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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४५] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत सूत्रांक/
॥६५॥
गाथांक [४५]
कल्प० ||अंडसुहुमे ६॥ से किं तं लेणसुहुमे ? लेणसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उत्तिंगलेणे, | बारसो
भिंगुलेणे,उजुए, तालमूलए, संबुक्कावट्टे नामं पंचमे, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियवे जाव पडिलेहियत्वे भवइ । से तं लेणसुहमे ७॥से किं तं सिणेहसुहमे ? सि-21 णेहसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उस्सा, हिमए, महिया, करए, हरतणुए। जे छउ-13 मत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं२ जाव पडिलेहियत्वे भवइ । से तं सिणेहसुहुमे ८॥ ४५ ॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेअयं जंवा पुरओ काउंविहरइ, कप्पइ से आपुच्छिउं आयरियं वा जाव जं वा पुरओ काउं विहरइ-इच्छामि णं भंते तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमि० पविसि०
दीप
अनुक्रम [३११]
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