Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh
View full book text
________________
(त्रिस्तुतिपरामर्श.)
(९) बीच बयान-महाराजश्री आत्मारामजी
आनंदविजयजी और उनका बनायाहुवा __ जैनतत्वादर्शग्रंथ,-)
प्रश्नोत्तरपत्रिका पृष्ट (९) पर तेहरीरहौक-बुटेरायजीके शिष्य आत्मारामजी हुवे उनके बनाये हुवे जैनतत्वादर्शमें तीनथुइ लिखीहै,
(जवाब.) जैनतत्वादशमं प्रतिक्रमणके वख्त तीनथुइ नही लिखी, अगर लिखीहोतो कोई बतलावे, जिनजिन महाशयोने जैनतत्वादर्शग्रंथ पढाहोगा उनको मालूमहोगा महाराजश्री आत्मारामजीआनंदविजयजीने-प्रतिक्रमणके वख्त तीनथुइ करना नहीं लिखी, बात मंदिरमे करनेकीथी कहनेवालोने उसका खुलासा-न-लिखा
और कहदिया जैनतत्वादर्शमेंभी तीनथुइ लिखीहै, मगर जैनतत्वादर्शमें प्रतिक्रमणके वख्त तीनथुइ नही लिखी, जैनतत्वादर्श पृष्ट(४१७) परदेखो,
(१०) (दरबयान-कोटिशब्द-और-उसके माइनेका,)
पृछा प्रतिवचन पृष्ट (१३) पर बयानहैकि-आत्माराजीने जैनतत्वादर्शमें कोटिशब्दको संज्ञाविशेष लिखा, पृष्ट (१४) पर ते हरीरहै आत्मारामजी प्रमाणिक विद्वान् कहलातेथे, उनकों क्या ! एसा असंगत अर्थ लिखना शोभा देताथा ?
(जवाब.) महाराजश्री. आत्मारामजी-आनंदविजयजीने कोटीशब्दको संज्ञाविशेष लिखा इस लिखनेसे उनका यह मतलब नहीं

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90