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प्रस्तावना
१-आदर्श प्रतियोंका परिचय वसुनन्दि श्रावकाचारके प्रस्तुत संस्करणमे जिन प्रतियो का उपयोग किया गया है, उनका परिचय इस प्रकार है
इ-यह उदासीन आश्रम इन्दौर की प्रति है, संस्कृत छाया और ब्र० चम्पालालजी कृत विस्तृत हिन्दी टीका सहित है। मूल पाठ साधारणतः शुद्ध है, पर सन्दिग्ध पाठोंका इससे निर्णय नहीं होता । इसका अाकार ६४१० इंच है। पत्र संख्या ४३४ है । इसके अनुसार मूलगाथाओं की संख्या ५४८ है। इसमें गाथा नं०१८ के स्थानपर २ गाथाएँ पाई जाती हैं जो कि गो० जीवकांडमें क्रमशः ६०२ और ६०१ नं० पर साधारण से पाठभेद के साथ पाई जाती हैं।
झ-यह ऐलक पन्नालाल दि० जैन सरस्वतीभवन झालरापाटन की प्रति है। इसका आकार १.४६ इंच है। पत्र संख्या ३७ है। प्रति पत्रमें पंक्ति-संख्या ६-१० है। प्रत्येक पंक्तिमै अक्षर-संख्या ३०-३५ है। प्रति अत्यन्त शुद्ध है। दो-चार स्थल ही संदिग्ध प्रतीत हुए। इस प्रतिके अनुसार गाथा-संख्या ५४६ है। इसमें मुद्रित प्रतिमें पाई जानेवाली ५३८ और ५३९ नं० की गाथाएँ नहीं हैं। तथा गाथा नं० १८१ के आगे "तिरिएहि खजमाणो" और "अण्णोण्ण खजंतो" ये दो गाथाएँ और अधिक पाई जाती हैं। पर एक तो वे दिल्लीकी दोनों प्रतियोंमें नहीं पाई जाती हैं, दूसरे वे स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षामें क्रमशः ४१ और ४२ नं० पर पाई जाती हैं। अतः इन्हें मूलपाठमे सम्मिलित न करके वहीं टिप्पणीमे दे दिया गया है । इसके अतिरिक्त गाथा नं० १८ और १९के स्थानपर केवल एक ही गाथा है। इस प्रतिके अन्तमें लेखनकाल नहीं दिया गया है, न लेखक-नाम ही। परन्तु कागज, स्याही और अक्षरोंकी बनावट देखते हुए यह प्रति कमसे कम ३०० वर्ष पुरानी अवश्य होनी चाहिए । कागज मोटा, कुछ पीले रंगका और साधारणतः पुष्ट है । प्रति अच्छी हालतमे है। इस प्रतिके श्रादि और मध्यमें कहीं भी ग्रन्थका नाम नहीं दिया गया है। केवल अन्तमें पुष्पिका रूपमें "इत्युपासकाध्ययनं वसुनन्दिना कृतमिदं समाप्तम्" ऐसा लिखा है । और इसी अन्तिम पत्रकी पीठपर अन्य कलम और अन्य स्याहीसे किसी भिन्न व्यक्ति द्वारा "उपासकाध्ययनसूत्रम् दिगम्बरे" ऐसा लिखा है। प्रतिमें कहीं कहीं अर्थको स्पष्ट करनेवाली टिप्पणियाँ भी संस्कृत छाया रूपमे दी गई हैं जिनकी कुल संख्या ७७ है । इनमें से कुछ अर्थबोधक आवश्यक टिप्पणियाँ प्रस्तुत संस्करणमें भी दी गई हैं।
ध-यह प्रति धर्मपुरा दिल्लीके नये मन्दिर की है । इसका आकार ५॥४१० इंच है। पत्रसंख्या ४८ है। प्रत्येक पत्रमें पंक्ति-संख्या ६ है और प्रत्येक पंक्तिमें अक्षर-संख्या ३६-४० है। अक्षर बहुत मोटे हैं । इस प्रतिके अनुसार गाथाओंकी संख्या ५४६ है। मुद्रित प्रतिमें पाई जानेवाली गाथा नं० ५३८ (मोहक्खएण सम्म) और गाथा नं० ५३६ (सुहुमं च णामकम्मं ) ये दोनों गाथाएँ इस प्रतिमें नहीं हैं।
प-यह प्रति पंचायती मंदिर देहलीके भंडार की है। इसका श्राकार ५॥ १०॥ इंच है। पत्र-संख्या १४ है। प्रत्येक पत्रमें पंक्ति-संख्या १५ है और प्रत्येक पंक्तिमें अक्षर-संख्या ५० से ५६ तक है। अक्षर बहुत छोटे हैं, तथा कागज अत्यन्त पतला और जीर्ण-शीर्ण है। इसके अनुसार भी गाथाओं की संख्या