Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh

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Page 11
________________ (जिनाय नमः) [त्रिस्तुति-परामर्श,-] किताब, d [ सूरिमंत्र प्रसादेन-खंडयामि शतं मतं,] ___ इस किताबको. जनाब-फेजमाब-मग्जनेइल्म-श्रीमन्महाराज-जैनश्वेतांबर-धर्मोपदेया-विद्यासागर-न्यायरत्न-मुनि-शांतिविजयजीने फायदे खास-जैनश्वेतांबरके मुरत्तिब किई. [शुरुआत,] - इबादत करताहुं तीर्थंकरदेवोकी-गणधरोकी और खास गुरुओकी-जिनकी बदौलत इल्मपाया और मुक्तिकारास्ता हासिलहुवा, दुनिया इल्मबराबर कोईचीज नही, लाजिमहै इन्सानकों जोकुछइल्म आप पायाहो दूसरोंकोंभी कुछहिस्सा दे जावे, ॐ (दोहा.-) सुखचाहो विद्यापढो यद्यपि नीच होय,पर्यो अपावनठौर-कंचन तजे न कोय, १

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