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________________ दशाश्रुत० छेदसूत्र अन्तर्गत प्रत सूत्रांक/ गाथांक [१९१] दीप अनुक्रम [१८७] कल्प० ॥ ४४ ॥ ***** “कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्) मूलं- सूत्र.[१९१] / गाथा.||-|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम् धम्मस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि सागरोवमाई विइक्कताई, पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९१ ॥ १५ ॥ अनंतस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विइकंताई पन्नाट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९२॥ १४ ॥ विमलस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरोवमाइं विइक्कताई, पन्नठिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९३ ॥ १३ ॥ वासुपुज्जरसणं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाई विइकंताई पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९४ ॥ १२ ॥ सिजंसस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवमसए विइक्कते पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९५॥ ११ ॥ ~93~ बारसो ॥ ४४ ॥
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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