Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 46
________________ विपरीत जब रोग अंग की अधिक सक्रियता से होता है तो जब उस अंग में प्राण ऊर्जा का प्रवाह, निम्नतम होता है, तब रोगी को अधिक राहत का अनुभव होता है। कभी कभी हम अनुभव करते हैं कि रोगी को निश्चित समय होते ही रोग के लक्षण प्रकट होने लग जाते हैं। ऐसा क्यों होता है? इसका कारण उस समय संबंधित अंग में प्राण ऊर्जा का प्रवाह अधिकतम या निम्नतम होता है। वैज्ञानिक शोधों का यह निष्कर्ष है कि शरीर में सभी अंगों में एक समान ब्रह्माण्ड से प्राण ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता। लगभग प्रत्येक प्रमुख अंगों में दो दो घण्टे सर्वाधिक तो उसके ठीक विपरीत समय अर्थात् 12 घंटे पश्चात् निम्नतम प्राण ऊर्जा का प्रवाह उस अंग में होता है। इसी कारण एक ही लक्षण वाली बिमारियों के अलग-अलग समय में प्रकट होने के कारण अलग-अलग होते हैं। जैसे किसी व्यक्ति को प्रातःकाल सिर दर्द होता है अथवा चक्कर आता है और किसी अन्य रोगी को दोपहर अथवा रात्रि में सिर दर्द अथवा चक्कर आता हो तो दोनों के कारण अलग-अलग होते हैं। रोग का कारण उससे संबंधित अंग में प्राण ऊर्जा का प्रवाह ज्यादा अथवा कम होता है। इस प्रकार संबंधित रोग ग्रस्त अंग का आसनी से सही . निदान किया जा सकता हैं। शरीर के प्रमुख अंगों में प्रकृति से सर्वाधिक एवं निम्नतम ऊर्जा के प्रवाह का समय अंगों का नाम अंग में ऊर्जा के सर्वाधिक प्राण ऊर्जा के निम्नतम - प्रवाह का समय प्रवाह का समय - 1. फेंफड़े प्रातः 3 से 5 बजे दोपहर 3 बजे से 5 बजे .. 2. बड़ी आंतं. प्रातः 5 से 5 बजे - सांयकाल 5 बजे से 7 बजे 3. आमाशय . प्रातः 7 से 9 बजे। सांयकाल 7 बजे से 9 बजे 4. तिल्ली . प्रातः 9 से 11 बजे रात्रि 9 से 11 बजे 5. हृदय प्रातः 11 से 1 बजे रात्रि 11 से 1 बजे 6. छोटी आंत दोपहर 1 से 3 बजे । रात्रि 1 से 3 बजे 7. मूत्राशय दोपहर 3 से 5 बजे . रात्रि 3 से 5 बजे 8. गुर्दे सायंकाल 5 से 7 बजे .. प्रात: 5 से 7 बजे 9. पेरीकार्डियन रात्रि 7 से 9 बजे प्रातः 7 से 9. बजे 10. त्रिअग्री रात्रि 9 से 11 बजे प्रातः 9 से 11 बजे 11. पित्ताशय रात्रि 11 से 1 बजे . दोपहर 11 से 1 बजे 12. लीवर रात्रि 1 से 3 बजे दोपहर 1 से 3 बजे । . उपर्युक्त तालिका दिन एवम् रात को 12-12 घंटों तथा सूर्योदय 6 बजे । तथा सूर्यास्त सांयकाल 6 बजे का आधार मानकर बनाई गयी हैं। परन्तु यहाँ दिन । रात बराबर नहीं होते वहां पर उसके अनुरूप ऊर्जा प्रवाह के समय में आंशिक 45. प्रात

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