Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala

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Page 470
________________ महनन्दि मुनि महाकीर्ति महावीराचार्य महासेन द्वितीय महासेनाचार्य महितसागर महीचन्द्र महीन्दु (महीचन्द्र ) महेन्द्रसेन (महेन्द्रभूषण) माघनन्दि माणिकचन्द कवि माणिक्यनन्दि माणिक्यराज माधवचन्द विद्य मानतुङ्ग मेघराज मेधावी पण्डित यतिवृषभ यशः कीर्ति यशः कीर्ति प्रथम यशोभद्र योगदेव पण्डित रद्दधू महाकवि रघु रत्नकीर्ति रत्नकीर्ति ( रत्ननन्दी) रत्नाकरवर्णी रन्न कवि रविचन्द्र मुनीन्द्र रविषेण राजमल्ल वि० १६वीं शती ― ई० ९वीं शतीका आदि ६० ८-९ वीं शती ई० १०वीं शतीका उत्तरार्ष शक सं० १६९४ शक सं० १६-१७वीं शती बि० १६वीं शती वि० १७-१८वीं शती ई० १२वीं शती उत्तरार्धं वि० १७वीं शती ई० १००३ वि० १६वीं शती ६० ९७५-१००० ६-७वीं शती वि० १६वीं शती ३० १७६के करीब वि० १५-१६वीं शती वि० ११ १२वीं शती वि० ६ठी शतोके पूर्व १५-१६वीं शती वि० सं० १४५७-१५३६ शक सं० १७-१८वीं शती शक सं० १८वीं शती वि० १६वीं शती उत्तरार्ध ई० १६वीं शती ई० १०वीं शती ई० १२-१३वीं शती वि० [सं० ८४० से पूर्व वि० १६-१७वीं शती वि० १७वीं शती वि० १४वीं शती राजमल्ल राजसिंह कवि (रल्ह ४५६ : तीपंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा ३४१९ ४३२१ २१२४ ३२८६ ३।५५ ४१३२० ४३२१ ४२२५ ३४५१ ३२८२ ४२३७ ३४१ ४।२३५ ३।२८८ २।२६७ ४१३१९ ४६७ २८० ३।४०७ ४१७८ २४५० કાર્૪૨ ४।१९८ ४१३२२ ४/३२२ ३।४३४ ४१३०९ ४३०७ ३।३१६ २२७६ ४१३०४ ४३७६ ४१३०६

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