Book Title: Yugveer Nibandhavali Part 01 Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 7
________________ युगवीर-निबन्धावली निबन्धावलीके निबन्धोका सशोधन कार्य स्वय मुख्तारश्रीके हाथो सम्पन्न हो सका है, यह अत्यन्त हर्षकी बात है और इससे उनका मूल्य और भी बढ़ गया है । मुख्तारश्रीके लेख निबन्धोको जिन्होने भी कभी पढा-सुना है उन्हे मालूम है कि वे कितने खोज पूर्ण, उपयोगी और ज्ञानवर्धक होते हैं, इमे बतलानेकी आवश्यकता नही है। विज्ञ पाठक यह भी जानते है कि इन निबन्धोने समयसमय पर ममाजमे किन-किन सुधारोको जन्म दिया है और क्या कुछ चेतना उत्पन्न की है । कितने ही निबन्ध तो इस खडमे ऐसे भी है जो एकाऽनेक-वार पुस्तकाकार छप चुके है और जिनकी मॉग बराबर बनी रहती है । इमसे सभी पाठक एक ही स्थान पर उप. लब्ध इन निबन्धोसे अब अच्छा लाभ उठा सकेंगे। यह निबन्धावली स्कूलो,कालिजो तथा विद्यालयोके विद्यार्थियो। को पढनेके लिये दी जानी चाहिये, जिससे उन्हे समाजकी पूर्वगतिविधियो एव स्पन्दनोका कितना ही परिज्ञान होकर कर्तव्यका समुचित भान हो सके और वे खोजने, परखने तथा लिखने आदिकी क्लामे भी विशेष नैपुण्य प्राप्त कर सकें। अन्तमे मै अपनी तथा सस्थाकी प्रोरसे डा. श्री हीगलालजी जैन एम०००, एलएल०बी०, डी.लिट् प्रोफेमर व अध्यक्ष सस्कृत. प्राकृत-भाषा-विभाग विश्वविद्यालय जबलपुर (म.प्र.) को हार्दिक धन्यवाद भेट करता हूँ जिन्होने इस निबन्धावलाके लिये 'नये युगकी झलक' नामसे महत्वपूर्ण प्रस्तावना लिम्बनेकी कृपा की है। दरबारीलाल जैन, कोठिया हिन्दू विश्वविद्यालय, वागरणसी। (न्यायाचार्य, एम०ए०) १५ फरवरी, १९६६ मत्री, 'वीरसेवामन्दिर-दम्टरPage Navigation
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