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१०. इन्द्रियाँ सुख का साधन हैं। ११. यौवन का अर्थ है-शक्ति।
१०. वास्तविक सुख अतीन्द्रिय है। ११. यौवन का अर्थ है-शरीर का लचीलापन
और बुद्धि की ग्रहणशीलता।
पर्यावरण
प्रचलित अवधारणा
सम्यक् अवधारणा
१. जड़ और चेतन का परस्पर कोई संबंध १. मुक्त चेतना को छोड़कर शेष सभी नहीं।
स्थितियों में जड़ और चेतन एक दूसरे
को प्रभावित कर रहे हैं। २. प्रकृति हमारी भोग्या है।
२. अस्तित्व में प्रकृति, वनस्पति और पशु
का भी उसी प्रकार का महत्त्व है जिस
प्रकार हमारा। ३. पर्यावरण को हम शुद्ध कर सकते हैं। ३. पर्यावरण की शुद्धि की प्रक्रिया प्रकृति
में स्वत: चलती है। हम उसमें हस्तक्षेप करते हैं तो वह व्यवस्था गड़बड़ा जाती
है।
४. हम प्रकृति का संचालन करते हैं। ४. प्रकृति में हम कुछ भी नया नहीं बना
सकते। प्रकृति जो कुछ देती है, हम
केवल उसका उपयोग कर सकते हैं। ५. उद्योगों को बढ़ावा देकर हम विकास ५. उद्योगों से होने वाला प्रदूषण प्राकृतिक करते हैं।
सम्पदा की दृष्टि से हमें दरिद्र बनाता
६. केन्द्रीकृत अर्थ-व्यवस्था के अन्तर्गत बड़े ६. केन्द्रीकृत व्यवस्था के अन्तर्गत श्रमिक
उद्योगों से पैदा होने वाला माल सस्ता मनुष्य नहीं रहकर यन्त्र बन जाता है।
और सुलभ होता है। ७. हस्तशिल्प का काम भौंडा होता है। ७. हस्तशिल्प में सौन्दर्य है। ८. मूलभूत आवश्यकताएं निश्चित हैं। ८. मूलभूत आवश्यकताओं की सूची सापेक्ष
है। किसी के लिए टेलीविजन मूल आवश्यकता है, किसी के लिए वह शान्ति में बाधक है।
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तुलसी प्रज्ञा अंक 118
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