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भारमध्यान का उपथि
बंगुठों से बन्द करे, तब ही आँखोंको अंगठे के पासळी अंगलियों से और नाकको मध्यमा अंगुलियोंसे व मुखको शेष दो अंगुलियों से बन्द कर मनके द्वारा देखे तो विन्दु दिखलाई पड़ेंगे, वे यदि पीलें दीखें तो पृथ्वीमण्डल समझना, यदि सफेद दीखें तो जल मण्डल समझना, यदि लाल दीखें तो अग्निमण्डल और जो काले दौखें तो पवनमण्डल समझना चाहिए । इन चार मण्डलों में से जब पृथ्वीमण्डल व जलमाल हो तब शुभकार्योको अर्थात् ध्यान स्वाध्याय स्वरसे निकलते हों तो कार्यको सिद्धि बताने वाले होते हैं 1 अग्नि व पवन मंडल दाहिनी तरफ से बहें तो अशुभ सूचक है अग्नि व वायुमंडल यदि बाई तरफ से बहें अथवा पृथ्वी व जल मंडल यदि दाहमे तरफसे बहें तो मध्यम फल के सूचक हैं।
माएं स्वरको हितकर व दाइने स्वरको यहितकर बताया है। जैसे
अमृतमिव सर्वगात्रं प्रीणिमति शरीरिणां ध्रुवं वामा। अपयति तदेव शश्वदहमाना दक्षिणा नारी ।।४४॥ पामा सुधामयो कोयाहिता शश्वच्छरोरिणाम् । संही दक्षिणा नामो समस्तानिष्टसूचिका ॥४३॥
भावार्थ-प्राणियोंके बौया स्वर चलताहआ अमतके समान सर्व शरीर को तृप्त करता है तथा दक्षिण स्वर चलता हुआ शरीरको क्षोण करनेवाला है, प्राणियों को बाया स्वर हितकारी है अमृतके समान है जब कि दाहिना स्वर अनिष्टका सूचक है । यदि किसी को स्वर बदलना हो तो जो स्वर चलता हो उधरके मंगको व स्वर को दाबे तो दूसरी तरफका स्वर चलने लगेगा।