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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२४] / गाथा.||१|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प
प्रत सूत्रांक/
गाथांक [२४]
जाइकुलवंसेसु साहरावित्तए॥२४॥तं गच्छणं तुम देवाणुप्पिआ! समणं भगवं महावीर माहणकुंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंसदाएमाहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्ध-18 त्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिद्धसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, जेविअणं से तिसलाए खत्तियाणीए गब्भे तंपिअणं देवाणंदाए माह-15 णीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, साहरित्ता ममेयमाणत्ति खिप्पामेव | पञ्चप्पिणाहि ॥२५॥ तएणं से हरिणेगमेसी अग्गोणीयाहिवई देवे सक्केणं देविंदेणं देव-8 रना एवं बुत्ते समाणे हदे जाव हयहियए करयल जावत्तिकट्ट एवं जं देवो आणवेइत्ति । आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अ-15
१-२ पायवाणीया.
दीप
अनुक्रम [२४]
हरिनणेगमेसिदेव कृत् भ० महावीरस्य गर्भ-संक्रमणं
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