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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१८४] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१८४]
कल्प० द्विनेमिस्स कालगयस्स जाव सधदुक्खप्पहीणस्स चउरासीइं वाससहस्साई विइक्वंताई,
पंचासीइमस्स वाससहस्सस्स नव वाससयाई विइक्वंताई, दसमस्स वाससयस्स अयं । असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १८४॥२२॥
नमिस्स णं अरहओ कालगयस्स जाव सवदुक्खप्पहीणस्स पंच वाससयसहस्साई, चउरासीइं च वाससहस्साई नव य वाससयाई विइक्ताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं ६ असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १८५॥२१॥
मुणिसुव्वयस्स णं अरहओ कालगयस्स इक्कारस वाससयसहस्साइं चउरासीइंच वाससहस्साई नव वाससयाइं विइक्वंताई, दसमस्सय वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे । काले गच्छइ॥१८६॥२०॥
मल्लिस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स पर यसहस्साई चउरासीई
दीप
अनुक्रम [१८०]
T- SERIES
॥४३॥
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अत्र "भ० अरिष्ठनेमि" चरित्रं समाप्तं, अथ "नेमि भागवतात् आरभ्य भ० "अजित" पर्यन्त काल-अन्तर कथयते
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