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( त्रिस्तुति परामर्श.)
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हिदायत - उल - आम.
आम जैन श्वेतांबर चार स्तुति माननेवालोकों - लाजिम है अपने सचे एतकात पावंद रहे. चार स्तुति कदमसे हैं, लेखक अगर सबुत रखते हो - तो - पाठ जाहिर करे कि - फलाने सूत्रकी पंचांगी में प्रतिक्रमणके वख्त तीन थुइ करना लिखी है, दरमियान शास्त्रार्थके पाठ होना जरुरी है, त्रिस्तुतिपरामर्शका अवल हिस्सा पूर्ण हुवा, इतनेपर कोई कुछ लिखेगा तो दूसरा हिस्सा तयार है, राजेंद्रसूर्योदय किताबका जवाब शांतिसूर्योदय भी मौजूद है, महारामश्री झवेरसागरजीके वख्तका बना हुवा - निर्णयप्रभाकर ग्रंथभी रतलाम के सनातन - जैन श्वेतांबर संघ - चारस्तुति माननेवालोंके पास तयार है, अगर कोइ छपवाना चाहे तो छपवा सकते है, - हमारे गुरुके - या - हमारे नामपर - किसी अखबार - या - किताबमेंकिसीने कुछ आक्षेप किया हुवा देखो, फौरन हमारे पास भेजदो हम उसका माकूल जवाब देयगे.
त्रिस्तुतिपरामर्शका - अवल हिस्सा खतम हुवा.
[ कवि-सुरजमल ताकीन उदयपुर - मुल्क मेवाडकी बनाई हुई गुरुभक्तिपर - शेयरदार लावनी. ]
विद्यासागर न्यायरत्न श्री - शांतिविजयजी मुनिमहाराज, तीरथ ने आपके जनम जनमके सुधरे काज, (ए टेक, ) शासननायक सब सुखदायक - जिनका निशदिन ध्यान धरो, भव्य जीवोके प्रेमहित चितसे आप कल्यान करो, शठनर सुधरे सुनकर बानी - असो मुनि व्याख्यान करो, स्वल अज्ञानी पशुसम उनके हिरदेमें ज्ञान धरो.