Book Title: Syadwad bhasha Devdharmpariksha Adhyatmopnishad Adhyatmikmatpariksha Yatilakshansamucchay
Author(s): Manvijayji, Yashovijay Upadhyay,
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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| हेतुमात्राधीनं न पाणिपिधेयमिति श्रद्धेयम् ॥ १४ ॥ इत्यमेव धर्मव्यवसायग्रहणपूर्वकः सूर्याजदेवस्य देवाधिदेवप्रतिमार्चनविधिरतिशयितजक्त्युपबृंहितः श्रीराजप्रश्नीयसूत्रोक्तः संगछते । तथा च तत्पा:-तएणं तस्स सूरियाजस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा पोत्ययरयणं उवणामति । ततेणं से सूरियाने देवे पोत्ययरयणं गिएह पोत्थयरयणं गिरिहत्ता पोत्ययरयणं विघामेइ पोत्ययरयणं वाएइ पोत्थयरयणं वाएत्ता धम्मियं ववसायं गिएहति पोत्थयरयणं पमिरिकवति सिंहासणा श्रन्नु २ ववसायसन्जाउँ पुरिलिमिटेण तोरणेणं तिसोवाणपमिरूवएणं पच्चोरूहा २ हत्यपादं परका खेति २ श्रायंते चोरके परमसुईजूए सेयरययामयं विमखसखिलपुर मत्तगयमहामुहागितिसमाएं निंगार पगिएहइ २ जाई तष्ठ उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताई गिएहति २ एंदातो पुरकरणीतो पच्चोरुहति जेणेव सिहायतणे तेणेव पहारेत्यगमणाए । ततेणं तं सूरियानं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सी जाव सोलस आयरस्कदेवसाहस्सी अन्ने य बहवे सूरियाज जाव देवी य श्रप्पेगतिया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया सूरियानं देवं पिच्तो समणुगचंति । ततणं तं सूरियानं देवं बहवे श्राजिगिया देवा य देवी य श्रप्पेगश्या कलसहत्यगया जाव अप्पेगश्या धूवकमुच्छयहत्थगता हन्तुछ जाव सूरियानं देवं पिस्तो २ समणुगचंति ततेणं चूरियाले जाव देवेहि य देवीहि य सझिं संपरिवुझ सविड्डीए जाव णातियरवेणं जेणेव सिहायतणे तेणेव उवागबति सिचायतणं पुरितिमिद्धेणं दारेणं अणुपविसति ५ जेणेव देववंद जेणेव जिणपमिमाङ तेणेव उवागवति जिणपमिमाणं आलोए पणामं करेति लोमहत्वगं गिएहति २ जिणपमिमातो सुरजिणा गंधोदएणं एहाएति एहाश्त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गाया अणुलिंपित्ता जिएपमिमाएं अहयाई देवदूसजु
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