Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh

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Page 50
________________ (त्रिस्तुतिपरामर्श.) आचारभ्रष्ट-और-गुरुआज्ञा बहारका महादोष-सो-कौनदेखे ? दोनो डूबते है, (जवाब.) श्रावकलोग भोलेहे जभीतो नयेमजहबकों इख्तियार करलेतेहै, ज्ञानपढ़नेके बहानेकिसने आचारछोडा उसकानाम जाहिरमें आनाचाहिये, पढेहुवेंकोंपंडित आमलोग मानतेहै, क्या ! पढेहुवेकों-न-मानेतो अनपढकों पंडितमाने ? क्याखूब लेखक हेकि-जिनकेलेखकी-तारीफ कोइबयान नहीकरसकता, हरेककोममें भाले-चतर-इल्मदार-जानकार-और-अजान सभीतरहके लोग होतेहै, एकबनियोपरही क्याबातहै ? आचारभ्रष्ट-और-गुरुआज्ञाके बहारकौनहै इसबातकों आमजनश्वेतांबरकोमजानतीहै, श्रद्धामें फर्क किसनेडाला ? और अधर्ममें कौनडूबतहै ? इसवातकोंभी-आमलोग ब-खूबी जानतेहै,.. प्रश्नोत्तरपत्रिका पृष्ट (१०) पर तेहरीरहै जिसकिसीकों अधिकजाननेकी इछाहोतो पत्रआनेसें पूर्वपरोके वचनसें-वा-आत्मारामजी प्रमुखके ग्रंथोसे सबुतीसहित शुद्धसिद्धांतरहस्य-नामकमासिकपत्रमें-जवाब दिया जायगा, (जवाब.) शुद्धसिद्धांतरहस्य-मासिकको निकलतेतो वर्षानुवर्ष बतीतहोगये,-न-मालूम ! उसकाजन्म कबहोगा, ?-उसमासिक जारीकरके अगरकोइ-महाराजश्रीआत्मारामजी-आनंदविजयजीके नाम या-हमारेपर कछ लिखेगा उसकों माकुलजवाब मिलतारहेगा, यहां जबाबकी कोइकमी-नहीहै, चाहे कोइ पूर्वधरोके वचनोसें-द्वादशांगीसें-या-पंचांगीसें जिसतरहपंशआनाहो-आवे, हमारेपास सबतरहकेमशाले तयार है,

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