Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh
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(त्रीस्तुतिपरामर्श.) थे, उनकों कवित्वशक्तिने आज तमाम जैनसंघको चकित करदियाहै, उनकी बराबरी कोई क्या करेगा ? उनोंके एकएक शेयर मानो सूत्रसिद्धांतके जंजीरहै, उनकों किसीने सकिस्त नहीदिई, न-उनकी चीज किसीने छिनी, क्या ? ३-इसका बिल-न-थे जो अपनी चीजकी हिफाजत-न-करसके, ?
(६) ( बीच बयान-मुनिकों मौजे पहनना-और
___ कम वारीशमें गोचरी जानेका.____ अगरकोई सवालं करेकि-जैनकिताबोंमें किसजगह फरमायाहैकि-मुनि मौजे पहने और वारीशमें गोचरी जाय, ?
(जवाब.) प्रवचनसारोद्धारमें और कल्पसूत्रमें खुलासाबयानहै, जैन मुनि-पांचतरहके चमडे रखे, और कम बारीशमें गोचरी जाय, अवल प्रवचन सारोद्धारका बयान सुनिये ! गाथा (६८३) मे देखो! क्या लिखाहै, ?
__(गाथा.) अयं एलगावि-महिषी-मिगाणमजिणं च पंचमं होई, तलिगा खल्लग बद्धे-कोसग कित्तीय बीयंतु, ५८३,
___ (माइना,) बकरेका चमडा, गाडरका चमडा, गौका चमडा भेंसका चमडा और हिरनका चमडा, येह पांचतरेहके चमडे जैनमुनिकों रखना फरमाया, तलिगा (यानी) चमडेके तलिये इनइन सबबसें पांवमें पहनना मुनिकों कहा, जबकभी रातकों चलनेका कामपडे, रास्ता-न-दिखलाइदेताहो, साथके मुनियोंसे जुदे पड गयेहो उस हालतमें-या-जब कभी बिरानजमीनपर चलना पड़े-चौरोंका-या

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