Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ . नही रहती। 2. पानी को आवश्यकतानुसार चुम्बक पर रखने से उसमें चुम्बकीय ऊर्जा . संचित होने लगती है। उस पानी का उपयोग चुम्बकीय चिकित्सक विभिन्न रोगों के उपचार में करते हैं। .. 3. सूर्य किरण एवं चुम्बक की भांति पिरामिड के अन्दर अथवा पिरामिड समूह के ऊपर पानी रखने से उसमें स्वास्थ्यवर्धक गुण उत्पन्न हो जाते हैं, जिसका सेवन करने से रोगों में राहत मिलती है और स्वस्थ व्यक्ति रोग मुक्त रहता है। 4. पानी को रेकी, रत्नों, मंत्रों अथवा आवश्यकतानुसार स्वर तथा विभिन्न रंगों के बिजली के प्रकाश की तरंगों से भी ऊर्जित किया जा सकता है। जिसके सेवन से असाध्य एवं संक्रामक रोगों का उपचार किया जा सकता है। 5. पानी को जैसे, बर्तन अथवा धातु के सम्पर्क में रखा जाता है, उसमें उस धातु के गुण उत्पन्न होने लगते हैं। प्रत्येक धातु का स्वास्थ्य की दृष्टि से अपना अलग-अलग प्रभाव होता है। 6. सोने से ऊर्जित जल पीने से श्वसन प्रणाली के रोग, जैसे-दमा, श्वास फूलना, फेंफड़ों संबंधी रोगों, हृदय और मस्तिष्क संबंधी रोगों में लाभ होता है। 7. चांदी से पाचन क्रिया के अवयवों जैसे-आमाशय, लीवर, पित्ताशय, आंतों के अनेक रोगों एवं मूत्र प्रणाली के रोगों में आराम मिलता है। 8. तांबे में ऊर्जित जल के सेवन से जोड़ों के रोग, पोलियों, कुष्ठरोग, रक्त चाप, घुटनों का दर्द, मानसिक तनाव आदि में काफी लाभ होता है। उपरोक्त तीनों धातुओं से ऊर्जित निश्चित विधि द्वारा तैयार पेय स्त्री-पुरुष, बच्चों-जवान-वृद्धों सबके लिये शक्तिवर्धक होने से लाभदायक होता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96