Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala

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Page 440
________________ · संयम संपन्न श्रीलोहसेन मट्टारकाणाम् ॥२३॥ नवविधबालब्रह्मचर्यव्रतपूर्वकपरब्रह्मध्यानाधीन श्रीब्रह्मसेनतपोधनानाम् ॥२४॥ भव्यजनकमलसूरसेनभट्टारकाणाम् ||२५|| दारुसंघसंशयतमोनिमग्नाशाधरश्रीमलसंधोपदेशपितृवनस्वर्यातककमलभद्र भट्टारकाणाम् ||२६|| सारत्रयसंपन्न श्रीदेवेन्द्रसेनमुनिमुख्यानाम् ||२७| विहारनगरीप्रवेशसमयसारस्कन्धाष्टकथनाल्पाख्यान बाणबाधाह्रणगंगामध्य. पट्टाभिषेकनिरूपक त्रैविद्यकुमारसेनयोगीश्वराणाम् ||२८|| अंगवादिभङ्गशील-कडि (लि ) गवादिकालानल-काश्मीरवादिकल्पान्तग्रीष्मनेपालवादिस्वापानुग्रहसमर्थ गौड़वादिब्रह्मराक्षस - वालेवादिकोलाहल - द्राविड़वादित्राटनशील - तिलिङ्गवादिकलकारी दुस्तरवादिमस्तकशूल- उड्डीयदेशेऽश्वगजपतिसभासनिविष्टप्रचण्डय मदण्डसुण्डा लसुण्डादण्डखण्डनकालदण्डमण्डलदोर्दण्डमण्डित श्रीदुर्लभसेनाचार्याणाम् ||२९|| • तपः श्रीकर्णावतंस श्रीषेण भट्टारकाणाम् ॥३०॥ दुर्वार दुर्वादिगर्व खर्वपर्वतचूर्णीकृत कुलिशायमानदक्षपरराजलक्ष्मीसेनभट्टारकाणाम् ॥३१॥१ नवलक्षधनुराधीशदशसप्तलक्षदक्षिण कर्णाटक राजेन्द्र चूडामौक्तिकमालाप्रभामधूनी (?) जलप्रवाहप्रक्षालितचरणनखबिम्बश्रीसोमसेनभट्टारकाणाम् ||३२|| अलकेश्वरपुराद्भरवच्छनगरे राजाधिराजपरमेश्वरथवन राय शिरोमणिमहम्मदपातशाहसुरश्राणसमस्यापूर्णादखिलदृष्टिनिपातेनाष्टादशवर्षप्रायप्राप्तदेवलोक श्रीभुतवीरस्वामिनाम् ॥ ३३ ॥ भंभेरीपुर धनेश्वरभट्ट भ्रष्टीकृतानलनिहितयज्ञोपवीतादिविजितसिहब्रह्मदेवसधम्मंशर्म कर्म निर्मलान्तःकरणश्रीमच्छ्रीवरसेनाचार्याणाम् ||३४|| हावभावविकामविलासविलासाविभ्रमशृंगारभृङ्गीसमालिङ्गितबालमुग्धयोव नविदग्धाखिलाङ्गनामनोवाक्कायनवविधबाल ब्रह्मचर्यव्रतोपेत श्रीदेवसेनभट्टार काणाम् ||३५|| अनेकभव्यजनचातकनिकरजृषाधिकारकरणमधुरवाग्धारासारसयुतनूतनसन पितुसदृश श्रीदेवसेन भट्टारकाणाम् ॥३६॥ तत्पट्टोदयाचलप्रभाकरनित्याद्मेकान्तवादिप्रथमवचनखण्डनप्रचण्डवचनाम्बरषट्दर्शनस्थापनाचार्यषट्तर्कचक्र श्वरडिल्लि (दिल्ली) सिंहासनाधीश्वर सार्वभौम पट्टावली : ४२५

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