________________
३१४ ]
यात्मध्यान का उपाय
..
.
-..
कमलके मध्य में जो कणिका सफेद रंग की है उसपर पीले रंग का है अक्षर लिखा हुआ सोचे । दुसरा कमल ठीक इस कमन के ऊपर बौंधा नीचे की तरफ मुख किए हुए आठ पत्तोंका फैला हा विचार करे । इसको कुछ मटोले रंग का सोचे, इसके हर एक पत्ते पर काले रंग के लिखे हुए माठ कर्म सोचे–ज्ञानावर णीय कर्म, दर्शनावरणीय कर्म, वेदनीय कर्म, मोहनीय कर्म, आयु कर्म, नामकर्म, गोत्रकर्म और अन्तरायकर्म ।
फिर नाभिके कमल के बीच में जो हैं लिखा है उसके रेफसे धुआं निकलता विचारे, फिर अग्निकी शिखा होती हुई सोचे। यह मग्नि को लो बढ़ती हुई ऊपरको आवे और आठ कोके कमल को जलाने लगे ऐसे सोचे । फिर यह अग्निकी लो कमलके मध्य में छंदकर ऊपर मस्तक पर आ जाये और उसकी एक लकीर बाई तरफ एक दाहिनी तरफ या जावे फिर नीचे की तरफ माकर दोनों कोनों को मिलाकर एक अग्निमई लकीर बन जाये अर्थात् अपने शरीर के बाहर तीन कोनका अग्निमंडल हो गया ऐसा सोचे । आगकी लकीरों का त्रिकोण (triangle) बन गया एसा विचारे। ____ इसकी तीनों लकीरों में र र र र अग्निमय लिखा हुआ विचारे अर्थात तोनों तरफ र र अक्षरों से ही यह अग्नि मंडल बना है ऐसा सोचे । फिर इस त्रिकोण के बाहर तीनों कोनों पर स्वस्तिक (साथिया) अग्निमय लिखा हुमा व भीतर तीन कोनों में हर एक पर ॐ र ऐसा अग्निमय लिखा हुआ विधारे। फिर सोचे कि भीतर तो आठ कर्मोको और बाहर इस शरीय को यह अग्निमंडल जला रहा है। जलते-२ राख हो जाकर सर्व शारीर व कर्म राख हो गए तब अग्नि धीरे-२ शांत हो गई, इतना विचारना आग्नेयो धारणा है।