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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२७] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम प्रत सूत्रांक/ चारिस्स इत्तए ॥२७॥ वासावासं पजोसवियस्स नो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणगफुसियमित्तमवि बुटिकायंसि निवयमाणंसि जाव गाहावइकुलं भ. पा. निक्खा पविसित्तए वा ॥२८॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कप्पइ अगिहंसि पिंडवायं पडिगाहित्ता पन्जोसवित्तए, पजोसवेमाणस्स सहसा वुट्टिकाए निवइज्जा देसं भुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणिं परिपिहित्ता उरंसि वा णं निलिजिज कक्खंसि वा णं समाहडिजा, अहाछन्नाणि वा लेणाणि वा उवागच्छिज्जा. रुक्खमलाणि वा उवागच्छिज्जा, जहा से पाणिंसि दए वा दगरए वा दगफुसिआ वा नो परिआवज्जइ 18/॥२९॥वासावासं पज्जोसवियरस पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसि यमित्तंपि निवडति, नो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥३०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पडिग्गहधारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ गाथांक [२७] 5-5%25A5 दीप अनुक्रम [२९५] -5-153 ~ 128~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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