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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[६] / गाथा.||-|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [६]
जोसविंति, तहा णं जे इमे अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, तेविअ णं वासाणं | जाव पजोसविंति ॥६॥ जहा णं जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावासं पजोसविंति, तहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविंति ॥७॥ जहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव। पजोसविंति, तहा णं अम्हेवि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पजोसवेमो, अंतरावि य से कप्पइ, नो से कप्पइ तं रयणि उवाइणावित्तए॥८॥वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सवओ समंता सक्कोसं जोयणं उग्गह
ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं अहालंदमवि उग्गहे ॥९॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सम्बओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए॥ १०॥ जत्थ नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पइ सबओ समंता सकोसं
दीप
अनुक्रम [२६९]
साधु-साध्वीनाम् कल्प्याकल्प्य-वर्णनं
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