Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 49
________________ वैसे भी भोजन तामसिक बन जाता है। रात्रि भोजन से स्मरण शक्ति कमजोर होने लगती है। व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पूर्ण रूपेण विकसित नहीं कर पाता। रात्रि भोजन और निद्रा भोजन और शयन के बीच कम से कम चार घंटे का अन्तर आवश्यक होता है। सोने के समय तक भोजन का पूरा पाचन न हो तो भोजन का वह अंश आमाशय में ही पड़ा रहता है और पाचन संबंधी अनेक रोगों को पैदा करने का कारण बनता है । अंग्रेजी में एक कहावत है- Earlty to Bed Early to rise is the way to be Healthy, Wealthy & Wise अर्थात् जल्दी सोने तथा जल्दी उठने से व्यक्ति स्वस्थ, सम्पन्न, समृद्धिशाली और बुद्धिमान होता है । इस दृष्टि से भी जब व्यक्ति देर से भोजन करेगा तो सोवेगा भी देर से और देर से उठेगा। आज मुधमेह (डाइबीटिज) जैसे अनेक रोगों को पैदा करने में रात्रि - भोजन भी एक मुख्य कारण होता है। सूर्य के ताप का शरीर पर प्रभाव मच्छर रात्रि में ही क्यों प्रायः आधिक काटते हैं? क्या कभी हमने चिन्तन किया ? सूर्यास्त होने के पश्चात् शरीर की प्रतिरोध शक्ति कम हो जाती है। ऊर्जा शक्ति की हानि होने से रात्रि में किया गया भोजन कैसे शक्तिवर्धक हो सकता है? सूर्य की रोशनी से शरीर में रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। इसी' कारण प्रायः अधिकांश रोगों का प्रकोप रात में बढ़ने लगता है । प्रत्येक बीमारी भी अपेक्षाकृत रात में ज्यादा कष्टदायक होती है। इसका मुख्य कारण रात में सूर्य की गर्मी का अभाव होता है। जिस प्रकार चूल्हे पर रखी हुई वस्तु को जब अग्नि की गरमी मिलती है तभी वह पकती है, उसी प्रकार हमारे आमाशय में हम जो डालते हैं वह भी पेट की • उष्णता (जठराग्नि) के कारण ही पचता है। इसी कारण जिसकी जठराग्नि प्रदीप्त होती है उसकी पाचन शक्ति अच्छी मानी जाती है। भोजन करते समय उन सब नियमों का पालन करने का प्रयास किया जाना चाहिये, जिनसे जब तक भोजन का पूर्ण पाचन न हो, पाचन शक्ति मन्द न पड़े। पाचन तंत्र के आराम हेतु उपवास 'परिश्रम के पश्चात् शरीर को आराम की आवश्यकता होती है। व्यवसाय जगत में भी सप्ताह में कम से कम एक दिन अवकाश का कानूनी प्रावधान होता है । अवकाश के समय अपूर्ण कार्यों को पूर्ण किया जा सकता है ताकि भविष्य में अधिक उत्साह एवं शक्ति से नियमित कार्यों को किया जा सके। प्रायः जनसाधारण को जैसे सुपाच्य, पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है, उसके स्थान पर अधिकांश व्यक्ति स्वाद और भूख वश अपाच्य, स्वास्थ्य के लिये अनुपयोगी, हानिकारक पदार्थों का सेवन करने में पूर्णतया विवेक नहीं रखते । फलतः 48

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