Book Title: Syadwad bhasha Devdharmpariksha Adhyatmopnishad Adhyatmikmatpariksha Yatilakshansamucchay
Author(s): Manvijayji, Yashovijay Upadhyay, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 121
________________ यतिल . समुच्चय अहवा उत्तमगुणप्पलपवणो । इंदिनुजंगमनविश्रायामसमायो म मग्गो ॥ १५॥ इत्थं सुहोहनाणा सुत्तायरणा य नाणविरहे वि । गुरुपरतंतमईणं जुत्तं मग्गाणुसारितं ॥ १६॥ एयारिसस्स जमिह गमणमणालोग वि मग्गंमि । श्रनप्पविचिंतएहिं सदंधणी नव ॥१७॥ खोऽवंचकजोए गखिए थ श्रसग्गहंमि जवमूखे। कुसखाणुबंधजुत्तं एवं धन्नाण संजव॥ १७ ॥ एयंमि नाणफल: हेमघमसमा मया परेहिंपि । किरिया जं जग्गा वि दु एसा मुंच ण तनावं ।॥ १९॥ नणु जावचरणसिंग कह मग्गणुसारिणी नवे किरिया । जं श्रपुणवंधगाणं दवजईणं पिसा इशा ॥२०॥ जाय श्र नावचरणं वालसह खए कसायाणं । मग्गणुसारित्तं पुण इविक तम्मंदयाए वि॥१॥ सदुअत्ते कम्माणं तीए जणिश्चं तयं च गुणबीअं। ववहारेणं जय नाणाजुरं च णिचय ॥२२॥ नाणाइविसेसजुओं णय तं सिंगं तु नावचरणस्स । तयत्नावे तनावा मासतुसाईण जं जणियं ॥२३॥ गुरुपारतंतनाएं सद्दहणं एयसंगयं चेव । इत्तो उ चरित्तीणं मासतुसाईण भणिद्दि ॥ २४ ॥ तेसिं पिदवनाणं णय रुमित्तार्ड दबदसणउँ । गीयचपिस्सिाएं चरणालावप्पसंगार्ड ॥२५॥ विहो पुणो विहारो जावचरित्तीण लगवया नपि । एगो गीयवाएं बिति तमिस्सिाणं च ॥ २६ ॥ संखेवाविरकाए रुइव दंसणे य दबत्तं । जन्नइ जेणुवगिजाश् श्रयाएमाणे वि सम्मत्तं ॥२७॥ सववएसा लन्न खिंगे अतरस्स चरणस्स । लाजं दलरूवं दवं कलावन्नं च जं जावो ॥ २८ ॥ण उक्कमरूवसरिसं नावविरहीणं जवानिएंदीणं । अहव कहं पि विसिहं लिंगं सा जावचरणस्स ॥श्ए॥ इस्कुरसगुमाईणं महुरत्ते जह फुर्म विनिमत्तं । तह अपुणबंधचरणाजावर्ड वि सुपसियो॥३०॥ मग्गणुसारिकिरिया जाविश्वचित्तस्स जावसाहुस्स । विहिपमिसेहेसु जवे पन्नवणिबत्तमुजुजावा ॥३१॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only ww.jainelibrary.org

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