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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[६] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
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प्रत
सूत्रांक/
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गाथांक [६]
-थेरे अजनाइले १ थेरे अजपोमिले २ थेरे अजजयंते ३ थेरे अन्जतावसे ४, थेराओ । अजनाइलाओ अज्जनाइला साहा निग्गया, थेराओ अज्जपोमिलाओ अज्जपोमिला साहा निग्गया, थेराओ अज्जजयंताओ अज्जजयंती साहा निग्गया, थेराओ अज्जतावसाओ अन्जतावसी साहा निग्गया ४ इति ॥६॥ वित्थरवायणाए पुण अज्जजसभहाओ पुरओ : थेरावली एवं पलोइज्जइ, तंजहा-थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते, थेरे अजसंभूअविजए माढरसगुत्ते, थेरस्स णं अजभद्दबाहुस्स पाईणसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे गोदासे १, थेरे अग्गिदत्ते २,* थेरे जण्णदत्ते ३, थेरे सोमदत्ते ४ कासवगुत्तेणं, थेरेहिंतो गोदासेहिंतो कासवगुत्तेहिंतो है
१ विलोइजह (क० कि०)
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दीप अनुक्रम [२२२
अथ स्थावीरावले: विस्तृत-वाचना कथयते
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