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बहुश्रुत के व्यक्तित्व का सर्वांगीण परिचय कराने वाली सोलह विशेषताएं प्रतीक रूप में प्रस्तुत हैं१. निर्मलता
: शंख में निहित दूध की तरह निर्मल आभा वाला २. जागरूकता : आकीर्ण अश्व की तरह निरन्तर जागरूक ३. शौर्यवीरता : अजेय योद्धा की तरह पराक्रमी ४. अप्रतिहतता : बलवान् हाथी की तरह समर्थ, अप्रतिहत ५. भारनिर्वाहकता : यूथाधिपति वृषभ की तरह भार-निर्वाहक,
गण प्रमुख ६. दुष्प्रधर्षता/ : दुष्पराजेय सिंह की तरह अनाक्रमणीय अनाक्रमणीयता (अन्यदर्शनी उस पर वैचारिक आक्रमण नहीं
कर सकते) ७. अबाधित बल : वासुदेव की भांति अबाधित बल वाला ८. लब्धिसंपन्नता : ऋद्धिसंपन्न चक्रवर्ती की तरह योगज विभूतियों
से संपन्न ९. स्वामित्व : देवाधिपति शक्र की भांति दिव्य शक्तियों का
अधिपति १०. तेजस्विता : सूर्य की भांति तेजस्वी (तप के तेज से) ११. कलाओं से परिपूर्णता : पूर्णिमा के चन्द्रमा की भांति समस्त कलाओं से
परिपूर्ण १२. श्रुतसंपन्नता : कोष्ठागार की भांति श्रुत से परिपूर्ण १३. श्रेष्ठता
: जम्बू वृक्ष की तरह श्रेष्ठ १४. निर्मलता : निर्मल जल वाली शीता नदी की भांति निर्मल
ज्ञान से युक्त १५.अचल और दीप्तिमान् : मन्दर पर्वत की तरह अचल तथा ज्ञान के प्रकाश
से दीप्त १६.अक्षय ज्ञान : नाना रत्नों से परिपूर्ण स्वयम्भूरमण समुद्र की
तरह अक्षय ज्ञान तथा अतिशयों से सम्पन्न । ये सभी प्रतीक बहुश्रुत की आंतरिक शक्ति तथा तेजस्विता को प्रकट करते हैं।'
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तुलसी प्रज्ञा अंक 118
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