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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२५] / गाथा.||-|| ...... मनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [२५]
कल्प० । असित्थे नो चेव णं ससित्थे, सेविय णं परिपूए नो चेव णं अपरिपूए, सेविय णं बारसो ॥ ६१॥
परिमिए नो चेव णं अपरिमिए, सेविअ णं बहुसंपन्ने नो चेव णं अबहसंपन्ने वासावासं पन्जोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोअणस्स पडि-41 गाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोअणस्स पंच पाणगस्स. अहवा पंच भोअणस्स चत्तारि पाणगस्स । तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायणमित्तमवि पडिगाहिआ सिया, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पजोसवित्तए, नो से कप्पइ दुचंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२६॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एगे एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचा-12] रिस्स इत्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नोकप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संनियट्ट
दीप
अनुक्रम [२९०]
॥६१
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