Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Author(s): Chanchalmal Choradiya
Publisher: Swaraj Prakashan Samuh

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Page 47
________________ परिवर्तन होता है। यद्यपि क्रम तो वही रहता है, फिर भी उस स्थिति में उससे संबंधि त आगे पीछे वाला अंग भी प्रभावित हो सकता है। अतः रोग का सही निदान करने के लिये संबंधित अंगों के लक्षणों के प्रभाव का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है। निद्रा कब त्यागें? . प्रातः 3 बजे से प्रातः 5 बजे फेंफड़ों में प्राण ऊर्जा का प्रवाह सर्वाधिक होता है। इसी कारण प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर खुली हवा में घूमने वाले, शुद्ध वायु में प्राणायाम तथा श्वसन का व्यायाम करने वालों के फेंफड़े सशक्त होते हैं। परन्तु दमा.. के रोगी प्राण ऊर्जा के उस अतिरिक्त प्रवाह को ग्रहण न कर सकने के कारण पिछली रात अधिक परेशान और बेचैन रहते हैं। प्रात:काल 3 बजे से 5 बजे पीयूष एवं पीनियल ग्रन्थियों से सोमरस निकलता है, जो शरीर की प्रतिकारात्मक शक्ति . . . को बढ़ाता है तथा शरीर के व्यवस्थित विकास हेतु आवश्यक है। इस समय निद्रा लेने पर शारीरिक स्थिरता के कारण सोमरस की धारा गले के नीचे प्रवाहित नहीं हो पाती। इस रस के कारण उस समय मस्तिष्क की स्मरण शक्ति जितनी अच्छी होती है, अन्य समय नहीं होती। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले छात्र अधिक बुद्धिमान, स्वस्थ, सजग एवं क्रियाशील होते हैं। उनमें आलस्य अपेक्षाकृत कम होता है। . प्रात: 5 बजे से 7 बजे के बीच के समय में फेंफड़ों के सहयोगी अंग बड़ी आंत में ऊर्जा का विशेष प्रवाह होने से यह अंग अधिक क्रियाशील होता है। इसी कारण मलत्याग के लिए यह सर्वोत्तम समय होता है। जो व्यक्ति उस समय मलत्याग नहीं करते हैं. उनके कब्ज रहने का एक कारण यह भी हो सकता है। इसलिये जो देर तक सोये रहते हैं, उनका पेट प्रायः खराब रहता है। . . भोजन कब करें जब हमें स्वाभाविक अच्छी भूख लगे तब ही भोजन करना चाहिए। भूख का संबन्ध हमारी-आदत पर निर्भर होता है। जैसी हम आदत डालते हैं, उस समय भूख लगने लग जाती है। अतः हमें भोजन की ऐसी आदत डालनी चाहिए कि जब आमाशय अधि सक्रिय हो, उस समय हमे तेज भूख लगे। दूसरी बात जब तेज भूख लगे तो कुछ खाकर आमाशय की पूर्ण क्षमता का अपव्यय नहीं करना चाहिये। यदि ऐसा किया गया तो मुख्य भोजन के समय आमाशय भी पाचान के प्रति उदासीन हो जाए तो आश्यर्च नही। .. - प्रातः 7. बजे से 9 बजे तक आमाशय में प्रकृति से प्राण ऊर्जा का सर्वाधिक प्रवाह होने तथा बड़ी आंत की सफाई हो जाने से इस समय पाचन आसानी से हो जाता है। आजकल उस समय अधिकांश व्यक्ति प्रायः भोजन नहीं करते अपितु नाश्ते का प्रचलन बढ़ गया है। - आयुर्वेद के सिद्धान्तानुसार प्रातः 10 बजे तक का समय शरीर में कफ 46

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