________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१०६] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प०
प्रत
॥२८॥
सूत्रांक/
गाथांक [१०६]
तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-अम्मापिउसंतिए वद्धमाणे, सहसमुइ-I आए समणे, अयले भयभेरवाणं परीसहोवसग्गाणं खंतिखमे पडिमाण पालगे धीमं अरइरइसहे दविए वीरिअसंपन्ने देवेहिं से नाम कयं 'समणे भगवं महावीरे' ॥ १०६॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पिआ कासवगुत्तेणं, तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-सिद्धत्थे इ वा, सिजंसे इवा, जसंसे इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स माया वासिट्ठी गुत्तेणं, तीसे तओ नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-तिसला इवा, विदेहदिन्ना इवा, पिअकारिणी इ वा ॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पितिजे सुपासे, जिढे भाया नंदिवरणे, भगिणी सुदंसणा, भारिया । जसोआ कोडिन्ना गुत्तेणं॥समणस्स णं भगवओ महावीरस्स धूआ कासवी गुत्तेणं, तीसे 5 दो नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा-अणोजाइ वा, पियदसणा इवा ॥ समणस्स णं |
दीप
अनुक्रम [१०६]
॥२८॥
~61~