Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh
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(त्रिस्तुतिपरामर्श.) (जवाब.) औरतोके सामनेही-औरत भाषण देवे, ५, सवाल पांचमा-अशठाचरणाकों अंगीकार करनाकि-न
ही ? जैसेकि-रैलविहार-उपानह पहनना-आधाकर्मी-आ
हार खाना, अतर-तेल-फुलेल लगाना-इत्यादि, (जवाब. ) प्रतिक्रमणमे तीनथुइकरना और चोथीथुइको वीतरागदेवकी वैरिणी कहना-किसजैनशास्त्रमे लिखाहै ? अपनीश्रद्धाके अनुरागी श्रावकोके शाथ रास्तेमें जैनमुनिकों बिहारकरना,-श्रावकलोग मकानकिराये लेवे उसमें जैन मुनिको ठहरना, इनबातोंकों कोइ सौचलेवेतो उसकाशक खुद-ब-खुद रफाहोसकेगा, नावमें बेठनेका जैनमुनिकों हुकमहै-या-नही ? इसबातकोंभी कोई अपने खयालशरीफमें लावे, उपानह पहननेका पाठ प्रवचनप्तारोद्धारका इस किताबमें अवलदेचुकेहै, पढाहोगा. आधाकर्मी-आहारखाना-जैनमुनियोकेलिये मनाहै, तेलकेबारेमें अगरकिसी मुनिकों बीमारीका सबबहो तो-शरीरपर लगाना फर्ज है, शतपाक-सहस्रपाक-और-लक्षपाक वगेरा तेल पेस्तरहोतेथे आजकल-चंदन-बादाम-आवला-सीरकी-खोपरेल वगेराके तेल बीमारीकी हालतमें कइ जैनमुनि शरीरपर लगातेभी है, पांचसवालोके जवाब खतम हुके, औरभी जिसकों जोकछ पुछनाहो पुछे, हमारे यहां इन्साफके लेख हरवख्त तयार मिलेगे, ऐसा कोइ-न-समझकि-विद्यासागर
चुपरहे. इन्साफ-वहचीजहै-जिसके सामने बडेबडे आलिम .. और-फाजिल चकराये जाते है..
मुनिकों बीमारनय कोलिये मनाहै, ना आधाकर्मी आ

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