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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५७] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१५७]
उजाणे, जेणेव असोगवरपायवे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स है अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुअइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्टियं लोअं करेइ, करित्ता अट्रमेणं भत्तेणं अप्पाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय तिहिं पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पवइए ॥१५७॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तेसीइं राइंदियाइं निच्चं वोसट्रकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पजंति, तंजहा-दिवा वा माणुस्सा वा तिरिक्खजोणिआ वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ॥१५८॥ तएणं से पासे भगवं अणगारे । जाए इरियासमिए भासासमिए-जाव अप्पाणं भावेमाणस्स तेसीइं राइंदियाई विइक-II ताई, चउरासीइमे राइदिए अंतरा वट्टमाणे जे से गिम्हाणं पढम मासे पढमे पक्खे
१चउरासीइमस्स राईदिअस्स अंतरा वट्टमाणस्स ( क० कि०, क. सु०)
दीप
अनुक्रम [१५९]
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