________________
क दर्द उतना रोग निवारण हेतु प्रभावशाली प्रतिवेदन बिन्दू। परन्तु आज अधिकांश एक्यूप्रेशर चिकित्सक भी अपने सहज सरल, सही निदान के तरीकों से दूर हट, आधुनिक निदान के आधार पर प्रदर्शित रोग का ही उपचार करते हैं। परिणाम स्वरूप उपचार की प्रभावशालीता न केवल कम हो जाती है, अपितु उपचार आंशिक होने से लम्बा भी हो जाता है।
क्या समान लक्षणों वाले दो रोगी
___ एक जैसे हो सकते हैं?
कहने का तात्पर्य यही है कि दुनियाँ में जब दो व्यक्ति एक जैसे नहीं हो सकते, तब दो रोगियों और उनका निदान एक जैसा कैसे हो सकता हैं? वास्तव में आज लक्षणों के आधार पर जिन रोगों का नामकरण किया जाता है, वे अनेक रोगों के समूह के नेता की भांति होते हैं। जिन्हें सैंकड़ों अप्रत्यक्ष रोगों का सहयोग प्राप्त होता है। जनतन्त्र में नेता को हटाने का सरलतम उपाय है कि उसके सहयोगियों को उनसे अलग करना। सहयोगियों को अलग किये बिना नेता को हटाना सरल नहीं होता। ठीक उसी प्रकार निदान करते समय, यदि अप्रत्यक्ष रोगों .. की उपेक्षा करें तो, निदान और उस पर आधारित उपचार आंशिक अथवा अधूरा ही होता है।
स्वाद और रोग . . किसी व्यक्ति को खट्टा तो किसी को मीठा, किसी को नमकीन तो किसी को चटपटा, क्यों अच्छा लगता हैं? क्या इन स्वादों की पसन्द या अरूचि का स्वास्थ्य से कोई संबंध होता है? मधुमेह वालों को मिठाई और रक्तचाप के रोगियों को नमक छोड़ने की क्यों सलाह दी जाती है? शरीर में उन स्वादों का नियन्त्रण. कौन करता है? क्या अपनी इच्छानुसार जब चाहें स्वादों के प्रति लगाव बदला जा सकता है? क्या स्वादों क़ा रोग से संबंध होता है? . . . . गंध ओर रोग . ..
चन्द व्यक्ति अत्यधिक सुगन्ध प्रिय होते हैं। चन्द तनिक भी दुर्गन्ध सहन नहीं कर सकते। कुछ व्यक्तियों को दूर में कुछ भी जल रहा हो, सहज आभास हो जाता है, तो कुछ लोगों को समीप में जलने का भी आभास नहीं होता। किसी के शरीर से एक प्रकार की गंध आती है और अन्य के शरीर में दूसरे प्रकार की। ऐसा . क्यों? क्या शरीर से निकलने वाली तथा बाहिर से आने वाली गन्धों के प्रति रूचि अथव अरूचि के भाव का स्वास्थ्य से कोई संबंध होता है? क्या गन्ध का नियन्त्रण एक मात्र नाक से संबंधित हैं? क्या गन्ध के प्रति हमारी प्रकृति को दवा द्वारा मन . चाहा बदलना संभव है? क्या गंध निदान को प्रभावित करती है? .. .
. .. . 10