Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 95
________________ रोगनिवारक गुण उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार तैयार की गई चीनी तीन माह तक • स्थायी रूप से प्रभावशाली बनी रह सकती है। तीन माह पश्चात पुनः तीन दिन ६ धूप में रख देने से उसमें पुनः रोगनाशक प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है। वैसे बीच में समय समय पर धूप दिखाने से चीनी की रोग निवारक क्षमता बढ़ जाती है। चीनी की एक खुराक प्रायः एक ग्राम होती है। बच्चों को उनकी आयु के अनसार कम खुराक देनी चाहिए। . सूर्यतप्त तेल तैयार करने की विधि जिस रंग का तेल तैयार करना हों, उस रंग की बोतल में तीन चौथाई भाग तेल से भर कर चीनी दवा की भांति 40 से 60 दिन तक धूप में रखने से वह तेल एक रोगनाशक और दर्दनाशक दवा बन जाता है। इस प्रकार तैयार किया गया सूर्यतप्त तेल अगले तीन महीनों तक दवा के रूप में काम में लिया जा सकता है। तीन मास पश्चात पुनः तीन दिन धूप दिखाकर उसे पुनः चार्ज कर रोगनाशक प्रभाव ... उत्पन्न किया जा सकता है। . सूर्यतप्त तेल भी तीनों रंगों में बनाये जा सकते हैं। परन्तु नीले रंग की बोतल में तैयार किया गया नारियल का तेल अत्यन्त प्रभावशाली सिद्ध होता है। नारंगी रंग की बोतल में तिल का तेल बनाना अधिक अच्छा रहता है, परन्तु अलसी, सासों तथा जैतून का तेल भी बनाया जा सकता है। हरे रंग की बोतल में सरसों ' के तेल की दवा बनाना ज्यादा उपयुक्त रहता है, परन्तु नारियल या अलसी का तेल भी बनाया जा सकता है। . नीले तेल के विशेष प्रयोग/लाभ 1. नीले तेल की सिर में मालिश करने से सिर दर्द, अनिद्रा, बुखार दूर होता है। दिमागी कार्य की क्षमता बढ़ती है। स्नायु तंत्र शांत होता है। 2. मच्छर अथवा विषैले जानवरों के काटने पर अथवा जलने पर नीला तेल लगाने से तुरन्त आराम मिलता है। . 3.नीला तेल गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द, शीघ्र ठीक होता है। 4. बवासीर के मसों पर नीला तेल बहुत गुणकारी होता है। 5. बच्चों के दांत निकलते समय नीले तेल की सिर में मालिश करने से दांत आराम · से निकल जाते हैं 94

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