प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[४]
इमे अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, एए णं सवे अजसुहम्मस्स अणगारस्स आवचिज्जा, अवसेसा गणहरा निरवच्चा वुच्छिन्ना॥४॥समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं.। समणस्सणं भगवओ महावीरस्स कासवगुत्तस्स अजसुहम्मे थेरे अंतेवासी अग्गिवेसायणगुत्ते १, थेरस्स णं अज्जसुहम्मस्स अग्गिवेसायणगुत्तस्स अजजंबुनामे थेरे अंतेवासी है। कासवगुत्तेणं २,थेरस्सणं अज्जजंबुणामस्स कासवगुत्तस्स अज्जप्पभवेथेरे अंतेवासी कच्चा-2 यणसगुत्ते ३, थेरस्स णं अज्जप्पभवस्स कच्चायणसगुत्तस्स अजसिजंभवे थेरे अंतेवासी मणगपिया वच्छसगुत्ते४, थेरस्स णं अजसिजंभवस्स मणगपिउणो वच्छसगुत्तस्स अज्ज-12 जसभद्दे थेरे अंतेवासी तुंगियायणसगुत्ते ॥५॥ संखित्तवायणाए अज्जजसभद्दाओ अग्गओ एवं थेरावली भणिया, तंजहा-थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अजसंभूअविजए माढरसगुत्ते, थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते, थेरस्सणं
दीप अनुक्रम [२१७]]
54ARADAS
सुधर्मास्वामिन: आरभ्य स्थवीरावली प्रकाश्यते
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