Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 9
________________ जनता से व्यक्ति छिपा नहीं रह सकता। मुनिश्री को 'पिच्छी-कमंडलु' और 'निर्मल आत्मा ही समयसार' आदि रचनाएँ समुज्ज्वल कृतियां हैं जो उनके चिनन, मनन, अभीक्ष्ण ज्ञानाराधन, असाधारण प्रतिमा एवं लोकहित की भावना की परिचायक हैं। मुनिश्री के इन्दौर वर्षावास के सुयोग से जो दिशा प्राप्त हुई उसका परिणाम वीर निर्वाण ग्रंथ प्रकाशन समिति है और समिति के प्रभावशाली प्रमुख कार्यकर्ता थी बाबूलालजी पाटोदी प्रभृति उदारमना सज्जनों के पुरुषार्थ से इसके विविध उद्देश्यों को कार्यन्वित किया जा रहा है । इन्दौर दीपावली वो. नि. सं. २५०० -नाथूलाल शास्त्री

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