Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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इस ग्रन्थका पूर्वार्द्र लिखकर ही कवि परलोकगामी हो गया। इसके पूर्वाद्ध में ४० अधणय हैं और महाभारतकी कथा संक्षेपमें वर्णित है।
__ गुणदास या गुणकीति गुणदासका अपरनाम गुणकीति भी उपलब्ध होता है। गृहस्थ अवस्थामें इनका नाम गुणदास था और त्यागी होनेपर यही गुणकीसिके नामसे प्रसिद्ध हए। इन्होंने थेणिकपुराण, धर्मामृत, रुक्मिणीहरण, पापुराण (अपूर्ण) और एक स्फुट रचना रामचन्द्रहलदुलि लिखी है। श्रेणिकपुराण भाषाकी दृष्टिसे अपूर्व रचना है । इसमें मराठीका स्वच्छ बोर प्रवाहमय रूप विद्यमान है। भगवान महावीरके समकालीन सम्राट् श्रेणिककी अद्भुत कथा वर्णित है।
धर्मामृत गद्य ग्रन्थ है, जो उपलब्ध गद्य ग्रन्थों में प्राचीनतम है। इसमें गृहस्थोंके आचारका सांगोपांग वर्णन है । लेखकने ९६ पाखण्डोंकी गणनाकर सरागी, देव-देवियोंका निरसन किया है। विभिन्न सम्प्रदायोंके आचार-विचारों का अध्ययन करनेके लिए यह ग्रन्थ उपादेय है। अणुव्रत, गुणवत, शिक्षावत और संल्लेखनाका अतिचार सहित निरूपण किया है। ___ 'रुमिमणीहरण' काव्यमें श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणीके हरणको कथा वणित है। वसुदेव, बलराम, श्रीकृष्ण, नेमिनाथ, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध ये यदुवंशके प्रसिद्ध महापुरुष थे । रुक्मिणीहरण काव्यमें कविने कृष्णके बलपौरुषके साथ उनको राजनीतिका भी चित्रण किया है।
'पपुराण में रामको कथा रविषेणके 'पद्मपुराण के आधारपर गुम्फित की गयी है। इस ग्रन्थको कवि २८ अध्याय तक ही लिख सका । इस ग्रन्थमें कविने द्वादश अनुप्रेक्षाओंका वर्णन सुन्दर रूपमें किया है।
'रामचन्द्रहलदुलि में रामके विवाहका वर्णन आया है। यह रचना गतीबद्ध है।
मेषराज ये ब्रह्मजिनदासके प्रशिष्य और ब्रह्म शान्तिदासके शिष्य थे। मेघराज गुजः प्रदेशसे आये थे । इनको उभयभाषा कवि चक्रवर्ती भी कहा गया है। ये गजराती और मराठो दोनों भाषाओंमें रचना करनेकी शामता रखते थे। इनकी . १. मराठी जैनसाहित्य, आचार्य भिक्षु स्मृप्ति ग्रन्थ, जैनश्वेताम्बर तेरहपन्थी महासभा, ३, पोर्चगीजचर्च स्ट्रीट, कलकत्ता १, द्वितीय खण्ड, पृ. १३७-१४० ।
आषार्यतुल्य काव्यकार एवं लेखक : ३१९