Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 3
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri

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Page 14
________________ (0) 1 रखनेकी जरूरत है । तभी यह सार्वधर्म आज भी विश्वधर्म सिद्ध हो सकता है । यदि यह कार्य जैनाचार्योंके द्वारा साध्य हुआ तो असंख्य भद्रजीवोंका कल्याण होगा, धर्मका उद्योत होगा, लोक में शांतिका साम्राज्य स्थापित होगा । यथार्थ अर्थ में धर्मका साक्षात्कार होगा । इसी दृष्टिकोणको सामने रखकर परमपूज्य आचार्यश्रीने करीब ४० ग्रंथोंका निर्माण अत्यंत सरल पद्धतिसे, लोकबोध के हेतु किया है जो कि प्रथमाला के तत्वावधान में प्रकाशित हो चुके हैं । उन्हीकी भावना के अनुरूप इस महत्प्रकाशन के कार्यमें भी हम आगे बढ रहे हैं । हमें सफलता मिल रही है, इसका हमें हर्ष है। इस सफलताका अभिमान हमें इसलिये है कि हमारे समाज के गुणग्राही विद्वद्वर्ग इस संबंध में आनंद व्यक्त कर रहे हैं। स्वाध्यायप्रेमी संतोष की सूचना दे रहे हैं, साधुसंत शुभाशीर्वाद दे रहे हैं। यह सब परमप्रभावक स्व. आचार्यश्री के तपोबलका ही फल है । अतः इस अवसर में हम पूज्यश्री के परोक्ष चरणो में हार्दिक श्रद्धांजलि समर्पण करते हैं । हमारा निवेदन 1 इस गुरुतर कार्य में सर्वश्रेणी के सज्जनोंकी सहायता अपेक्षणीय है । कार्य महान् है, शक्ति अल्प है | अतः प्रमादका होना सुतरां संभव है । हमारे हितैषी मित्र व गुरुजन विद्वज्जनोंसे यह निवेदन है कि वे समय समयपर इस कार्यके लिए उपयुक्त सूचना व परामर्श देते रहें । उनका परमादरपूर्वक उपयोग किया जायगा । प्रमादसे कोई दोष रह गया हो तो उसे प्रेम के साथ सूचित करें, ताकि उसका यथासमय संशोधन होसके, छद्मस्थ व्यक्तियोंसे सर्व गुणसंपन्न कार्यकी अपेक्षा करना ही एक महान् अपराध है । इस परमपावन कार्यमें जिम २ व्यक्तियोंका हमें सहयोग प्राप्त हुआ उन सबका हम हृदयसे आभार स्वीकार करते हैं, एव पुनश्च उसी भावनाको दुहराते हैं कि श्रीमानोंकी सहायतासे, धीमानोंकी सद्भावनासे, गुरुजनोंके शुभाशिर्वादसे, साधुसंतोंकी शुभ कामना से एवं सबसे अधिक परमपूज्य आचार्य कुंथूसागर महाराजके परोक्ष प्रबलप्रसादसे यह कार्य उत्तरोत्तर उत्कर्षशील हो एवं हम इस दर्शनसागर के तटपर त्वरित व निरंतराय पहुंचने में सफल हों, यही श्री अर्हत्परमेश्वरकी सन्निधि में प्रतिनित्यकी प्रार्थना है । सोलापुर १-७-५३ विनीत— वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री. ऑ. मंत्री - आचार्य कुंथूसागर ग्रंथमाला सोलापुर.

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