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९. धन साध्य है, उसे कमाने के लिए कोई ९. प्रकृति के शोषण से एक बार धन भले ही भी उपाय बरता जा सकता है।
मिल जाए लेकिन लम्बे समय में हम उन मूलभूत साधनों से ही वंचित हो जाते हैं जिनके आधार पर उद्योग-धन्धे
चलते हैं। अंहिसा
प्रचलित अवधारणा
सम्यक् अवधारणा १. मित्र के प्रति मैत्री का नियम उचित है। १. अहिंसा बेशर्त होती है। २. जीवन के अतित्व के लिए की गई हिंसा २. हिंसा हर हालत में हिंसा ही है।
हिंसा नहीं है। ३. हिंसा का कारण क्रूरता है।
३. तनाव के कारण भी व्यक्ति हिंसक हो
जाता है। ४. सत्य के प्रति तो आग्रह होना ही चाहिए। ४. किसी भी प्रकार का आग्रह हिंसा का हेतु
५. सुरक्षा के लिए हिंसा उचित है। ६. अहिंसा अव्यावहारिक है।
५. अहिंसा की पहली शर्त है-अभय। ६. व्यवहार के लिए भी एक सीमा तक
अहिंसा आवश्यक है। ७. भेद में छिपे अभेद को जानना आवश्यक
७. हम सब अलग-अलग हैं।
८. सुविधा उपलब्ध हो तो हिंसा नहीं होती। ८. हिंसा की जड़ में भोग की इच्छा मुख्य है। ९. अहिंसा निर्बलों के लिए है। ९. अहिंसा का पालन केवल समर्थ कर सकते
हैं।
१०. अहिंसा के लिए इच्छाओं का दमन करना १०. अहिंसा के लिए इच्छाओं का परिसीमन पड़ता है।
__ या परिष्कार करना होता है। ११. अहिंसा के लिए सुख छोड़ना आवश्यक ११. परिग्रही व्यक्ति अहिंसक नहीं हो सकता।
नहीं। १२. अहिंसा का फल परोक्ष है। १२. अहिंसा का फल पर्यावरण की सुरक्षा
जैसे सन्दर्भो में प्रत्यक्ष है। १३. अहिंसा यथास्थितिवाद की समर्थक है। १३. अहिंसा जीवन में आमूलचूल परिवर्तन
माँगती है। तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2002 -
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