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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१९६] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [१९६] सीअलस्स णं अरहओ जाव सम्बदुक्खप्पहीणस्स एगा सागरोवमकोडी तिवासअइनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ विइक्कंता, एयंमि समए वीरे निवओ. तओऽविय णं परं नव वाससयाई विइक्ताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥१९६॥१०॥ सुविहिस्स णं अरहओ पुप्फदंतस्स जाव सवदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमको-/ डीओ विइक्कंताओ, सेसं जहा सीअलस्स, तंच इम-तिवासअनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिओ विइकंता इच्चाइ॥ १९७॥९॥ चंदप्पहस्स णं अरहओ जाव-प्पहीणस्स एगं सागरोवमकोडिसयं विइक्वंतं, सेसं १ ऊणिआई विइकताई इच्चाइ (क० सु०) दीप अनुक्रम [१९२] ~94~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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